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डेंगू पर स्वास्थ्य महकमा अब भी सुप्त अवस्था में

जागरण संवाददाता, देहरादून: डेंगू ने पिछले साल जमकर कहर बरपाया था, मगर स्वास्थ्य विभाग ने फिर भी सब

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Jul 2017 11:00 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jul 2017 11:00 PM (IST)
डेंगू पर स्वास्थ्य महकमा  अब भी सुप्त अवस्था में
डेंगू पर स्वास्थ्य महकमा अब भी सुप्त अवस्था में

जागरण संवाददाता, देहरादून: डेंगू ने पिछले साल जमकर कहर बरपाया था, मगर स्वास्थ्य विभाग ने फिर भी सबक नहीं लिया। विभाग दून में सोर्स रिडक्शन और जागरुकता अभियान जरूर चला रहा है, लेकिन अन्य जनपदों में अभी यह काम शुरू ही नहीं हुआ है। मंगलवार को स्वास्थ्य महानिदेशालय में आयोजित बैठक में यह बात सामने आई।

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राज्य में डेंगू से बचाव व नियंत्रण की तैयारियों की समीक्षा मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. नवीन बलूनी ने की। उन्होंने जनपदवार तैयारियों की जानकारी ली। डॉ. बलूनी ने निर्देश दिए कि हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर व अन्य जनपदों में भी आशा कार्यकर्ताओं की मदद से सोर्स रिडक्शन व जागरुकता अभियान जल्द शुरू किया जाए। अगले एक माह तक प्रत्येक संभव उपाय किए जाएं ताकि व्यवस्था को लेकर जनता में विश्वास उत्पन्न हो सके। स्वास्थ्य महानिदेशक यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक सरकारी कार्यालय, सरकारी व निजी अस्पताल डेंगू कंट्रोल सेल बनाएं और एक नोडल अधिकारी नामित करें। नोडल अधिकारी कार्यालय-अस्पताल को डेंगू मच्छर से मुक्त बनाने के लिए उत्तरदायी होगें। प्रत्येक चिकित्सालय पर पैथोलॉजिस्ट एवं पैरा मेडिकल कर्मचारियों की पूर्ण तैनाती भी सुनिश्चित करने के निर्देश उन्होंने दिए। साथ ही कहा कि जन जागरुकता के लिए विभिन्न संस्थाओं, धार्मिक संगठन एवं विभागों के साथ लगातार बैठक करें। इस दौरान निदेशक स्वास्थ्य डॉ. एलएम उप्रेती, देहरादून, हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर के सीएमओ, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, जिला मलेरिया अधिकारी, मुख्य नगर अधिकारी आदि उपस्थित रहे।

पूरी बांह के कपड़े पहनें

डेंगू से बचाव के लिए डॉ. बलूनी ने अधिकारियों को स्कूलों में ड्रेस कोड लागू किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारियों के माध्यम से स्कूलों में बच्चों के लिए पूरी बांह की ड्रेस कोड लागू की जाए, ताकि मच्छरों से बचा जा सके।

लार्वा मिला तो होगा चालान

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस रावत ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह ऐसे संस्थान व परिसरों का चालान काटें, जहा पर जन स्वास्थ्य के लिए खतरे की स्थितिया उत्पन्न हो रही हैं। वहां मच्छरों के पैदा होने के लिए वातावरण अनुकूल बना है।


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