Haridwar Panchayat Chunav 2022 : हरिद्वार उत्तराखंड का एकमात्र ऐसा जिला, जहां शेष 12 जिलों के साथ नहीं होते पंचायत चुनाव
Haridwar Panchayat Chunav 2022 हरिद्वार एकमात्र ऐसा जिला है जिसमें पंचायत चुनाव राज्य के शेष 12 जिलों के साथ नहीं होते। राज्य गठन के बाद से ही यह परिपाटी चली आ रही है। हरिद्वार जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 20 से 25 अगस्त के बीच हो सकते हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून : Haridwar Panchayat Chunav 2022 : हरिद्वार जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 20 से 25 अगस्त के बीच हो सकते हैं। जिले में त्रिस्तरीय पंचायतों (ग्राम, क्षेत्र व जिला) में आरक्षण निर्धारित करने के लिए पांच से 15 जुलाई का समय तय किया गया है। आरक्षण तय होने पर शासन इसकी सूचना राज्य निर्वाचन आयोग को भेजेगा।
राज्य गठन के बाद से ही चली आ रही यह परिपाटी
हरिद्वार एकमात्र ऐसा जिला है, जिसमें पंचायत चुनाव राज्य के शेष 12 जिलों के साथ नहीं होते। राज्य गठन के बाद से ही यह परिपाटी चली आ रही है। पिछले वर्ष मार्च से जून के मध्य पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। पंचायतीराज अधिनियम के अनुसार प्रशासक कार्यकाल छह माह से अधिक नहीं हो सकता।
बावजूद इसके प्रशासक कार्यकाल में चुनाव नहीं हो पाए तो सरकार ने अधिनियम में संशोधन पारित कराकर प्रशासकों का छह माह का कार्यकाल बढ़ाया, लेकिन इस अवधि में भी चुनाव नहीं हो पाए। बाद में उच्च न्यायालय ने जल्द चुनाव कराने के निर्देश दिए।
इसे देखते हुए शासन ने कसरत तेज कर दी। हरिद्वार में त्रिस्तरीय पंचायतों के लिए परिसीमन पूर्ण कर लिया गया है। अब पंचायतों के लिए आरक्षण का कार्यक्रम तय किया गया है, जो पांच से 15 जुलाई के बीच होगा। इसके बाद शासन राज्य निर्वाचन आयोग को सूचना भेजेगा। नियमानुसार आरक्षण तय होने के बाद 30 से 35 दिन के भीतर चुनाव कराए जाते हैं। ऐसे में 20 से 25 अगस्त के बीच चुनाव होने की संभावना है।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का नहीं पड़ेगा असर
सुप्रीम कोर्ट ने हाल में महाराष्ट्र के एक मामले में पंचायतों में ओबीसी आरक्षण निर्धारण के दृष्टिगत इसका आयोग से परीक्षण कराने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं, ताकि आरक्षण नियमानुसार निर्धारित हो सके। सचिव पंचायतीराज नितेश झा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की इस गाइडलाइन का हरिद्वार के पंचायत चुनाव पर असर नहीं पड़ेगा। कारण ये कि यहां पूर्व में तय व्यवस्था के अनुसार ही ओबीसी आरक्षण का निर्धारण किया जाना है।