लच्छीवाला नेचर पार्क में घराट से भी रूबरू होंगे सैलानी
दून के पर्यटक स्थलों में शुमार लच्छीवाला नेचर पार्क में आने वाले दिनों में घराट (पनचक्की) से भी सैलानी रूबरू हो सकेंगे। हिमालयी पर्यावरण अध्ययन एवं संरक्षण संगठन (हेस्को) के तकनीकी सहयोग से घराट स्थापित किया जाएगा। इस सिलसिले देहरादून जू सोसायटी कार्ययोजना तैयार करने में जुटी है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। दून के पर्यटक स्थलों में शुमार लच्छीवाला नेचर पार्क में आने वाले दिनों में घराट (पनचक्की) से भी सैलानी रूबरू हो सकेंगे। हिमालयी पर्यावरण अध्ययन एवं संरक्षण संगठन (हेस्को) के तकनीकी सहयोग से घराट स्थापित किया जाएगा। इस सिलसिले देहरादून जू सोसायटी कार्ययोजना तैयार करने में जुटी है। नेचर पार्क का संचालन यही सोसायटी करती है।
सौंग नदी के किनारे देहरादून-हरिद्वार राजमार्ग पर डोईवाला के नजदीक है लच्छीवाला पर्यटक स्थल। वैसे तो यहां वर्षभर पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती है, लेकिन गर्मियों में यह पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है। लच्छीवाला पर्यटक स्थल में नेचर पार्क बनाने की कड़ी में पूर्व में बटरफ्लाई पार्क, हर्बल गार्डन आदि तैयार किए गए। अब इसे प्राकृतिक रूप से संवारने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ाए हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाल में लच्छीवाला का दौरा कर नेचर पार्क के संबंध में वन विभाग अधिकारियों से विमर्श किया। साथ ही प्राकृतिक तरीके से नेचर पार्क के सौंदर्यीकरण के निर्देश दिए। नेचर पार्क में आने वाले सैलानी प्रकृति को करीब से समझने के साथ ही वहां से कुछ ज्ञान लेकर भी जाएं, इसी थीम पर इसे आगे बढ़ाया जा रहा है। इसी क्रम में नेचर पार्क में परंपरागत घराट स्थापित किया जाएगा। पार्क का संचालन करने वाली देहरादून जू सोसायटी ने इसके लिए कसरत शुरू कर दी है। इस सिलसिले में देहरादून जू के निदेशक पीके पात्रो ने हेस्को के संस्थापक अध्यक्ष पद्मभूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी से तकनीकी सहयोग का आग्रह किया है।
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पद्मभूषण डॉ.जोशी ने इस पर सहमति दे दी है। लच्छीवाला नेचर पार्क में घराट की स्थापना से पहले देहरादून जू सोसायटी की टीम शुक्लापुर स्थित हेस्को मुख्यालय का दौरा करेगी। फिर हेस्को के सहयोग से ही इसे स्थापित किया जाएगा। देहरादून जू के निदेशक पात्रो के अनुसार घराट स्थापित होने पर लच्छीवाला आने वाले सैलानी विशेषकर बच्चे ये जान सकेंगे कि घराट क्या होता है, यह कैसे संचालित होता है और इसके क्या-क्या उपयोग हैं।
घराट क्या है
यह एक प्रकार की पनचक्की है, जिसका उपयोग गेहूं, जौ आदि की पिसाई के लिए किया जाता रहा है। परंपरागत घराट तब से प्रचलित हैं, जब किसी ने गेहूं की पिसाई के लिए वैकल्पिक ऊर्जा के बारे में सोचा भी नहीं होगा। सुदूरवर्ती गांवों में आज भी वहां से निकलने वाली जलधाराओं से घराट को चलाया जाता है। अब तो कुछ स्थानों पर घराट का उपयोग बिजली उत्पादन में भी हो रहा है।