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Haridwar Kumbh Mela 2021: 'ग्रीन-क्लीन कुंभ' की थीम पर आधारित होगा इस बार कुंभ का आयोजन

Haridwar Kumbh Mela 2021 कोविड के साये के बीच हरिद्वार में कुंभ की तैयारियां जोरों पर हैं। आस्था के मेले के लिए हरकी पैड़ी से लेकर पूरी कुंभ नगरी का कायाकल्प किया जा रहा है। इस बार कुंभ का आयोजन ग्रीन-क्लीन कुंभ की थीम पर आधारित होगा।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 31 Dec 2020 08:48 PM (IST)Updated: Thu, 31 Dec 2020 11:14 PM (IST)
आस्था के मेले के लिए हरकी पैड़ी से लेकर पूरी कुंभ नगरी का कायाकल्प किया जा रहा है।

अनूप कुमार, हरिद्वार : Haridwar Kumbh Mela 2021 कोविड के साये के बीच हरिद्वार में कुंभ की तैयारियां जोरों पर हैं। आस्था के मेले के लिए हरकी पैड़ी से लेकर पूरी कुंभ नगरी का कायाकल्प किया जा रहा है। इस बार कुंभ का आयोजन 'ग्रीन-क्लीन कुंभ' की थीम पर आधारित होगा। इसमें गंगा की शुद्धता और पर्यावरण की रक्षा पर सारा जोर रहेगा। इसके तहत कुंभ के दौरान विद्युत ऊर्जा का कम से कम लगभग शून्य इस्तेमाल करने और सौर ऊर्जा का अधिकाधिक इस्तेमाल करने की योजना है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो कुंभ के इतिहास में पहली बार कुंभ मेला शुभांरभ और समापन समारोह का आयोजन होगा। इस मौके पर बड़े पैमाने पर 'ईको-फ्रेंडली' आतिशबाजी और लेजर शो कराने की तैयारी है। इस दौरान पूरा हरकी पैड़ी क्षेत्र-मुख्य कुंभ नगर सोलर-पावर आधारित एलईडी लाइट््स से जगमग रहेगा। 

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यही नहीं मेला स्थल और नहर पटरी मार्ग को खूबसूरत बनाने को हजारों की संख्या में लगाए जाने वाले हैरिटेज पोल भी सौर ऊर्जा आधारित होंगे। मेला क्षेत्र को ग्रीन जोन घोषित कर यहां आवश्यक सेवा से जुड़े वाहनों को छोड़ डीजल-पेट्रोल वाहनों पर रोक लगाने की योजना है। इस दौरान यहां केवल बैटरी और सौर ऊर्जा आधारित वाहनों को ही चलाए जाने की अनुमति होगी। इसके लिए सौर ऊर्जा से चार्ज होने वाले रिक्शा, टेपो और बस को बड़े पैमाने पर चलाने की योजना है। पूरे मेला क्षेत्र को भव्य रूप प्रदान करने के लिए शानदार तरीके से आकर्षक रंगों से सजाने की योजना है, इसमें भी सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे दिन के समय अलग रंग नजर आने वाला कुंभ मेला क्षेत्र शाम गहराते ही 

सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली विविध रंगों की लेजर लाइट््स से दमकने लगेगा, इन लाइट््स की वजह से कुंभ मेला क्षेत्र की इमारतों का अपने-अपने बदलने लगेगा।

चार शाही स्नान, छह पर्व स्नान

 कुंभ आयोजित करने के लिए ग्रह नक्षत्रों के विशेष समय में नियत स्थान पर आने पर आधारित होता है। मेष राशि में सूर्य और कुंभ राशि में बृहस्पति के आने के संयोग पर हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है। इस बार संयोग 2021 में 10 अप्रैल के बाद दिखाई दे रहा है। कुंभ के लिए निर्धारित 12 वर्ष की अवधि यानि 2022 में ऐसा कोई संयोग नहीं बनता नजर आ रहा है। यही कारण है कि अखाड़ा परिषद में हरिद्वार कुंभ को 2021 में ही आयोजित किए जाने का फैसला लिया गया है। इस लिहाज से हरिद्वार में कुंभ की कुल अवधि मात्र 17 दिन की ही बन रही थी। पर, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महाशिवरात्रि 11 मार्च पर शाही स्नान को महत्व दिये जाने के कारण कुंभ का पहला शाही स्नान 11 मार्च को रखा गया है। इस हिसाब से अबकी हरिद्वार कुंभ की कुल जमा अवधि 1 माह 16 दिन की ही हो रही है।

महत्वपूर्ण तिथियां

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के अनुसार पहला शाही स्नान-महाशिवरात्रि 11 मार्च, दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल--अमावस्या, तीसरा शाही स्नान 14 अप्रैल--वैशाखी और मेष संक्रांति और चौथा व अंतिम शाही स्नान 27 अप्रैल --चैत्र पूर्णिमा है। 

