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केदारघाटी में हेलीकॉप्टरों की उड़ान से वन्यजीवों पर नहीं पड़ रहा असर

भारतीय वन्यजीव संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि केदारघाटी में हेलीकॉप्टरों की आवाजाही से वन्यजीवों पर फिलहाल कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है, पर भविष्य के लिए आगाह जरूर किया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 27 Apr 2017 01:26 PM (IST)Updated: Fri, 28 Apr 2017 06:00 AM (IST)
केदारघाटी में हेलीकॉप्टरों की उड़ान से वन्यजीवों पर नहीं पड़ रहा असर
केदारघाटी में हेलीकॉप्टरों की उड़ान से वन्यजीवों पर नहीं पड़ रहा असर

देहरादून, [जेएनएन]: केदारघाटी में हेलीकॉप्टरों की अत्यधिक आवाजाही से वन्यजीवों पर फिलहाल कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है, लेकिन भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) ने भविष्य के लिए वन विभाग को आगाह जरूर किया है। इसके लिए उन्होंने अपनी अध्ययन रिपोर्ट में वन्यजीवों की स्वच्छंदता के लिए विभाग को विभिन्न संस्तुति भी जारी की हैं। वहीं, हेलीकॉप्टर की गड़गड़ाहट से जानवरों में तनाव की स्थिति का पता लगाने के लिए मल के जो सैंपल लिए गए थे, वह भविष्य में किए जाने वाले अध्ययन के लिए बेसलाइन डाटा का काम करेंगे। इसका जिक्र भी रिपोर्ट में किया गया है। 

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डब्ल्यूआइआइ की रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने केदारघाटी में लगाए गए 50 कैमरा ट्रैप से यह पता लगाया कि हेलीकॉप्टरों की उड़ान के दौरान संबंधित क्षेत्र में जानवरों के व्यवहार पर क्या फर्क पड़ रहा है। कैमरा ट्रैप से प्राप्त चित्रों के आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि इस शोर के बीच भी वन्यजीवों ने केदारघाटी से नाता नहीं तोड़ा है। जबकि कुछ जानवरों ने इस शोर का तोड़ निकालते हुए विचरण के समय में बदलाव कर दिया है। अब ये जानवर सुबह के समय सैर की जगह शाम को विचरण कर रहे हैं।

कैमरा ट्रैप के चित्रों के अलावा जानवरों में शोर से पैदा होने वाले तनाव की स्थिति जानने के लिए डब्ल्यूआइआइ वैज्ञानिकों ने केदारघाटी के विभिन्न स्थलों से जानवरों के मल के 300 नमूने एकत्रित किए थे। ताकि यह पता लगाया जा सके कि इसमें स्ट्रेस हार्मोन की स्थिति क्या है। इन नमूनों को जांच के लिए हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) में भेजा गया था। हालांकि जांच में जो नतीजा सामने आया, उसके आधार पर वैज्ञानिकों ने कोई भी निष्कर्ष निकालने में असमर्थता जताई है।

इसकी वजह यह कि देश में इससे पहले ऐसा कोई अध्ययन नहीं किया गया था, जिसके आधार पर मल के परिणाम से उसकी तुलना की जा सके। हालांकि यह नतीजे अब भविष्य में होने वाली जांच के लिए बेसलाइन डाटा का काम करेंगे। क्योंकि आने वाले सालों में इस तरह का कोई भी अध्ययन होगा तो बेसलाइन व नए परिणाम के अंतर के आधार पर कोई निष्कर्ष निकाला जा सकता है। 

प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) डीबीएस खाती ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि डब्ल्यूआइआइ की रिपोर्ट में वन्यजीवों पर प्रतिकूल असर के प्रमाण नहीं मिले हैं। हालांकि वैज्ञानिकों ने हेलीकॉप्टरों की उड़ान को लेकर कुछ सुझाव जरूर दिए हैं और उन पर अमल की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

यह संस्तुति जारी की गईं

-केदारघाटी में हेलीकॉप्टरों की उड़ान नियंत्रित की जाएं।

-हेलीकॉप्टर की उड़ान में ऊंचाई के मानकों का कड़ाई से पालन हो।

-ऐसी व्यवस्था की जाए कि केदारनाथ पहुंचने वाले लाखों यात्रियों के चलते वन्यजीवन प्रभावित न हो।

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