उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित बुग्यालों की सेहत की होगी जांच
उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित बुग्यालों (एल्पाइन जोन के घास के मखमली स्थल) की सेहत की जांच की जाएगी। देखा जाएगा कि यहां की विभिन्न वनस्पतियों जड़ी-बूटियों की क्या स्थिति है। इससे जलवायु परिवर्तन की तस्वीर भी साफ हो पाएगी। यूसैक ने इस अध्ययन का जिम्मा उठाया है।
देहरादून, सुमन सेमवाल। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित बुग्यालों (एल्पाइन जोन के घास के मखमली स्थल) की सेहत की जांच की जाएगी। देखा जाएगा कि यहां की विभिन्न वनस्पतियों, जड़ी-बूटियों की क्या स्थिति है। इससे जलवायु परिवर्तन की तस्वीर भी साफ हो पाएगी। उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) ने इस अध्ययन का जिम्मा उठाया है। इस काम में अहम बात यह भी है कि कोरोनाकाल में नौकरी छूटने के चलते वापस लौट चुके या अन्य बेरोजगार स्थानीय युवाओं को इसमें शामिल किया गया है। ताकि युवाओं को रोजगार मिल सके और विज्ञान के प्रति उनकी जिज्ञासा भी बढ़ पाए।
यूसैक के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने बताया कि प्रथम चरण में छह बुग्यालों का चयन किया गया है। अध्ययन में यह ध्यान रखा गया है कि यह काम सिर्फ स्थानीय बेरोजगार युवाओं को ही दिया जाए। इसमें शामिल युवाओं के मोबाइल पर एक एप इंस्ट्रॉल की जा रही है। जैसे ही वह एप के माध्यम से किसी वनस्पति, फूल, जड़ी-बूटी की तस्वीर लेंगे, उस स्थल के कोर्डिनेट्स (लैटीट्यूड-लॉंगीट्यूड) का पता चल जाएगा। इस तरह संबंधित बुग्याल की जियो टैगिंग भी हो जाएगी। साथ ही, चित्र के माध्यम से स्पष्ट हो पाएगा कि संबंधित वनस्पति कौन सी है और वह किस घनत्व में उपलब्ध है। घनत्व का पता इसलिए भी चल जाएगा, क्योंकि एक स्थल एक वर्गमीटर का होगा और उसी हिसाब से तस्वीर ली जाएगी। इन छह बुग्यालों में एक वर्गमीटर के 500 स्थलों का चयन किया जा रहा है। अध्ययन के माध्यम से यह भी पता चल सकेगा कि बुग्यालों की वनस्पतियों पर जलवायु परिवर्तन का क्या असर पड़ रहा है। डॉ. बिष्ट के मुताबिक दयारा बुग्याल से यह काम शुरू भी कर दिया गया है। स्थानीय युवाओं की भागीदारी से उन्हें रोजगार भी मिल पा रहा है और कोरोनाकाल में विज्ञानी भी अनावश्यक यात्रा से दूर हैं।
इन बुग्यालों का किया चयन
- केदारनाथ, मध्यमहेश्वर, चोपता, फूलों की घाटी, वेदनी, दयारा
सरकारी रिकॉर्ड में 83 बुग्याल, खोज जारी
उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र उत्तराखंड में 3000 मीटर से अधिक ऊंचाई के नए बुग्यालों की खोज में भी जुटा है। सरकारी रिकॉर्ड में अभी 83 बुग्याल दर्ज हैं, मगर राज्य में इनकी संख्या 250 से ऊपर होने का अनुमान है।
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