छह पर्व स्नान की तिथियां

श्रीगंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ के अनुसार पर्व स्नान में मकर संक्रांति-14 जनवरी,  मौनी अमावस्या--11 फरवरी, बसंत पंचमी--16 फरवरी, माघ पूर्णिमा--27 फरवरी,  चैत्र शुक्ल प्रतिपदा--13 अप्रैल और रामनवमी --21 अप्रैल शामिल हैं। 

पंजीकरण अनिवार्य, मिलेगा घाट का नक्शा

मुख्य स्नान के लिए कुंभ के पोर्टल पर पंजीकरण के दौरान आपको नाम के साथ घाट का चयन करना होगा। उस समय यदि घाट फुल होगा तो पोर्टल रिक्वेस्ट स्वीकार नहीं करेगा। इसके बाद दूसरे घाट का विकल्प मिलेगा। घाट का चयन होने के बाद पोर्टल पर श्रद्धालु को पूरा नक्शा मिल जाएगा कि किस रास्ते से उन्हें घाट तक पहुंचना है। 

ग्रह नक्षत्रों के योग के हिसाब से तय होगा मुख्य स्नान का समय और घाट 

 कोरोना महामारी के बीच हरिद्वार कुंभ के आयोजन का पूरा खाका खींच लिया गया है। कोविड-19 की गाइडलाइन के साथ 107 घाटों पर स्नान का खाका भी तैयार कर लिया गया है। कुंभ क्षेत्र में एक दिन में करीब ढाई लाख वाहनों की पार्किंग का इंतजाम किया जा रहा है। कुंभ में मुख्य स्नान को लेकर पोर्टल पर पंजीकरण करने के साथ ही हर श्रद्धालु के लिए इस बार घाट और गंगा स्नान का समय निर्धारित होगा। यह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच ग्रह और नक्षत्रों के योग के हिसाब से समय दिया जाएगा, ताकि कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन कर लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने का पुण्य कमा सकें। 

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गंगा स्नान के लिए 10 से 15 मिनट

 श्रद्धालुओं को इस बार घाट पर 10 से 15 मिनट तक रहने का मौका मिलेगा। नए प्रस्ताव में यह सुविधा दी गई है, जबकि इससे पहले कुंभ में श्रद्धालुओं को तीन से चार डुबकी लगाने के बाद ही बाहर होना पड़ता था। मुख्य स्नानों पर 30 से 40 लाख लोगों की व्यवस्था का प्लान किया गया है, जबकि पूर्व में हुए कुंभ में 70 से 80 लाख लोग आते रहे हैं।

सामान्य स्नान पर कोई रोकटोक नहीं

एक जनवरी से 27 अप्रैल तक चलने वाले हरिद्वार कुंभ में पंजीकरण, स्नान का समय और घाटों के निर्धारण की व्यवस्था केवल मुख्य स्नानों पर ही रहेगी। सामान्य दिनों में कुंभ स्नान के लिए कोई रोकटोक नहीं रहेगी। कुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल का कहना है कि भीड़ सीमित करने की भी फिलहाल कोई योजना नहीं है। हालांकि, इन व्यवस्थाओं में स्थिति और समय के साथ बदलाव हो सकता है। 

हरकी पैड़ी का कायाकल्प

 हरिद्वार कुंभ के लिए 34 करोड़ की योजना के तहत जोर-शोर से कायाकल्प चल रहा है। इसके तहत स्नान घाट का सौंदर्यीकरण, दिव्यांगों के आने-जाने को हाइडत्त््रोलिक चेयर, स्टील की सुरक्षा रैेङ्क्षलग, तोरणद्वार, एलईडी आदि का काम हो रहा है।

दस वर्षों से लंबित हाइवे के पूरा होने की तैयारी

 हरिद्वार कुंभ की बड़ी उपलब्धि यह भी होगी कि यहां दस वर्षों से निर्माणाधीन चल रहा हरिद्वार-मुज्जफïरनगर हाइवे के पूरा होने की तैयारी हो गयी है। हाइवे का करीब 70 फीसद काम पूरा हो गया है, जबकि बाकी के 30 फीसद हिस्से पर काम युद्ध स्तर पर जारी है।

