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कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच जीनोम सीक्वेंसिंग भी चुनौती

देश में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। वहीं नए वैरिएंट ने उत्तराखंड के लिए भी खतरे की घंटी बजा दी है। राज्य में अब तक आठ मरीजों में ओमिक्रोन की पुष्टि हो चुकी है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 03:50 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 03:50 PM (IST)
देश में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। देश में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, नए वैरिएंट ने उत्तराखंड के लिए भी खतरे की घंटी बजा दी है। राज्य में अब तक आठ मरीजों में ओमिक्रोन की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा कई सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट अभी आनी है। ओमिक्रोन वैरिएंट तीन गुना अधिक संक्रामक है और जिस तेजी से मामले बढ़े हैं, आने वाले वक्त में जीनोम सीक्वेंसिंग को लेकर चुनौती बढ़ सकती है। राज्य में अभी केवल दून मेडिकल कालेज में ही जीनोम सीक्वेंसिंग की जा रही है। मामले बढ़ने से लैब पर भी सैंपल का बोझ बढ़ रहा है।

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जानकार यह मानते हैं कि जीनोम सीक्वेंसिंग करना अच्छा कदम है, लेकिन जिस तेजी से मामले बढ़ रहे हैं, सभी सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग करना आसान नहीं होगा। यह एक लंबी प्रक्रिया है। अगर 100 सैंपल में 40 में ओमिक्रोन की पुष्टि होती है तो मान लेना चाहिए कि ओमिक्रोन लोग के बीच पहुंच गया है। फिर सभी सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग करने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसकी रोकथाम पर काम करने की जरूरत है। दून मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने बताया कि जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच की प्रक्रिया में चार से छह दिन लगते हैं। अभी 80-80 सैंपल की दो चिप की जांच की प्रक्रिया चल रही है। आवश्यकतानुसार इसे बढ़ाया जाएगा। कालेज में हर माह एक हजार जांच का लक्ष्य रखा गया है।

इधर, ओमिक्रोन के बढ़ते खतरे के बीच श्रीनगर व हल्द्वानी मेडिकल कालेज में भी जीनोम सीक्वेंसिंग शुरू करने की तैयारी है। जिसके बाद एक लैब पर दबाव नहीं रहेगा।

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किशोरों की वैक्सीनेशन का 83 प्रतिशत लक्ष्य पूरा

रुड़की में कोरोना से बचाव को किशोरों के वैक्सीनेशन के लक्ष्य का 83 प्रतिशत विभाग ने हासिल कर लिया है। अभी 1865 किशोर ऐसे हैं, जिनको वैक्सीन नहीं लग पाई है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार यह किशोर शहर से बाहर हैं। स्वास्थ्य कर्मी उनके परिवार के संपर्क में हैं। उनके आते ही किशोरों को वैक्सीन लगा दी जाएगी।

कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तीन जनवरी से किशोरों का वैक्सीनेशन शुरू किया था। इस अभियान के पहले चरण में 11050 किशोर-किशोरियों के वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा गया था। सात जनवरी तक यह लक्ष्य पूरा किया जाना था। इसके लिए विभाग ने स्कूलों में शिविर लगाकर किशोर-किशोरियों का वैक्सीनेशन किया। पांच दिन तक चले अभियान के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों ने 9185 किशोर-किशोरियों को वैक्सीन लगा दी है।

अरबन हेल्थ आफिसर रामकेश गुप्ता ने बताया कि लक्ष्य का 83 प्रतिशत वैक्सीनेशन हो चुका है। 1865 किशोर-किशोरियां विद्यालय में वैक्सीनेशन के लिए नहीं आई हैं। उनके स्वजन की ओर से बताया गया है कि वह बाहर हैं। आशाओं की मदद से उनके घर जाकर किशोर-किशोरियों को वैक्सीन लगाई जाएगी। जल्द ही लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद अन्य शिक्षण संस्थानों में वैक्सीनेशन शुरू किया जाएगा। साथ ही आशाओं की मदद से ऐसे किशोर-किशोरियों को वैक्सीन लगाई जाएगी जो किसी संस्थान में पंजीकृत नहीं हैं। यानी वह घर पर हैं या फिर कहीं कार्य करते हैं।


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