IMA POP: घर में सेना की वर्दी देख बचपन से ही प्रेरित हो गया मन, दादा-पिता-चाचा की तरह बने Army Officer
IMA POP भारतीय सैन्य अकादमी से पासआउट बागेश्वर के राहुल जोशी ने पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाया है। खुद को सैन्य अफसर के रूप में देखने का सपना बुना जाने लगा। मेहनत की और आइएमए से पासआउट होकर पिता की राह पर आगे बढ़ते हुए सैन्य अधिकारी बन गए। राहुल की प्राथमिक शिक्षा बागेश्वर में ही हुई इसके बाद उन्होंने सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से शिक्षा ग्रहण की।
दादा, पिता और चाचा रह चुके सैन्य अधिकारी
परदादा ने लड़ी आजादी की लड़ाई, दादा और पिता ने सेना में सेवा दी
आइएमए से पास आउट होने पर देवेंद्र ने इसे ऐतिहासिक पल बताया। इस गौरवशाली पल के साक्षी बने उनके पिता ने उन्हें सीने से लगाया और मां ने माथा चूमकर बधाई दी।
देवेंद्र त्रिपाठी की पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल लखनऊ से हुई है। इसके बाद उन्होंने बीटेक में दाखिला ले लिया, लेकिन उनके मन में सेना के प्रति लगाव था। इस कारण उन्होंने सीडीएस की परीक्षा उत्तीर्ण की और आइएमए में प्रवेश प्राप्त किया।
'कंधे पर सितारे लगना दुनिया का सबसे गौरवशाली क्षण'
भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट हुए युवा अधिकारियों में सर्वश्रेष्ठ रहे प्रवीण कुमार सैन्य अधिकारी बनने का सपना देख रहे युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। प्रशिक्षण के दौरान शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सम्मान स्वार्ड आफ आनर और गोल्ड मेडल प्रदान किया गया।
उत्तर प्रदेश के आगरा निवासी प्रवीण ने इसका श्रेय अपने अभिभावक और शिक्षकों को दिया। उनका मानना है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं और कड़ी मेहनत ही सफलता के शिखर पर पहुंचाती है। कंधे पर सितारे लगना उनके लिए सबसे गौरवशाली क्षण है। शनिवार को देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी में संपन्न हुई पासिंग आउट परेड में प्रवीण सिंह ने सर्वश्रेष्ठ सम्मान के साथ अंतिम पग भरा और सैन्य अधिकारी बने।
प्रवीण के पिता कारोबारी और माता गृहणी हैं। परिवार में भले ही कोई सैन्यकर्मी नहीं रहा, लेकिन उन्हें वर्दी की ललक और राष्ट्र के प्रति प्रेम ने सेना में शामिल होने की प्रेरणा दी। बचपन में ही उन्होंने अपनी रुचि से माता-पिता को अवगत करा दिया था।
इस सपने को पूरा करने के लिए उन्हें 11 साल की उम्र में ही माता-पिता से दूर जाना पड़ा। छठी कक्षा में राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल धौलपुर (राजस्थान) में उनका दाखिला हो गया। स्कूल के परिवेश और शिक्षकों के मार्गदर्शन में उन्होंने एनडीए की तैयारी की। स्कूल से पास आउट होकर एनडीए में तीन वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त किया और यहीं से भारतीय सैन्य अकादमी की राह प्रशस्त हुई।
प्रवीण का कहना है कि राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल में शिक्षकों से मिले मार्गदर्शन और अनुशासित परिवेश से उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण के दौरान मदद मिली। प्रवीण सेना में तृतीय सिख लाई बटालियन में कमीशन हुए हैं। युवाओं को उन्होंने संदेश दिया कि लक्ष्य निर्धारित कर एकाग्रता से उसे पाने का प्रयास करें और मेहनत से कभी पीछे न हटे। कड़े संघर्ष के बाद उसका जो पुरस्कार मिलता है, उससे सुखद अनुभूति कुछ भी नहीं।
कारगिल के किसान परिवार से निकला पहला सैन्य अफसर
सैन्य वर्दी की चाहत के साथ किसान परिवार में पले-बढ़े केंद्र शासित राज्य लद्दाख के युवक ने इतिहास रच दिया। कारगिल जिले के सेरिंग आंगचुक भारतीय सैन्य अकादमी से पासआउट होकर अपने जिले के पहले सैन्य अफसर बन गए हैं। सेरिंग की इस कामयाबी से उनके माता-पिता और तीन भाई-बहनों का खुशी का ठिकाना नहीं है।
कारगिल भारतीय सेना का गौरवशाली इतिहास समेटे हुए है, लेकिन अब यहां के युवा भी सेना में शामिल होकर राष्ट्र सेवा के लिए लालायित नजर आ रहे हैं। भारतीय सेना में स्नो लैपर्ड के नाम से जानी जाने वाली लद्दाख स्काउट तो कारगिल के युवाओं को हमेशा से प्रेरित करती रही है, अब सैन्य अधिकारी के रूप में भी कारगिल के सेरिंग अंगचुक ने नई शुरुआत की है। वह भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) से पास आउट होकर अफसर बन गए हैं।
उन्हें कारगिल जिले से पहले कमीशंड सैन्य अधिकारी बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। सेरिंग की मां यांगचांग डोलमा और पिता सेवांग दादून किसान हैं और उनके बड़े भाई भी खेती-बाड़ी से जुड़े हैं। छोटा भाई बौद्ध धर्मगुरु का प्रशिक्षण ले रहा है। सेरिंग अंगचुक ने बताया कि वह अपने चाचा से प्रेरित होकर लद्दाख स्काउट में बतौर सैनिक शमिल हुए। बाद में आर्मी कैडेट कोर की परीक्षा उत्तीर्ण कर आइएमए की राह प्रशस्त की। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में लद्दाख स्काउट का उनका अनुभव भी बतौर अफसर उनके और सेना के काम आएगा। सेरेमनी के दौरान उनके माता-पिता, दो भाई और एक बहन भी शामिल हुए।