मौर्य और गुप्त साम्राज्य के सिक्कों में दिखी भारत के समृद्धशाली इतिहास की झलक
उत्तराखंड कलेक्टर्स क्लब की ओर से राजा रोड स्थित कालूमल धर्मशाला में प्राचीनकाल के सिक्कों सामानों दस्तावेजों और डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगाई गई।
देहरादून, जेएनएन। मौर्य और गुप्त साम्राज्य के समय चलन में रहे सिक्कों ने लोगों को भारत के समृद्धशाली इतिहास की झलक दिखाई। वहीं, ब्रिटिश हुकुमत से पहले डच और पुर्तगाली शासनकाल के सिक्कों व सामानों ने भी रोमांचित किया। साथ ही 15 अगस्त 1947 के द स्टेट्समैन अखबार की प्रति ने भी लोगों को गौरवान्वित किया।
उत्तराखंड कलेक्टर्स क्लब की ओर से राजा रोड स्थित कालूमल धर्मशाला में प्राचीनकाल के सिक्कों, सामानों, दस्तावेजों और डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी में रखे गए सामानों को देखने और उसके बारे में जानने के लिए लोगों का तांता लगा रहा।
क्लब के सचिव हरमिंदर सिंह छाबड़ा ने बताया कि एक दर्जन से अधिक लोगों ने संग्रहित की गई वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी में जब लोग सैकड़ों साल पुराने सिक्के, किताबें, सामान और अन्य दस्तावेज देखते हैं तो रोमांचित हो उठते हैं। खासकर बच्चे हर एक वस्तु के बारे में कुरेद कर पूछते हैं। यह हमारे लिए गौरव की बात होती है, क्यों कि उस समय हम उन्हें देश के गौरवशाली इतिहास की जानकारी दे रहे होते हैं।
यह रहे मुख्य आकर्षण का केंद्र
- मौर्य व गुप्त साम्राज्य के दौरान चलन में रहे सिक्के और सामान।
- 1744 में पुर्तगाली शासन के दौरान एक पैसे का सिक्का।
- अंग्रेजों से पहले भारत के कुछ हिस्सों पर शासन करने वाले डच साम्राज्य के सिक्के।
- 1948 में मसूरी के बिड़ला हाउस में महात्मा गांधी के प्रार्थना सभा की फोटो।
- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रास बिहारी बोस के नाम पर जारी डाक टिकट।
- आजादी के समय सीमित संख्या में जारी किया गया डाक टिकट।
- मुगल शासक मो. शाह के शासन के 24 साल पूरे होने पर जारी सिक्के।
- यूक्रेन, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका समेत दस देशों के पुराने नोट।
- 18वीं शताब्दी के दौरान का स्टाम्प पेपर, जिस पर अरबी भाषा में लिखा हुआ है।
- द्वितीय विश्व युद्ध के समय किताबें और अंग्रेजों के समय की टेलीस्कोप।
- अलवर, बीकानेर, पटियाला स्टेट और बंगाल प्रेसीडेंसी के समय के सिक्के
- 1857 में लंदन में बनी दूरबीन, जिसे एक अंग्रेज अफसर लेकर भारत आया था।
- चांदी की कैंची, जिसे लंदन की उस कंपनी ने बनाया था जो महारानी के लिए सामान का निर्माण करती थी।
इतिहास में रुचि ने बनाया कलेक्टर
हरमिंदर सिंह बताते हैं कि बचपन से दुर्लभ सामानों के संग्रह का शौक था, जो समय के साथ बढ़ता गया। अब उनके पास सिक्कों, नोटों, किताबों, मेडल, माचिस की डिब्बी का बड़ा संग्रह है। राजेश वर्मा ने बताया कि डाक विभाग में नौकरी करते समय इस ओर मन आकर्षित हुआ।
वह बड़े ही उत्साह के साथ हैदराबाद निजाम के समय के लिफाफे और डाक टिकट और महात्मा गांधी की फोटो दिखाते हैं। प्रणव खन्ना का कहना है कि बचपन में उन्होंने दादी के पास कुछ पुराने सिक्के देखे तो मन ऐसी वस्तुओं के संग्रह को मचल उठा। अब उनके पास मौर्य और गुप्त काल से लेकर मुगल काल के तमाम सिक्के मौजूद हैं।
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अनमोल ने विभिन्न देशों की मुद्राएं, उत्तम के पास पुराने समय के स्टांप पेपर, रोहित थापा के पास द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़ी किताबें, दूरबीन, दीप शर्मा के पास देश की अलग-अलग रियासतों के सिक्के, लंदन में बनी दूरबीन, 19 गवर्नरों के जारी किए नोटों का संग्रह मौजूद है। वहीं उनके पास करीब सौ साल पुराना कैमरा भी है, जो आज भी काम करता है। अनीस अली लंदन में बनी चांदी की कैंची से लेकर पुराने समय की नक्काशीदार वस्तुएं बड़े ही शौक से दिखाते हैं।
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