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शीतकालीन सत्र : डीएम अल्मोड़ा के खिलाफ जांच कराएगी सरकार

नौकरशाही के बेलगाम होने का मसला विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में गूंजा। विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने अल्मोड़ा के डीएम द्वारा उनकी बात न सुनने और सरकार के निर्देश के बाद भी फोन न किए जाने की बात तब स्वीकारी जब वह पीठ पर आसीन थे।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 11:48 AM (IST)Updated: Wed, 23 Dec 2020 11:48 AM (IST)
संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि डीएम अल्मोड़ा के खिलाफ जांच कराएगी सरकार।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। नौकरशाही के बेलगाम होने का मसला मंगलवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में भी गूंजा। विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने अल्मोड़ा के डीएम द्वारा उनकी बात न सुनने और सरकार के निर्देश के बाद भी फोन न किए जाने की बात तब स्वीकारी, जब वह पीठ पर आसीन थे। इस पर विपक्ष ने अधिकारियों के रवैये को मुद्दा बनाते हुए सरकार को घेरने का प्रयास किया। हालांकि, सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि प्रकरण की जांच कराई जाएगी। बाद में पीठ ने व्यवस्था दी कि शासन इस प्रकरण का संज्ञान ले, अन्यथा पीठ स्वयं संज्ञान लेगी।

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हुआ यूं कि प्रश्नकाल खत्म होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल कुछ देर के लिए सदन से बाहर आए। उनकी अनुपस्थिति में पीठ पर विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान आसीन थे। इसी दौरान जब विशेषाधिकार की अवहेलना से संबंधित विषय आया तो चौहान अगले विषय पर बढ़ गए। इस पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने कहा कि उपाध्यक्ष चौहान का भी कोई विशेषाधिकार हनन का मसला था। बात सामने आई कि उपाध्यक्ष चौहान ने अल्मोड़ा जिले में तीन व्यक्तियों की मृत्यु के मद्देनजर सीएमओ को वहां भेजने के संबंध में डीएम को निर्देश दिए थे। बावजूद इसके ऐसा नहीं किया गया।

तभी संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने बात को संभालते हुए कहा कि उपाध्यक्ष ने बीते रोज यह मसला रखा था। डीएम अल्मोड़ा को निर्देश दिए गए थे कि वह उपाध्यक्ष को फोन कर खेद जताएं। इसी दौरान विपक्ष की ओर से पूछा गया कि क्या डीएम का फोन आया, इस पर उपाध्यक्ष चौहान ने स्पष्ट किया कि डीएम का फोन उन्हें नहीं आया। तब विपक्ष ने अफसरों की मनमानी का मसला उठाया।

बाद में विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल के आने पर संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि मुख्य सचिव को प्रकरण की जांच के निर्देश दिए जा रहे हैं। इस पर पीठ ने व्यवस्था दी कि शासन प्रकरण का संज्ञान ले, अन्यथा पीठ द्वारा इसका संज्ञान लिया जाएगा। इसके बाद ही विपक्ष के सदस्य शांत हुए।

बाद में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में संसदीय कार्यमंत्री कौशिक ने साफ किया कि उपाध्यक्ष की ओर से विशेषाधिकार हनन का नोटिस नहीं दिया गया था। ये जरूर है कि ये बात तब हुई, जब उपाध्यक्ष पीठ पर आसीन थे।

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