Move to Jagran APP

उत्‍तराखंड में सरकार के इस फैसले ने बढ़ाई अभिभावकों की चिंता, पढ़‍िए पूरी खबर

प्रदेश में सरकार के फैसले ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है। दो अगस्त से छठी से 12वीं कक्षा तक सभी स्कूल खोलने का फैसला किया गया है। कोरोना महामारी की वजह से बीते वर्ष मार्च माह से अब तक स्कूलों को खोला नहीं जा सका।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 04:01 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 04:01 PM (IST)
दो अगस्त से छठी से 12वीं कक्षा तक सभी स्कूल खोलने का फैसला किया गया है।

रविंद्र बड़थ्वाल, राज्‍य ब्‍यूरो: प्रदेश में सरकार के फैसले ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है। दो अगस्त से छठी से 12वीं कक्षा तक सभी स्कूल खोलने का फैसला किया गया है। कोरोना महामारी की वजह से बीते वर्ष मार्च माह से अब तक स्कूलों को खोला नहीं जा सका। सिर्फ 10वीं व 12वीं के बोर्ड परीक्षार्थियों के लिए कक्षाएं चलाने को कुछ दिन स्कूल खोले गए थे। पिछला तकरीबन पूरा सत्र आनलाइन पढ़ाई के भरोसे गुजरा। बीते दो महीने प्रदेश में कोरोना संक्रमण के लिहाज से बदतर रहे हैं।

loksabha election banner

अभी भी कम संख्या में ही सही, लेकिन कोरोना संक्रमण के मामले लगातार सामने आ ही रहे हैं। टीकाकरण भी हो रहा है। 18 वर्ष से अधिक आयु के युवाओं और अन्य व्यक्तियों का बड़ी संख्या में टीकाकरण हो चुका है। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों व किशोरों के लिए टीकाकरण की व्यवस्था नहीं है। अभिभावकों की चिंता की वजह यही है।

टेंशन में हैं उच्च शिक्षा मंत्री

उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत के माथे पर टेंशन देखी जा रही है। मामला उनके विधानसभा क्षेत्र श्रीनगर से जुड़ा है। राज्य में 2017 के बाद भाजपा ने भले ही तीन बार मुख्यमंत्री बदले, लेकिन हर सरकार में डा रावत की सियासी हैसियत बढ़ती रही। पहली बार उच्च शिक्षा राज्यमंत्री का जिम्मा मिला तो उच्च शिक्षा का केंद्र माने जाने वाले श्रीनगर क्षेत्र में उनकी जयकारे लगे थे। श्रीनगर क्षेत्र में केंद्रीय विश्वविद्यालय और एनआइटी भी हैं। तकनीकी शिक्षा का क्षेत्रीय कार्यालय है तो मेडिकल कालेज भी है। क्षेत्र की सियासत में शिक्षाविदों और शिक्षकों का हस्तक्षेप साफ दिखता है। तीसरी दफा तो डा रावत राज्यमंत्री से पूर्ण कैबिनेट मंत्री बन गए। हैसियत बढ़ी तो पूरे क्षेत्र में वाहवाही होनी ही थी। उनके प्रतिद्वंद्वी गणेश गोदियाल को कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बनाकर श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र को सियासत की नई धुरी बना दिया है। टेंशन की वजह यही है।

शिक्षकों को घर वापसी का मौका

उत्तरप्रदेश वापसी के इच्छुक शिक्षकों को एक और मौका मिलने जा रहा है। उत्तराखंड में कार्यरत उत्तरप्रदेश निवासी शिक्षकों की ओर से वापसी को लेकर लगातार प्रयास किए तो जा रहे हैं, लेकिन पहले विभाग और फिर शासन से हरी झंडी मिलने में देरी का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है। बीते फरवरी माह में उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के बीच कार्मिकों के आवंटन को लेकर बैठक हुई थी। दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। कार्मिकों को सहूलियत देने के लिए उठाए गए इस कदम का लाभ करीब पांच महीने गुजरने पर भी शिक्षकों को नहीं मिला। अब विभाग इस मामले में फिर से गंभीर हुआ है। काॢमकों के दोबारा आवंटन को लेकर दोनों राज्यों में समन्वय को गठित राज्य परामर्शीय समिति ने विभागों से लंबित प्रकरणों की सूची तलब की है। इसके बाद घर वापसी की तमन्ना रखने वाले शिक्षकों की मुराद पूरी करने को विभाग को जुटना पड़ा है।

यह भी पढ़ें- उत्‍तराखंड में बाघों का कुनबा बढ़ने के साथ ही चुनौतियां भी बढ़ी, पढ़िए पूरी खबर

पहले हुई किरकिरी, अब फेस सेविंग

माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने सेवानिवृत्त शिक्षकों को भी पदोन्नति देकर राजकीय हाईस्कूलों में हेडमास्टर बना दिया। इस कारस्तानी से हर कोई हक्का-बक्का है। आदतन विभाग ने गलती दोहरा दी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय बिफरे तो आनन-फानन में निदेशालय ने हेडमास्टर के रिक्त पदों पर पदोन्नति कर दी। पदोन्नति से पहले यह जानने का प्रयास नहीं किया गया कि वरिष्ठता सूची दुरुस्त है या नहीं। वरिष्ठता का मसला बीते दिनों शासन ने सुलटा दिया। निदेशालय को वरिष्ठता सूची अपडेट करने के निर्देश दिए गए। बावजूद इसके सूची अपडेट नहीं की गई। नतीजा ये हुआ कि कई ऐसे शिक्षक भी पदोन्नत किए गए, जो भाग्य खुलने के इंतजार में काफी पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जानकारी मिली तो शिक्षक संगठनों को हो-हल्ला करने का मौका मिल गया। लंबे समय में अटकी पदोन्नति को अंजाम देने पर शाबासी तो नहीं मिली, किरकिरी जरूर हो गई। अब निदेशालय फेस सेविंग में जुटा है।

यह भी पढ़ें- Uttarakhand Tourism: पहाड़ों की रानी मसूरी में बिना कोरोना रिपोर्ट प्रवेश पर प्रतिबंध बढ़ा, सिर्फ इनको मिलेगी छूट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.