फल की सेहत के साथ स्वाद भी बताएगा ये फ्रूट स्केनर, पांच सेकेंड में ऐसे मिल जाएगी पूरी जानकारी
अब फ्रूट स्केनर फल की सेहत के साथ स्वाद भी बताएगा। एप के माध्यम से मोबाइल कनेक्ट करते ही पांच सेकेंड में उपलब्ध पूरी जानकारी हो जाएगी। फल की गुणवत्ता जांचने के लिए यह फ्रूट स्केनर आइआएम काशीपुर से प्रशिक्षित अमित व अंकित ने तैयार किया है।
अभय पांडेय, काशीपुर। बागान मालिकों व फल कारोबारियों के लिए अच्छी खबर है। उन्हें फल की गुणवत्ता परखने व प्रबंधन की समस्या से निजात मिल जाएगी। बस एक क्लिक पर खरीद से पहले खुद ही पांच सेकेंड में पूरी जानकारी हासिल कर लेंगे। यह संभव हुआ है मद्रास आइआइटी से बीटेक व उत्तराखंड के काशीपुर आइआइएम की फाउंडेशन फार इनोवेशन इंटरप्रेन्योरशिप (फीड) विंग से प्रशिक्षित अमित श्रीवास्तव व अंकित की ओर से तैयार फ्रूट स्केनर से, जो मोबाइल में इंस्टाल एप की मदद से झट से बता देगा कि फल भीतर से पका है या कच्चा। मीठा है या खट्टा। सड़ा है या सही। शुगर कितना है।
पिता के नुकसान से मिला आइडिया
अमित व अंकित मूल रूप से मथुरा के रहने वाले हैं। दोनों के पिता किसान हैं, जो हर वर्ष आम, अमरूद व चीकू के सड़ने से होने वाले घाटे से परेशान थे। बीटेक के दौरान ही दोनों ने ऐसा उपकरण बनाने की सोची जिससे फलों की गुणवत्ता का पता लगा बेहतर प्रबंधन किया जा सके। इससे नुकसान कम होगा और किसानों की आय भी बढ़ेगी। 2019 में दोनों इस सोच को साकार करने में जुट गए। इस बीच स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए आइआइएम काशीपुर की फीड विंग ने मई 2020 में स्टार्टअप के इच्छुक युवाओं से आइडिया आमंत्रित किया। इसमें अमित व अंकित ने फ्रूट स्केनर का प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया, जो चयनित भी हो गया। इसके बाद आइआइएम में दो माह का प्रशिक्षण पूरा कर उन्होंने अगस्त में स्केनर तैयार भी कर लिया।
(फोटो: अमित श्रीवास्तव (बाएं) व अंकित चौहान (दाएं) ने आइआइएम स्टार्टअप प्रोग्राम में फ्रूट स्केनर की जानकारी दी।)
बागान मालिक से आम उपभोक्ता तक को लाभ
अमित बताते हैं कि स्केनर से आसानी से पता चल सकेगा कि संबंधित फल कितने दिनों में खराब होगा। उसके उपयोग का औसत समय क्या है। ऐसे में बागान मालिक, फल कारोबारी से लेकर आम उपभोक्ता भी इससे लाभान्वित होंगे। मोबाइल से स्केनर कनेक्ट करने के लिए दोनों दोस्तों ने खुद एप भी तैयार किया है, जो जल्द ही प्लेस्टोर पर उपलब्ध होगा। फिलहाल अडानी एग्रो, अमेजन फ्रेश, बिग बास्केट व उद्यान विभाग में स्केनर का सेब की जांच में परीक्षण चल रहा है। शुरुआती परिणाम 99 फीसद सटीक है।
क्षमता के अनुसार कीमत का निर्धारण
व्यावसायिक उपयोग में स्केनर की कीमत कंपनी के अनुबंध के अनुसार तय होगी। मसलन, स्केनर की क्षमता कितनी रखनी है। मांग के अनुसार इसे उच्च क्षमता में डिजाइन किया जाएगा। फिलहाल व्यक्तिगत उपयोग के लिए यह मोबाइल के आकार में मात्र तीन हजार में जल्द उपलब्ध होगा। अभी इस प्रोजेक्ट में थिंक एग, उद्यान विभाग उत्तराखंड, गूगल भी सहयोगी पार्टनर हैं।
(फोटो: अभी फ्रूट स्केनर का ट्रायल एक निजी कंपनी में हो रहा है।)
अभी तक बस कैमिकल टेस्टिंग
अंकित के अनुसार अभी तक फलों की सेहत जांचने के लिए केमिकल का सहारा लिया जाता है। इसके बाद भी परिणाम सकारात्मक नहीं मिलता। नुकसान का औसत 20 से 25 फीसद तक पहुंच जाता है। लेकिन फ्रूट स्केनर से यह घटकर एक फीसद तक आ सकता है।
सफल बत्रा (प्रोजेक्ट इंचार्ज फीड, आइआइएम काशीपुर) का कहना है कि अमित और अंकित ने फलों के संरक्षण के लिए जिस स्टार्टअप पर काम किया है वह फल कारोबार में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आएगा। आइआइएम से प्रशिक्षण के बाद उन्होंने प्रोजेक्ट को व्यापक रूप दिया है। इससे फल कारोबारियों के साथ ही खरीदारों को भी लाभ मिलेगा।
(फोटो: सफल बत्रा, प्रोजेक्ट इंचार्ज फीड-आइआइएम काशीपुर उत्तराखंड और विकल कुलश्रेष्ठ, सीईओ फार्मर्स फैमिली-उत्तराखंड )
विकल कुलश्रेष्ठ (सीईओ फार्मर्स फैमिली-उत्तराखंड) का कहना है कि उत्तराखंड सेब उत्पादक राज्य है। अभी हम फ्रूट स्केनर का उपयोग सुपरचीफ, रेडलम, गेलगाला, ग्रैनी स्मिथ प्रजातियों की गुणवत्ता परखने के लिए कर रहे हैं। परिणाम संतोषजनक है। फल की उम्र का पता चलने से उसके प्रबंधन में बड़ी सहूलियत मिल रही है।