Move to Jagran APP

अनलॉक प्रक्रिया में विवाह व अन्‍य मांगलिक आयोजन से बढ़ी फूलों की मांग, खिले कारोबारियों के चेहरे

विश्वव्यापी कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के चलते तमाम आयोजन व शुभ कार्यों को ब्रेक लग गया था। अब एक बार फिर से अनलॉक की प्रक्रिया में वैवाहिक कार्यक्रम धार्मिक कार्य व अन्य आयोजन होने लगे हैं।

By Sumit KumarEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 06:00 AM (IST)
अनलॉक प्रक्रिया में विवाह व अन्‍य मांगलिक आयोजन से बढ़ी फूलों की मांग, खिले कारोबारियों के चेहरे
तीर्थनगरी ऋषिकेश में बड़ी संख्या में सजावट के लिए फूलों की खपत होती है।

ऋषिकेश, जेएनएन। विश्वव्यापी कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के चलते तमाम आयोजन व शुभ कार्यों को ब्रेक लग गया था। अब एक बार फिर से अनलॉक की प्रक्रिया में वैवाहिक कार्यक्रम, धार्मिक कार्य व अन्य आयोजन होने लगे हैं। इन आयोजनों को खास बनाने के लिए फ्लावरिंग और डेकोरेशन के काम भी बढ़ने लगे हैं। जिससे फूल व डेकोरेशन के कारोबारियों का काम भी पटरी पर लौटने लगा है।

loksabha election banner

तीर्थनगरी ऋषिकेश चार धाम यात्रा तथा गढ़वाल मंडल का प्रवेश द्वार होने के साथ पर्यटन के रूप में विश्व विख्यात है। यहां वर्ष भर धार्मिक व अन्य कार्यक्रम आयोजित होते हैं। जिनमें बड़ी संख्या में सजावट के लिए फूलों की खपत होती है। गढ़वाल मंडल में भी यहां से फूलों की सप्लाई का कारोबार होता है। मगर, लॉकडाउन में यह कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया था। अब अनलॉक की प्रक्रिया में जब धार्मिक आयोजनों को अनुमति मिल चुकी है। शादी-विवाह व अन्य मांगलिक कार्यक्रम भी होने लगे हैं। ऐसे में एक बार फिर से फ्लावरिंग व डेकोरेशन के लिए डिमांड होने लगी है और इस व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों को का काम पटरी पर लौटने लगा है। हालांकि अभी बड़े आयोजन नहीं हो रहे हैं, जिससे फिलहाल सीमित रूप में ही डिमांड बनी हुई है। करीब सात माह की लंबी खामोशी के बाद आखिर व्यवसायियों को कुछ हद तक काम मिलने से बड़ी राहत मिली है।

धनतेरस और दिवाली से उम्मीद

वर्तमान में शादी विवाह जैसे मांगलिक व धार्मिक कार्यक्रमों के अलावा पर्व- त्योहारों में फूलों की अच्छी खपत होती है। अब धनतेरस व दिवाली का त्यौहार आने वाला है। इन त्योहारों के मौके पर घरों तथा प्रतिष्ठानों को सजाने के लिए फूलों की काफी मांग रहती है। फूल व्यवसायियों को भी आने वाले इन त्योहारों से अच्छे व्यवसाय की उम्मीद है।

महंगे मिल रहे हैं आयातित फूल

गेंदा तथा गुलाब के अलावा अन्य फूल दिल्ली, कोलकाता तथा अन्य शहरों अथवा विदेशों से आयातित होते हैं। अनलॉक की प्रक्रिया में अब फूलों का कारोबार खुल तो गया है, मगर व्यवसाई आयातित फूलों के महंगे दामों के कारण असमंजस की स्थिति में हैं। दिल्ली, कोलकाता व अन्य शहरों से जिन फूलों की आमद होती है उनकी लागत अचानक चार से पांच गुना तक बढ़ गई है। इतना ही नहीं स्थानीय स्तर पर उत्पादित होने वाले गेंदा कथा गुलाब की आमद भी बेहद कम है और इनके दाम भी दो से तीन गुना तक बढ़ गए हैं। फूल व्यवसायी चंदन साधुकर ने बताया कि लॉकडाउन के चलते पूरे देश में फूलों का उत्पादन बहुत कम हुआ है। जो फूल उत्पादन हो रहा है, वह मांग बढ़ने के कारण महंगे मिल रहे हैं।

यह भी पढ़ें: पूर्ति विभाग के गोदामों में ही नहीं चावल का स्टॉक

इस तरह बढ़े फूलों के मूल्य

फूल किस्म        पहले दर          अब दर 

गेंदा                20-30           80-100 (प्रति किलो)

रेड रोज          100                250 (प्रति किलो)

कलर रोज      150              300 (प्रति किलो)

जरबेरा           20              150-200 (प्रति किलो)

गुलदावरी      03               20 (प्रति पीस)

टाटा रोज    100                400-500 (प्रति किलो)

बेबी बर्थ     150                500 (प्रति किलो)

बोले फूल व्‍यवसायी 

त्र‍िवेणी घाट के फूल व्‍यवसायी चंदना साधुकर बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद व्यवसाय खुला है अब डिमांड भी आने लगी है मगर बाहर से आने वाले फूलों के दाम इतने अधिक बढ़ गए हैं कि व्यवसाय करना मुश्किल हो रहा है। विदेशों से आने वाले फूलों की आवक तो अभी बेहद कम है। इतना जरूर है कि कई महीनों बाद थोड़ा बहुत काम चलने लगा है। हरिद्वार मार्ग पर फूल विक्रेता योगेश राय ने बताया कि लंबे समय बाद कुछ ही मगर, फूलों का कारोबार कुछ पटरी पर आया है। हालांकि अभी पहले के जैसी डिमांड नहीं है। लॉकडाउन में उत्पादन न होने के कारण अभी फूलों के दाम भी बहुत अधिक बढ़े हैं। उम्मीद है कि जल्द ही सब कुछ सामान्य हो जाएगा।

यह भी पढ़ें: कोरोना को हरा दिया तो न समझें कि खतरा टल गया, जानिए क्या है डॉक्टरों की सलाह


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.