Move to Jagran APP

उत्‍तराखंड में बढ़ती खेमेबाजी ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें, पढ़िए पूरी खबर

प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष के साथ प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर तेज हुई खेमेबंदी आने वाले समय में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने जा रही है। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के भीतर एकजुटता के लिए की जा रही कवायद को इस खींचतान से झटका लगा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 29 Jun 2021 06:47 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jun 2021 06:47 PM (IST)
उत्‍तराखंड में बढ़ती खेमेबाजी ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें, पढ़िए पूरी खबर
तेज हुई खेमेबंदी आने वाले समय में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने जा रही है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष के साथ प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर तेज हुई खेमेबंदी आने वाले समय में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने जा रही है। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के भीतर एकजुटता के लिए की जा रही कवायद को इस खींचतान से झटका लगा है। गुटीय संतुलन साधने में पार्टी की नाकामी चुनाव में उसके इरादों के सामने चुनौती बनकर खड़ी हो गई है।

loksabha election banner

2016 में बड़ी टूट झेल चुकी पार्टी को चंद महीनों बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा था। प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों में से महज 11 सीटें ही उसके खाते में जुट पाईं। पार्टी के हालात भांपकर ही कांग्रेस हाईकमान का पूरा जोर गुटीय खींचतान पर काबू पाने पर है। पिछले चार साल से ज्यादा वक्त में ऐसे कई मौके आए, जिनमें गुटबाजी खुलकर सामने आई। पार्टी की किरकिरी भी हुई। अब 2022 के चुनाव में चंद महीने ही बचे हैं। खेमों में बंटी पार्टी के लिए प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज भाजपा से दो-दो हाथ करने में कठिनाई पेश आने से इन्कार नहीं किया जा सकता।

नेता प्रतिपक्ष का पद डा इंदिरा हृदयेश के निधन से रिक्त हुआ है। इस पद पर नए चयन को लेकर उपजे मतभेदों ने पार्टी के भीतर ही सत्ता के लिए संघर्ष को तेज कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष के बहाने प्रतिद्वंद्वी खेमे के निशाने पर प्रदेश अध्यक्ष का पद भी आ गया है। पार्टी के भीतर से ही यह आवाज भी उठ रही है कि चुनाव से चंद महीनों पहले प्रदेश संगठन की कमान नए हाथों को सौंपने के लाभ से ज्यादा खतरे भी हो सकते हैं। खासतौर पर खेमेबाजी के बीच प्रदेश संगठन के नए मुखिया को कार्यकर्त्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए नए सिरे से संघर्ष करना पड़ सकता है।

यह भी पढ़ें-नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष पर सोनिया करेंगी फैसला, विधायक दल की बैठक में नेता के नाम पर नहीं बनी सहमति

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.