देहरादून के बर्फबारी प्रभावित गांव में इस बार भी सरकारी इंतजाम हुए फेल
देहरादून के जौनसार-बावर के बर्फबारी प्रभावित इलाकों में जनजीवन पटरी पर नहीं लौट पा रहा है। इस बार भी सरकारी तंत्र बर्फबारी प्रभावित गांवों में जरूरी इंतजाम मुहैया कराने में फेल रहा है।
देहरादून, चंदराम राजगुरु। जौनसार-बावर के बर्फबारी प्रभावित इलाकों में जनजीवन तेरह दिन बाद भी पटरी पर नहीं लौट पा रहा है। इस बार भी सरकारी तंत्र बर्फबारी प्रभावित गांवों में जरूरी इंतजाम मुहैया कराने में फेल रहा है। ग्रामीण स्वयं के संसाधनों से जैसे-तैसे गुजारा चला रहे हैं। हाईवे समेत अन्य संपर्क मार्ग बंद होने से वाहनों की आवाजाही बीते तेरह दिनों से ठप है। रास्ते बंद होने से मरोज पर्व का जश्न फीका पड़ गया है। कुछ गांव में ग्रामीण अपने रिश्तेदार व विवाहिता बेटियों को मरोज का बांटा लेकर भी नहीं जा पाए। लोगों के पास तंत्र को कोसने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है।
बर्फ से ढके ऊंचाई वाले इलाकों में आसमान साफ होने से खिली चटक धूप से प्रकृति का खुबसूरत नजारा देखते ही बनता है। पर्यटकों के लिए प्रकृति का ये सुंदर नजारा भले ही मनमोहक हो, लेकिन यहां बसे लोगों की मुसीबतें बर्फबारी के बाद कम होने का नाम नहीं ले रही। रेकार्ड बर्फबारी से चकराता ब्लॉक के सुदूरवर्ती बर्फबारी प्रभावित जाड़ी, गोरछा, उदावां, लेबरा, कुनवा, बेगी, पिंगुवा, बागनी, मशक, लोखंडी, लोहारी, जाड़ी, मुंगाड़, मोहना, सैंज-कुनैन, भूठ, फनार, डूंगरी, पेनुवा समेत आसपास के कुछ अन्य गांवों में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है।
बर्फबारी से बंद पड़े चकराता-त्यूणी हाईवे और अन्य संपर्क मार्ग शुक्रवार को तेरह दिन बाद भी नहीं खुल पाए। जिससे सैकड़ों की आबादी घरों में कैद है। मोहना के स्याणा महेंद्र सिंह चौहान, बेगी-बागनी के पूर्व प्रधान मेहर सिंह चौहान, पूर्व प्रधान अतर सिंह चौहान, स्याणा शमशेर सिंह चौहान जाड़ी, गोरछा के स्याणा पूरण सिंह चौहान व लोखंडी के रोहन राणा आदि ने कहा बाजार से मीलों दूर बसे बर्फबारी प्रभावित गांवों में कई लोगों के घरों में रोजमर्रा के सामान जैसे नमक, तेल, मसाले, चाय-चीनी, आटा, चावल, दाल, आलू, प्याज और अन्य घरेलू सामान खत्म होने से बड़ी समस्या खड़ी हो गई।
इस बार भी सरकारी तंत्र बर्फबारी प्रभावित गांवों में जरूरी इंतजाम मुहैया नहीं करा पाया। ऐसे में लोग मौसम के साफ होने से बर्फ पिघलने का इंतजार कर रहे हैं। लोगों ने कहा कुछ दिन पहले तंत्र ने फुर्ती दिखाकर लोखंडी में फंसे दिल्ली के पर्यटकों को तो किसी तरह बाहर निकाल दिया। लेकिन उसके बाद से हाईवे खोलने की रफ्तार धीमी पड़ गई।
ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से बंद पड़े चकराता-त्यूणी हाईवे समेत अन्य संपर्क मार्गों को जल्द खोलने की मांग की है। माघ-मरोज में नहीं पहुंचा बेटियों का बांटा (रास्ते) बंद होने से बर्फबारी प्रभावित गांव में माघ-मरोज का जश्न फीका पड़ गया। जौनसार-बावर में परंपरागत तरीके से एक माह तक मनाए जाने वाले माघ-मरोज त्योहार में ब्याही बेटियों को बांटा ले जाने का रिवाज है, लेकिन रास्ते बंद होने से कंडमाण, शिलगांव, कांडोई-भरम व मशक क्षेत्र के ऊंचे इलाकों में दो से चार फुट तक बर्फ जमने से लोग रिश्तेदारी में नहीं जा पा रहे।
नौ फरवरी को क्षेत्र में माघ-मरोज पर्व संपन्न हो जाएगा। बेटियां भी मायके से आने वाले मेहमानों की राह ताक रही है। बिजली ठीक करने पहुंची ऊर्जा निगम टीम बर्फबारी प्रभावित भूठ-फनार, शिलगांव व कंडमाण क्षेत्र के कुछ गांवों व तोक-मजरों में बिजली तेरह दिन बाद बिजली व्यवस्था सुचारू हो पाई। जिससे अंधेरे में रात गुजार रहे लोगों को बड़ी राहत मिली। एसडीओ अशोक कुमार ने कहा कि जगह-जगह क्षतिग्रस्त हुई विद्युत लाइन ट्रांसफार्मर को ठीक करने में लगातार जुटी रही। जिससे क्षेत्र के सभी गांवों व तोक-मजरों में बिजली व्यवस्था चालू कर दी गई है।
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