बर्फीले तूफान में दोस्त के लापता होने की सूचना खींच लाई दून
हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी के गुलमर्ग में बर्फीले तूफान की चपेट में आने की सूचना मिलते ही चमोली से उनके बचपन के दोस्त बलवंत सिंह उनके आवास पहुंच गए हैं।
देहरादून, जेएनएन। हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी के गुलमर्ग में बर्फीले तूफान की चपेट में आने की सूचना मिलते ही चमोली से उनके बचपन के दोस्त बलवंत सिंह उनके आवास पहुंच गए हैं। वे दो दिनों से राजेंद्र के परिवार का हौसला बांध रहें हैं।
हवलदार राजेंद्र सिंह के लापता होने की सूचना मिलने के बाद से प्रेमनगर के अंबीवाला स्थित सैनिक कॉलोनी में गमगीन माहौल है। पड़ोसी राजेंद्र सिंह के स्वजनों को हौसला दे रहे हैं। उधर, राजेंद्र के चमोली स्थित गांव पंजीयाणा में उनके गांववासी यह खबर सूचना आहत हैं। राजेंद्र के बचपन के दोस्त बलवंत सिंह ने बताया कि कर्णप्रयाग थाने से राजेंद्र के लापता होने की सूचना मिली। जिसके बाद वह प्रेमनगर स्थित उनके आवास पहुंच गए। बलवंत ने बताया कि राजेंद्र बचपन से ही बेहद सरल स्वभाव के हैं। उनका मधुर व्यवहार गैरों को भी अपना बना लेता है। साहस और नेत्त्व क्षमता तो राजेंद्र की सबसे बड़ी खूबी है। इसी के चलते वह कोई भी काम पहले खुद करने में विश्वास रखते हैं। हमें तो बस दोस्त की चिंता सता रही हैं, ईश्वर से प्रार्थना है कि बस राजेंद्र सकुशल घर लौट आए।
न्यूज चैनलों पर हैं नजरें
राजेंद्र के लापता होने की सूचना मिलने के बाद से उनके बच्चे व स्वजन न्यूज चैनलों पर नजरें लगाए हैं। केवी आइएमए में अध्ययनरत राजेंद्र की बड़ी बेटी अंजली ने बताया कि पापा के लापता होने की सूचना मिलने के बाद से पूरा परिवार परेशान है। सब लोग ईश्वर से उनके वापस आने की प्रार्थना कर रहें हैं।
फोन न कर सका तो चिंता मत करना
दून के लाल हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी ने अपनी पत्नी राजेश्वरी देवी को आखिरी फोन आठ जनवरी को किया था। थोड़ी सी बातचीत में राजेंद्र सिंह ने कहा कि यहां गुलमर्ग में भारी बर्फबारी हो रही है, जनरेटर खराब है। यदि दो-तीन दिन फोन नहीं कर पाया तो मेरी चिंता मत करना।
इसी दिन राजेंद्र सिंह ने अपने पैतृक गांव पजियाणा मल्ला में अपनी माता को भी फोन किया। कहा कि वह बहन के साथ देहरादून घूमकर आ जाए। इसके बाद राजेंद्र सिंह का फोन नहीं आया। ना ही स्वजनों की हवलदार राजेंद्र सिंह से बात हो पाई है। स्वजन और आस पड़ोस के लोग राजेंद्र सिंह की सकुशल लौटने की कामना कर रहे हैं।
पोस्ट इंचार्ज हैं बहादुर राजेंद्र सिंह
करीब 40 वर्षीय राजेंद्र सिंह 2001 में लैंसडौन में भर्ती हुए। इसके बाद वह सेना के अलग-अलग पोस्टों पर तैनात रहे। अप्रैल 2019 तक वह देहरादून के गढ़ीकैंट में तैनात रहे, जिसके बाद उन्हें गुलमर्ग भेजा गया। मौजूदा समय में राजेंद्र सिंह गुलमर्ग में पोस्ट इंचार्ज हैं, क्योंकि राजेंद्र सिंह ने आर्मी से जुड़े काफी कोर्स किए हैं, ऐसे में उन्हें आधुनिक हथियारों का भी ज्ञान है। इसलिए उन्हें पोस्ट इंचार्ज की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
2015 में सैनिक कॉलोनी में बनाया घर
हवलदार राजेंद्र के तीन भाई और हैं, सभी मेहनत मजदूरी करते हैं। उनके पिता रतन सिंह नेगी भी घर में खेतीबाड़ी का काम करते हैं। राजेंद्र सिंह घर के इकलौते कमाने वाले हैं। उन्होंने 2015 में अंबीवाला स्थित सैनिक कॉलोनी प्रेमनगर में अपना घर बनाया।
विधायक ने जाना हाल
हवलदार राजेंद्र सिंह के लापता होने की सूचना मिलने पर सहसपुर के विधायक सहदेव पुंडीर उनके घर अंबीवाला सैनिक कॉलोनी पहुंचे। उन्होंने मुख्यमंत्री के संज्ञान में बात लाकर सेना के उच्चाधिकारियों से बात करने को कहा। इसके अलावा गढ़वाल मंडल विकास निगम के निदेशक राकेश सेमवाल ने भी स्वजनों का हालचाल जाना।
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मेरा बेटा भी अभिनंदन जैसा बहादुर, सेना जल्द लगाए पता
मेरा बेटा भी अभिनंदन जैसा बहादुर है। इसलिए जिस तरह का रेस्क्यू अभिनंदन को भारत लाने में चला, उसी तरह से मेरे बेटे राजेंद्र सिंह को ढूंढ निकालने में भी करना चाहिए। राजेंद्र सिंह के लापता होने की सूचना जब से मिली है, घर पर हर कोई परेशान है। दो दिनों से चूल्हा नहीं जल पाया है। मेरा बेटा जिस स्थिति में हो सेना जल्द ढूंढे। सैन्य अधिकारियों का कहना है कि सर्च ऑपरेशन दिन में नहीं चला सकते, रात को ढूंढने का काम करेंगे। हम इतनी दूर बैठे हैं, वहां क्या हो रहा है, इसका हमें कुछ पता नहीं है। हमारी बात पोस्ट से 40 किलोमीटर पीछे हेडक्वार्टर तक ही हो पा रही है। वहां से आगे सेना ही बात कर रही है।
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