रेलवे कर रहा विशेष तैयारी

हरिद्वार कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रेलवे विशेष तैयारी कर रहा है। करीब 50 जोड़ी स्पेशल ट्रेन चलाने की तैयारी है। यह काम मुरादाबाद रेल मंडल के परिचालन विभाग को सौंपा गया है। प्रथम चरण में 10 मेला स्पेशल ट्रेन चलाई जानी हैं। उत्तराखंड सरकार की सहमति नहीं मिलने के कारण पैसेंजर ट्रेनें नहीं चलाई जाएंगी। केवल एक्सप्रेस ट्रेनें हीं चलाई जाएंगी। इसलिए कोरोना के कारण बंद पड़ीं नियमित 25 एक्सप्रेस ट्रेन को चार जनवरी से पहले ही हरिद्वार से चलाये जाने की योजना है। इसके साथ ही महाराष्ट्र, ओडिशा, दक्षिण भारत, पश्चिम बंगाल, बिहार के लिए ट्रेनें चलना शुरू हो जाएंगी। रेलवे प्रशासन के अनुसार वह 2010 कुंभ की व्यवस्था के अनुसार, मेला स्पेशल ट्रेनों को चलाने की तैयारी कर रहा है। नियमित ट्रेनों के चलने के बाद खाली समय के आधार पर हरिद्वार से दिल्ली, लखनऊ, अमृतसर, जोधपुर, इलाहाबाद के लिए मेला स्पेशल ट्रेनें चलाने की योजना है। 

मेला क्षेत्र को सुंगधित बनाने की तैयारी

कुंभ मेला अधिष्ठान हरिद्वार कुंभ को अनोखा स्वरूप देने के लिए कई तरह की योजनाओं पर काम कर रहा है, इसके तहत पूरे कुंभ मेला क्षेत्र में चौबिसों घंटे सुगंधित वातावरण बनाए रखने को खास तैयारी की गई है। मेला अधिष्ठान पूरे कुंभ मेला क्षेत्र में अभियान चला कर इस तरह के सुगंधित फूलों के पौधे लगाने जा रहा है, जो दिन और रात अपनी खुशबू बिखरते हैं।

वाम व्हाइट लाइट से रोशन हैरिटेज पोल बढ़ायेंगे आस्था पथ का आर्कषण 

हरिद्वार कुंभ को अलौकिक, अद्भुत अद्वितीय और भव्य बनाने को कुंभ मेला अधिष्ठान बड़े पैमाने पर Óकुंभ मेला आस्था पथ और रामपथ का निर्माण करा रहा है। काम अस्सी फीसद पूरा हो चुका है। यह हिन्दू सनातन धर्म, धार्मिक आस्था, भारतीय सांस्कृतिक परंपरा और दर्शन के अध्यात्म रंग में रंगा यह आस्था पथ तीर्थ यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र तो होगा ही, साथ ही यह धर्मनगरी के सौंदर्य में इजाफा कर चार चांद लगा देगा। कुंभ मेला अधिष्ठान योजनाबद्ध तरीके से इसका निर्माण करा रहा है। इसका निर्माण इस तरह किया जा रहा है, जिससे यह न सिर्फ कुंभ मेला के दौरान प्रमुख आर्कषणों में शामिल हो, बल्कि इसकी गिनती वल्र्ड हैरिटेज साइट में हो और यह हरिद्वार के लिए आने वाले वर्षों का बड़ा आकर्षण बना रहे। मेला अधिष्ठान इसके लिए ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के स्थानों, उनकी झांकियों और घटनाओं को इसके दोनों किनारों पर जीवंत करने तैयारी में है, ताकि यहां से गुजरने वाले हर तीर्थ यात्रियों को अद्भुत और अलौकिक एहसास का अनुभव हो। कुंभ मेला आस्था पथ के दोनों किनारों पर कुंभ मेला, इसके ऐतिहासिक महत्व, गंगा नदी, अखाड़ों का इतिहास, प्रमुख संत और गंगा के अवतरण से संबंधित झांकियों को आकर्षक और जीवंत तरीके से प्रस्तुत किए जाने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए आधुनिक तकनीकी के इस्तेमाल के साथ-साथ मंजे हुए कलाकारों की भी सेवाएं लेने की तैयारी है, वहीं पथ के दोनों किनारों की दीवारों पर कुंभ मेला, सनातन ङ्क्षहदू धर्म से संबंधित जानकारी, घटनाओं, प्रमुख तीर्थस्थलों और देवी-देवताओं से संबंधित प्रसंग को आर्कषक और रोचक तरीके से चित्रित किया जाएगा। तमाम जगहों पर तो आधुनिक डिजीटल तकनीकी के सहारे इनका सजीव प्रस्तुतिकरण किए जाने की तैयारी भी है। इसके लिए आसपास के स्थानों को उसी काल और परिस्थिति के अनुरूप ढाल दिया जाएगा, जिससे यहां से गुजरने वाले तीर्थयात्रियों को उसी काल और परिस्थिति का अनुभव हो और वह खुद के उसी दौर में होने का अनुभव कर सकें। इनका प्रस्तुतिकरण इस ढंग से किया जाएगा कि इस जगह गुजरने वाला हर व्यक्ति पूरी तरह से भक्ति में लीन हो, ईश्वर के ध्यान में मगन हो जाएगा।

