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Uttarakhand News: आइएएस अधिकारी राम बिलास यादव के चहेते अधिकारियों की मुश्किलें भी बढ़ीं

आइएएस अधिकारी राम बिलास के चहेते दो अधिकारियों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। दोनों अधिकारियों पर आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज किया गया है। एक अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके है और एक सहायक निदेशक पद पर तैनात हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 11 Jun 2022 10:16 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jun 2022 10:16 PM (IST)
Uttarakhand News: आइएएस अधिकारी राम बिलास यादव के चहेते अधिकारियों की मुश्किलें भी बढ़ीं
आइएएस अधिकारी राम बिलास के चहेते दो अधिकारियों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं।

जागरण संवादददाता, देहरादून: आय से अधिक संपत्ति के मामले में आइएएस अधिकारी राम बिलास यादव पर शिकंजा कसे जाने के बाद उनके चहेते दो अधिकारियों की मुश्किलें भी बढ़ती दिख रही हैं। दोनों अधिकारियों पर भी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मुकदमा दर्ज है।

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एक अधिकारी हो चुके हैं सेवानिवृत्त, दूसरे समाज कल्याण के हैं सहायक निदेशक

इनमें एक अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं और दूसरे समाज कल्याण के सहायक निदेशक हैं। करीब एक साल पहले विजिलेंस ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन सहायक निदेशक एनके शर्मा और सहायक निदेशक कांतिराम जोशी पर मुकदमा दर्ज किया था।

एनके शर्मा सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि कांतिराम जोशी अभी सेवा में हैं। हालांकि, दोनों अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई के नाम पर विजिलेंस का रवैया ढीला ही रहा है। अब समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव राम बिलास यादव पर शिकंजा कसे जाने के बाद इन दोनों अधिकारियों पर भी कार्रवाई होने की अटकलें लगाई जा रही हैं।

बताया जा रहा है कि राम बिलास पर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की विजिलेंस की संयुक्त कार्रवाई के बाद एनके शर्मा व कांतिराम जोशी पर भी कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है। इन दोनों अधिकारियों पर अपर सचिव की खासी कृपा रही है। इनके विरुद्ध विभिन्न जांचों की फाइल कभी भी विभाग में अपेक्षित तेजी से आगे नहीं बढ़ पाईं।

यहां तक कि विजिलेंस की जांच और मुकदमा दर्ज करने में भी देरी की गई। मुकदमा भी अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद दर्ज हुआ। ऐसा नहीं है कि एनके शर्मा और कांतिराम जोशी पर आरोप कुछ समय पहले लगे हों, बल्कि विभिन्न स्तर पर तैनाती के दौरान इन पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगते रहे। विजिलेंस के मुकदमा दर्ज करने के बाद भी अधिकारियों पर शिकंजा नहीं कस पाया।


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