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IMA POP: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ा में बलिदान हुए थे राजेंद्र बिष्ट, बेटे ने 19 साल बाद फौजी बनकर दी सच्‍ची श्रद्धांजलि

IMA POP ऋषिकेश के गुमानीवाला निवासी भूपेंद्र बिष्ट ने प्रस्तुत किया। भूपेंद्र ने अपने पिता के बलिदान के 19 साल बाद फौजी बनकर न सिर्फ पिता को श्रद्धांजलि अर्पित की बल्कि अपनी मां वीरनारी लक्ष्मी देवी के संकल्प को पूरा कर उनका मस्तक भी गौरव से ऊंचा कर दिया। निवर्तमान महापौर ने कहा कि भूपेंद्र बिष्ट ने उत्तराखंड की सैन्य परंपरा में को और अधिक मजबूत किया है।

By Durga prasad nautiyal Edited By: Nirmala Bohra Sun, 09 Jun 2024 10:06 AM (IST)
IMA POP: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ा में बलिदान हुए थे राजेंद्र बिष्ट, बेटे ने 19 साल बाद फौजी बनकर दी सच्‍ची श्रद्धांजलि
IMA POP: भूपेंद्र ने अपने पिता के बलिदान के 19 साल बाद फौजी बनकर पिता को श्रद्धांजलि अर्पित की

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : IMA POP: उत्तराखंड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहते हैं। देश पर मर मिटने का जज्बा यहां के नौजवान तो रखते ही हैं, माताओं में इससे भी बढ़कर समर्पण और त्याग की भावना होती है।

इसका उदाहरण ऋषिकेश के गुमानीवाला निवासी भूपेंद्र बिष्ट ने प्रस्तुत किया। भूपेंद्र ने अपने पिता के बलिदान के 19 साल बाद फौजी बनकर न सिर्फ पिता को श्रद्धांजलि अर्पित की बल्कि अपनी मां वीरनारी लक्ष्मी देवी के संकल्प को पूरा कर उनका मस्तक भी गौरव से ऊंचा कर दिया।

राजेंद्र बिष्ट आठ जून 2005 को बलिदान हो गए थे

मूल रूप से देवाल चमोली गढ़वाल तथा वर्तमान में गुमानीवाला ऋषिकेश निवासी राजेंद्र बिष्ट आठ जून 2005 को जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ा में आतंकी मुठभेड़ में बलिदान हो गए थे। उस समय भूपेंद्र मात्र नौ माह का था। पिता के बलिदान होने पर लक्ष्मी देवी ने अपने पुत्र भूपेंद्र को भी फौजी बनाने का संकल्प लिया था। जिसे भूपेंद्र ने 19 साल बाद पूरा कर दिखाया।

पिता के बलिदान दिवस पर ही आठ मई को 19 वर्षीय भूपेंद्र बिष्ट गढ़वाल राइफल में राइफलमैन के रूप में अपनी ट्रेनिंग पूरी कर घर लौटे, तो मां लक्ष्मी देवी और बहन करिश्मा की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उन्होंने बेटे को गले लगाते हुए अपने संकल्प और सपने को पूरा होते देखा।

एक बलिदानी के बेटे के इस जज्बे की सूचना जब आसपास के लोग को मिली तो वह भूपेंद्र बिष्ट के स्वागत के लिए लोगों उनके घर पहुंचे। नगर निगम ऋषिकेश की निवर्तमान महापौर अनीता ममगाईं, निवर्तमान पार्षद विपिन पंत ने भी उनके घर जाकर फौजी भूपेंद्र बिष्ट तथा उनकी माता लक्ष्मी बिष्ट को सम्मानित किया।

निवर्तमान महापौर ने कहा कि भूपेंद्र बिष्ट ने उत्तराखंड की सैन्य परंपरा में को और अधिक मजबूत किया है। उन्होंने भूपेंद्र की माता वीरनारी लक्ष्मी बिष्ट के संकल्प और समर्पण की भी सराहना की। इस अवसर पर हरीश रतूड़ी, अनूप बडोनी, राहुल त्रिपाठी, जनार्दन नवानी, संगीता गौड़, उर्मिला चमोली, रतनमणि अंथवाल, मानसी गौड़, स्मृति चमोली आदि लोग मौजूद रहे।

सेना में धर्मगुरु पिता का बेटा बना सैन्य अधिकारी

देहरादून: उत्तर प्रदेश के बस्ती निवासी अवनीश पांडे भी भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होकर अधिकारी बने हैं। उनके पिता कौशल पांडे सेना में धर्मगुरु हैं और वर्तमान में राजस्थान के जोधपुर में तैनात हैं। उन्होंने परिवार को हमेशा साथ रखा। इसलिए अवनीश को बचपन से ही सैन्य वातावरण मिला।

अवनीश लखनऊ स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई करने लगे, लेकिन परिवार की सैन्य परंपरा उन्हें अपनी तरफ खींचती रही। इस पर उन्होंने स्नातक की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और एनडीए की परीक्षा उत्तीर्ण कर भारतीय सैन्य अकादमी पहुंच गए।

गुरुजी का बेटा बना सेना में अफसर

शिक्षक पिता के बेटे पर बचपन में ही वर्दी वाला अफसर बनने का जुनून सवार हो गया। फिर क्या था, बेटे ने सेना में अफसर बनने की ठान ली और अब वह भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होकर सेना की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। उनकी इस उपलब्धि से पिता समेत पूरा परिवार गदगद है। टिहरी जिले के स्वाडी-गडोलिया गांव निवासी जयपाल सिंह गुसाईं सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। उनकी दो बेटियां और एक बेटा है।

बेटा अभिषेक घर में सबसे छोटा है तो सबसे ज्यादा लाड-प्यार भी उसे ही मिला। चंबा में हाईस्कूल तक की पढ़ाई के बाद अभिषेक देहरादून स्थित सेंट जोजफ्स एकेडमी में पढ़े। इसके बाद उन्होंने एनडीए की परीक्षा उत्तीर्ण की, जहां से भारतीय सैन्य अकादमी में प्रवेश मिला और अब वह कड़ी मेहनत के बाद सेना में अफसर बन चुके हैं। जयपाल सिंह गुसाईं बताते हैं कि अभिषेक को पूरे परिवार ने उसके सपने को पूरा करने के लिए प्रेरित किया।