अब डीएम निरस्त करेंगे शत्रु संपत्तियों के गलत नामांतरण
प्रदेश में शत्रु संपत्ति के मामलों में कार्रवाई को जिलाधिकारियों को नए अधिकारों से लैस किया गया है।
रविद्र बड़थ्वाल, देहरादून
प्रदेश में शत्रु संपत्ति के मामलों में कार्रवाई को जिलाधिकारियों को नए अधिकारों से लैस किया गया है। अब वे इन संपत्तियों में गलत दर्ज कराए गए नामांतरण को खुद निरस्त कर सकेंगे। सरकार ने जिलाधिकारियों को इन अधिकारों का इस्तेमाल कर शत्रु संपत्तियों का नए सिरे से मूल्यांकन और चिह्नीकरण के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश में शत्रु संपत्तियों के मामले में जिलाधिकारी पुराने प्रचलित नियमों के तहत कार्रवाई कर रहे थे। इन नियमों में केंद्र सरकार 2015 व 2017 में संशोधन कर चुकी है। इन संशोधनों के बाद जिलाधिकारियों के अधिकारों में इजाफा किया गया है। अब जिलाधिकारी इससे संबंधित नई परिसंपत्तियों का मूल्यांकन और चिह्नीकरण कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें पहले अनुमति लेना जरूरी नहीं होगा। यही नहीं इस अवधि में यदि शत्रु संपत्तियों का नामांतरण गलत तरीके से कराया गया है तो उसे निरस्त करने का अधिकार जिलाधिकारियों को दिया गया है।
राजस्व सचिव सुशील कुमार ने बताया कि जिलाधिकारियों को उक्त अधिकारियों का इस्तेमाल करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। उन्हें शत्रु संपत्तियों की नए सिरे से जांच करने को भी कहा गया है। गौरतलब है कि केंद्र के सख्त रुख के बाद शत्रु संपत्ति के मामलों में कार्रवाई तेज करनी पड़ी। इसके बाद 69 ऐसी संपत्तियां खोज कर उन्हें सरकार में निहित किया जा चुका है। उक्त सभी संपत्तियों की कीमत करोड़ों में है।
दरअसल उत्तराखंड के पांच जिलों हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, देहरादून, नैनीताल और अल्मोड़ा में 69 शत्रु संपत्तियों का पता चल चुका है। देहरादून शहर, मसूरी, नैनीताल शहर और ऊधमसिंहनगर में किच्छा, ऊधमसिंहनगर और हरिद्वार में भगवानपुर, ज्वालापुर समेत कई स्थानों पर इनके होने की जानकारी सरकार को मिली है। राजस्व सचिव ने बताया कि 68 संपत्तियों का अब तक पता नहीं चला है। जिलाधिकारियों को उन्हें तलाश करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इन संपत्तियों को खोजने में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से मदद भी मांगी है।
इनसेट:
जिलेवार चिह्नित शत्रु संपत्तियां:
हरिद्वार, 26
ऊधमसिंहनगर, 27
देहरादून, 06
नैनीताल, 06
अल्मोड़ा, 04