स्मार्ट और हैरिटेज पोल बढांयेंगे सौंदर्य

 कुंभ मेला आस्था पथ हैरिटेज और स्मार्ट पोल से सुसच्जित होगा, जो अपनी खास च्वाम-व्हाइटच् रोशनी से इस पर सफर करने वाले श्रृद्धालुओं को अलग दुनिया में होने का अहसास करायेगा। स्मार्ट पोल अपनी तरह के अनोखा पोल है, जो सौर ऊर्जा से संचालित होगा और एक साथ कई तरह से सेवाएं मेला प्रशासन को देगा। इसमें यूसबी पोर्ट, एनांउस सिस्टम, डिस्प्ले बोर्ड और वाई-फाई आदि सुविधा होगी।  

भीमगोडा की पहचान सूखी नदी के पुल का होगा जीर्णोंद्धार

 कुंभ मेला आस्था पथ में हरकी पैड़ी क्षेत्र के ऐतिहासिक स्थल भीमगोडा की पहचान सूखी नदी को भी शामिल किया गया है, इसके तहत नदी पर बने पुल का जीणोंद्धार कराया जाएगा। इसके लिए कुंभ मेला आस्था पथ की कार्ययोजना के में संसोधन किया जा रहा है।

असमंजस भी बरकरार

 बहुप्रतीक्षित हरिद्वार को भी  पर करो ना संक्रमण का साया इस कदर पड़ा की जिसकी तैयारियां गुजरती ही चली गई पहले सरकार की ढिलाई उसके बाद लॉकडाउन की अवधि बाद में कोरोना संक्रमण के घटने बढऩे के दौडऩे इसे कभी भी गति में आने नहीं दिया नतीजतन कुंभ की तैयारियों को लेकर ना तो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और ना ही राज्य सरकार कुंभ के आयोजन का स्वरूप क्या होगा, इस पर अब तक अंतिम निर्णय नहीं ले सकी है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद राज सरकार को पहले ही लिख कर दे चुका है कि अगर कोरोना संक्रमण बड़ा तो अखाड़ा परिषद कुंभ का केवल प्रतीकात्मक शाही स्नान करेगी, शाही जुलूस या  पेशवाई नहीं निकालेगी। प्रतीकात्मक शाही स्नान में भी सभी तेरह अखाड़ों के मात्र दो-दो प्रतिनिधि ही स्नान को जाएंगे। आम श्रद्धालु को इसकी इजाजत नहीं होगी। 

इनका कहना है

कुंभ मेलाधिकारी दीपक रावत का कहना है कि कुंभ मेला आस्था पथ, हरिद्वार कुंभ का प्रमुख आकर्षण होगा, इसके लिए बड़े और भव्य पैमाने पर कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसमें सनातन हिन्दू धर्म और भारतीय सांस्कृतिक-परंपरा व दर्शन का सजीव और भव्य उल्लेख होगा, आधुनिक तकनीकी और परंपरागत व्यवस्थाओं-साधनों का इस्तेमाल किया जाएगा। कोशिश है कि यह यहां आने वाले श्रृद्धालुओं को अलौकिक और अद्वितीय अनुभव प्रदान करे। कोशिश है कि इसका निर्माण इस तरह से हो कि इसकी गिनती वल्र्ड हैरिटेज साइट के तौर पर हो। हरिद्वार कुंभ में गंगा की शुद्धता और पर्यावरण की रक्षा के लिए इसे ग्रीन कुंभ की थीम पर आयोजित किए जाने की तैयारी है। कोशिश है कि कुंभ के दौरान बिजली पर होने वाले भारी-भरकम खर्च को कम किया जाए और सौर ऊर्जा का अधिकाधिक उपयोग किया जाए। इसके लिए संबंधित विभागों के साथ विचार-विमर्श कर ठोस योजना तैयार की जा रही है। शासन स्तर से अनुमति मिलते ही इस पर अमल शुरु कर दिया जाएगा।

 पुलिस महानिरीक्षक कुंभ संजय गुंज्याल की मानें तो कोविड-19 के बीच महाकुंभ की व्यवस्थाओं के लिए मुख्यमंत्री स्तर पर निर्णय लिया जा चुका है। करीब 107 घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं को गंगा स्नान कराने के लिए पूरी कार्ययोजना तैयार की गई है। पोर्टल पर पंजीकरण के साथ हर श्रद्धालु के लिए स्नान का समय तय रहेगा, वो उसी समय संबंधित घाट पर जाकर गंगा में डुबकी लगा सकेंगे। इस बार 2010 कुंभ से बेहतर व्यवस्था करने की योजना है।

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