Haridwar Kumbh Mela 2021: मठ मंदिरों को सौंदर्यीकरण की आस, कुंभ मेला प्रशासन नहीं ले रहा सुध
Haridwar Kumbh 2020 कुंभ मेला क्षेत्र में शामिल ऋषिकेश मुनिकीरेती स्वर्गाश्रम के पौराणिक मठ मंदिरों को मेला बजट से अभी सौंदर्यीकरण की आस है। संत समाज मुख्यमंत्री समेत मेला प्रशासन को इस संबंध में आग्रह पत्र भेज चुका था।
ऋषिकेश, जेएनएन। Haridwar Kumbh Mela 2021 कुंभ मेला क्षेत्र में शामिल ऋषिकेश, मुनिकीरेती, स्वर्गाश्रम के पौराणिक मठ मंदिरों को मेला बजट से अभी सौंदर्यीकरण की आस है। संत समाज मुख्यमंत्री समेत मेला प्रशासन को इस संबंध में आग्रह पत्र भेज चुका था। जिस पर सकारात्मक कार्यवाही का भी आश्वासन मिला था। मेला प्रशासन के स्तर पर इस संबंध में अब तक कोई पहल नहीं की गई है।
तीर्थनगरी ऋषिकेश का वर्णन शास्त्रों में भी मिलता है। स्कंद पुराण के केदार खंड में ऋषिकेश और आसपास क्षेत्र स्थित पौराणिक मंदिरों और प्रमुख तप स्थलों का भी विस्तार से वर्णन किया गया है। यही कारण है कि इस क्षेत्र को तपोभूमि माना जाता है कुंभ की दृष्टि से इस क्षेत्र का महत्व कम नहीं है। यहां पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का आगमन होता है। चारधाम यात्र का शुभारंभ अभी यहीं से होता है। यहां के स्थानीय नागरिकों समेत संत समाज को यही आस रहती है कि कुंभ के बहाने इस क्षेत्र में स्थायी विकास के कार्य हो खासकर यहां के पौराणिक मठ और मंदिरों को भव्यता प्रदान कर इनका सौंदर्यीकरण किया जाए।
पुराणों में सोमेश्वर महादेव, चंद्रेश्वर महादेव, नीलकंठ महादेव, वीरभद्र महादेव, पातालेश्वर महादेव, त्रिवेणी संगम, सूर्य कुंड, वराह मंदिर, श्री भरत मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, शत्रुघ्न मंदिर का स्पष्ट वर्णन मिलता है। इसके बावजूद इन मंदिरों पर सरकार और कुंभ मेला प्रशासन का ध्यान नहीं गया है। नगर निगम के प्रथम वर्षगांठ समारोह में संत समिति की ओर से मुख्यमंत्री को इस संबंध में मांग पत्र दिया गया था, जिसमें हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ के तहत यहां के मठ मंदिरों के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण की मांग की गई थी। मुख्यमंत्री ने इस पर आश्वासन भी दिया था। एक वर्ष बीतने को है, लेकिनइस मांग पर शासन के स्तर पर कोई पहल नहीं हुई है। इस मद में कुंभ मेला प्रशासन के द्वारा बजट की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। अब तीर्थनगरी का संत समाज जल्द बैठक कर तीर्थ नगरी की अनदेखी पर सर्व सम्मत प्रस्ताव लाने जा रहा है।
बसंत पंचमी पर त्रिवेणी में स्नान और पर्व
अपर मेला अधिकारी कुंभ ललित नारायण मिश्र ने इस वर्ष सात फरवरी को पत्र जारी कर 14 जनवरी को देवप्रयाग में और 16 फरवरी बसंत पंचमी को ऋषिकेश त्रिवेणी घाट अदनान और पर्व को देखते हुए सभी प्रमुख विभागों के अधिकारियों को आदेशित किया था। सुदर्शन साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत गोपाल गिरी के द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र के जवाब में अपर जिलाधिकारी ने यह आदेश जारी किया था। उन्होंने इस संबंध में नगर आयुक्त ऋषिकेश, अधिशासी अभियंता ऊर्जा निगम, लोक निर्माण विभाग और पेयजल निगम को त्रिवेणी घाट और देवप्रयाग संगम में पर्याप्त व्यवस्थाएं बनाने के आदेश जारी किए थे। इसके बावजूद यहां तैयारी के नाम पर विभागीय सक्रियता नगण्य है।
षड्दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्मरक्षा समिति के महंत गोपाल गिरी ने बताया कि हमने मुख्यमंत्री से ऋषिकेश और देवप्रयाग संगम में पर्व का आयोजन करने के साथ हरिद्वार कुंभ स्थल के आसपास संतों को भूमि और सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कहा था। इस संबंध में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने मेलाधिकारी को आवश्यक निर्देश भी जारी किए थे, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
संत समिति ऋषिकेश के अध्यक्ष महंत विनय सारस्वत ने बताया कि संत समिति ऋषिकेश ने एक वर्ष पूर्व नगर निगम की वर्षगांठ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को मांग पत्र दिया था। मगर, सिर्फ हरिद्वार को ही कुंभ कार्यों के लिए केंद्रित किया गया है। ऋषिकेश की अनदेखी की जा रही है। तीन दिन के भीतर संत समाज की बैठक बुलाकर आवश्यक रणनीति तैयार की जाएगी। वहीं, महापौर अनीता ममगाईं का कहना है कि संत समिति के आग्रह पर ऋषिकेश की धार्मिक संपत्तियों को कर मुक्त किया गया है। मठ मंदिरों के सौंदर्यीकरण के लिए शासन और मेलाधिकारी को प्रस्ताव भेजा गया था। उसके रिमाइंडर भी भेजे गए। पुन: मुख्यमंत्री से आग्रह किया जाएगा।