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लंबे इंतजार के बाद श्रद्धालुओं ने किया चालदा महासू के दर्शन

भगत सिंह तोमर साहिया हमेशा चलायमान रहने वाले सिद्धपीठ हनोल मंदिर के छत्रधारी चालदा महास

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 07:41 PM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 07:41 PM (IST)
लंबे इंतजार के बाद श्रद्धालुओं ने किया चालदा महासू के दर्शन
लंबे इंतजार के बाद श्रद्धालुओं ने किया चालदा महासू के दर्शन

भगत सिंह तोमर, साहिया:

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हमेशा चलायमान रहने वाले सिद्धपीठ हनोल मंदिर के छत्रधारी चालदा महासू देवता के समाल्टा मंदिर प्रवास पर आने से स्थानीय जनता में बेहद उत्साह है। देवता के दर्शन को व्याकुल उद्पाल्टा व समाल्टा खत से जुड़े ग्रामीणों की दशकों पुरानी मुराद बुधवार को देव दर्शन के साथ पूरी हो गई। समाल्टा के नए मंदिर में देवता के विधि-विधान से विराजमान होने पर कारसेवकों ने परंपरागत तरीके से पूजा की। देवता के आगमन से उत्साहित श्रद्धालुओं की मंदिर में सुबह से शाम तक भीड़ लगी रही।

जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर के कुल आराध्य देवता चार भाई महासू में सबसे बड़े बाशिक महासू, दूसरे नंबर के बोठा महासू, तीसरे नंबर के पवासी महासू व चौथे नंबर के सबसे छोटे भाई चालदा महासू देवता की समूचे इलाके में बड़ी मान्यता है। सीमांत बावर खत के ग्राम हनोल में चारों भाई महासू देवता के प्रमुख स्थान हैं। जिसे सिद्धपीठ के नाम से जाना जाता है। लोक मान्यता के अनुसार महासू मंदिर हनोल का निर्माण अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने कराया था। इस ऐतिहासिक महत्व के प्रमुख धाम श्री महासू देवता मंदिर हनोल से समूचे इलाके की धार्मिक गतिविधियां संचालित होती हैं। इसी कड़ी में सबसे प्रभावशाली व पराक्रमी देवता चालदा महासू का समूचे इलाके में राज चलता है। वह 12 साल तक टोंस नदी के इस ओर बसे जौनसार-बावर के शांठीबिल और 12 साल टोंस नदी के उस पार बसे बंगाण, फतह पर्वत व हिमाचल के सिरमौर-जुब्बल कोटखाई के पांशीबिल क्षेत्र में चलायमान रहते हैं। कई बार देवता की प्रवास यात्रा का चक्र निर्धारित अवधि से ज्यादा निकल जाता है, जिससे देवता को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आने-जाने में लंबी अवधि गुजर जाती है। इस बार देवता को जौनसार के उद्पाल्टा खत व समाल्टा खत के प्रवास यात्रा पर आने में 66 वर्ष का समय लगा। देवता के आगमन की खुशी में स्थानीय ग्रामीणों ने श्रमदान कर समाल्टा में नया मंदिर बनाया है। बुधवार को बरवांश की पूजा-अर्चना को परंपरागत तरीके से गाजे-बाजे के साथ पहुंची चालदा महासू की देव पालकी और छतर के दर्शन को समाल्टा मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। देवता की एक झलक पाने को लोग आतुर रहे। देवता की प्रवास यात्रा के चलते समाल्टा मंदिर के गर्भगृह में देव पालकी और छतर के विधि-विधान से विराजमान होने पर ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अरसे बाद स्थानीय ग्रामीणों और श्रद्धालुओं ने देवता के दर्शन कर भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर शांठीबिल के बजीर दीवान सिंह राणा, मंदिर समिति के अध्यक्ष सरदार सिंह तोमर, संयुक्त निदेशक सूचना केएस चौहान, आनंद सिंह तोमर, अमिताभ अनिरुद्ध, अनिल सिंह तोमर, एसएस तोमर, केशवराम, इंदर सिंह चौहान, सुरेश चौहान, आदि मौजूद रहे।


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