IMA POP: हल्द्वानी के ओमित्य ने नाना के सपने को किया पूरा, बने सेना में अफसर
IMA POP सेना में अफसर बने हल्द्वानी के ओमित्य जोशी ने अपने नाना का सपना पूरा किया। वहीं उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के रहने वाले संदीप कुमार की मेधा के आगे मुफलिसी हार गई। इसी तरह मूल रूप से मुंबई के रहने वाले विनायक ओर्पे भी सेना में अफसर बन गए हैं। उनकी कामयाबी से परिवार में खुशी है।
देहरादून: IMA POP: सेना में अफसर बने हल्द्वानी के ओमित्य जोशी ने अपने नाना का सपना पूरा किया। कैप्टन पद से सेवानिवृत्त ओमित्य के नाना का चाहते थे कि वह सेना में अफसर बने। ओमित्य के पिता प्रमोद कुमार जोशी दूरदर्शन में कार्यरत हैं। प्रमोद कुमार जोशी ने बताया कि ओमित्य बचपन से ही मेधावी रहा है।
पिथौरागढ़ के एक निजी विद्यालय से पांचवीं तक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से पूरी की है। इस दौरान उन्हें बेस्ट कैडेट के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। वहीं, ओमित्य ने कहा कि बचपन से ही सेना में अफसर बनकर देश सेवा का सपना था। इसकी प्रेरणा उन्हें अपने नाना से मिली। ओमित्य की माता रंजना जोशी ने कहा कि बेटे ने परिवार का नाम रोशन किया है।
संदीप की मेधा से हार गई मुफलिसी
बेटे ने सपना पूरा किया, अब बेटी की बारी
सेना में अधिकारी बनने का सपना उन्होंने बचपन से देखा था और इसके लिए कड़ी मेहनत भी की थी। वहीं, विनायक के पिता मकंरद ओर्पे ने कहा कि सेना हमें देश के लिए जीना सिखाती है। उनका सपना है कि उनके दोनों बच्चे सेना में अधिकारी बन देश की सेवा करें। बेटी विदिशा अभी 11वीं पढ़ रही है। उसे सेना में अफसर बनाने के लिए प्रेरित करेंगे।
उत्तराखंड का कमाल, राज्य के कैडेट को मिले तीन पदक
बात सेना की हो और उत्तराखंड का नाम न आए, यह कैसे हो सकता है। देश रक्षा की खातिर सर्वोच्च बलिदान की बात करें या फिर सैन्य वर्दी की ललक, सूबे के नौजवान हमेशा अगली पांत में खड़े मिलते हैं। पीढ़ियों से यह परंपरा चली आ रही है। भारतीय सैन्य अकादमी में हर छह माह बाद आयोजित होने वाली पासिंग आउट परेड की तस्वीर बताती है कि उत्तराखंडी युवाओं में जोश, जुनून व जज्बा ही नहीं, काबिलियत भी खूब है। जिसकी बानगी इस बार भी देखने को मिली।
पासिंग आउट बैच के कैडेट को मिलने वाले सर्वोच्च पुरस्कारों में तीन पुरस्कार उत्तराखंड के कैडेट ने हासिल किए। पिथौरागढ़ के मोहित कापड़ी ने रजत और शौर्य भट्ट ने कांस्य पदक अपने नाम किया। वहीं, रजत पदक (टीजी) उत्तराखंड के ही विनय भंडारी को मिला है।
पिछले एक दशक के दौरान शायद ही ऐसी कोई पासिंग आउट परेड रही होगी, जिसमें ड्रिल स्क्वायर पर कदमताल करने वाले युवाओं में उत्तराखंडियों का दबदबा न दिखा हो। आबादी के अनुपात में अन्य राज्यों की अपेक्षा उत्तराखंड सर्वाधिक सैन्य अधिकारी देता है। सिपाही ही नहीं, उत्तराखंड से फौज को अच्छी तादाद में अफसरों की टोली भी मिल रही है। यही नहीं सेना के सर्वोच्च पदों पर भी सूबे के लाल तैनात हैं।