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तबादलों के बावजूद ज्वाइनिंग ना देने वाले अधिकारियों पर शासन की सख्ती, थमाई चार्जशीट

तबादला एक सामान्य प्रक्रिया है। यह अधिकारियों की सेवा शर्त का हिस्सा भी है। ऐसे में तबादलों को लेकर किसी प्रकार की हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। यह देखा जाता है कि जिन अधिकारियों के तबादले पर्वतीय क्षेत्रों में होते हैं वे वहां जाने से कन्नी काटने लगते हैं।

By Neel RajputEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 01:27 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 01:27 PM (IST)
तबादलों के बावजूद ज्वाइनिंग ना देने वाले अधिकारियों पर शासन की सख्ती, थमाई चार्जशीट
जिन चार अधिकारियों को चार्जशीट दी गई है, उन सभी का तबादला पर्वतीय जिलों में किया गया

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश सरकार ने तबादलों के बावजूद नए स्थान पर ज्वाइनिंग न देने वाले अधिकारियों को चार्जशीट थमाकर स्पष्ट संदेश दिया है। संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है कि शासन ने अधिकारियों को इस तरह के मामले में चार्जशीट दी है। शासन में यूं तो तबादला होना सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन देखा यह जाता है कि जिन अधिकारियों के तबादले पर्वतीय क्षेत्रों में होते हैं, वे वहां जाने से कन्नी काटने लगते हैं। जिन चार अधिकारियों को चार्जशीट दी गई है, उन सभी का तबादला पर्वतीय जिलों में किया गया है। अधिकारी पर्वतीय क्षेत्र में जाना पनिशमेंट पोस्टिंग समझते हैं। इस कारण वे इससे पीछा छुड़ाने के प्रयास में लगे रहते हैं। इसके लिए अपने राजनीतिक संपर्कों के जरिये वे पोस्टिंग बदलवाने या रुकवाने का प्रयास करते हैं। इतना ही नहीं, नई तैनाती पर ज्वाइनिंग न देनी पड़े, इसके लिए मेडिकल का भी सहारा लिया जाता है। इसमें अधिकारी सफल भी होते हैं। पिछले कई मामलों में देखने में आया है कि तबादला सूची जारी होने के बाद कुछ अधिकारियों के आदेश निरस्त करते हुए अधिकारियों को यथावत रखा गया।

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हाल ही में लोक निर्माण विभाग की सूची में भी यही कुछ हुआ था। शासन द्वारा जारी तबादला सूची में राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद कुछ अभियंताओं को उनके पूर्व के तैनाती स्थानों पर ही बहाल कर दिया गया। यही कारण रहा कि इस बार भी तबादलों के बाद कई अधिकारियों ने नई पोस्टिंग लेने में देरी की। यह बात अलग है कि शासन ने इस बार इस परिपाटी पर कड़ा रुख अपनाते हुए सख्त कदम उठाया। शासन ने न केवल अधिकारियों को चार्जशीट जारी की, बल्कि जिन अधिकारियों को जिलों से अवमुक्त नहीं किया गया था, उन्हें स्वत: अवमुक्त करने के निर्देश जारी कर दिए। साथ ही मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच के लिए इन्हें मेडिकल बोर्ड के समक्ष भेजा जाएगा। गलत मेडिकल देने वाले चिकित्सकों पर भी कार्रवाई की बात कही गई है।

निश्चित तौर पर इससे तबादला रुकवाने का प्रयास करने वाले हतोत्साहित होंगे और गलत मेडिकल सर्टिफिकेट देने वाले भी ऐसा करने में हिचकिचाएंगे। इससे तबादला करने के पीछे सरकार के कार्यों को गति देने की जो मंशा है, वह फलीभूत होगी। अधिकारियों को भी समझना होगा कि सरकारी सेवा में तबादला सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है। यह उनकी सेवा शर्त का भी हिस्सा है। जहां उनका तबादला हो, वे वहां पूरी शिद्दत से कार्य करें। सरकार को चाहिए कि वह अधिकारियों के मन से तबादलों के भय को खत्म करे। इसके लिए तबादलों में तय प्रक्रिया और पारदर्शिता का पालन होना जरूरी है। 


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