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देशी वृक्षों के वानस्पतिक प्रर्वधन पर हो अनुसंधान

जागरण संवाददाता, देहरादून: वन अनुसंधान संस्थान के 13वें वन संवर्धनिक सम्मेलन का तीसरा दिन वन उत्पादक

By Edited By: Published: Wed, 26 Nov 2014 10:37 PM (IST)Updated: Wed, 26 Nov 2014 10:37 PM (IST)
देशी वृक्षों के वानस्पतिक प्रर्वधन पर हो अनुसंधान

जागरण संवाददाता, देहरादून: वन अनुसंधान संस्थान के 13वें वन संवर्धनिक सम्मेलन का तीसरा दिन वन उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित रहा। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि उत्पादकता बढ़ाने के लिए वृक्षों के अनुवांशिक सुधार की जरूरत है।

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सम्मेलन में बुधवार को भारतीय वानिकी अनुंसधान एवं शिक्षा परिषद के महानिदेशक डॉ. अश्विनी कुमार ने कहा कि देशी वृक्षों के वानस्पतिक प्रवर्धन पर अनुसंधान किया जाना चाहिए। अन्य वक्ताओं ने कहा कि वनीकरण के लिए वृक्षों के प्रमाणीकृत बीजों का उपयोग करना चाहिए। उत्कृष्ट गुणवत्ता के पौधों के लिए उत्पादकों को भी बड़े पैमाने पर सस्ती पौधशाला प्रौद्योगिकियां विकसित करनी चाहिएं। पहाड़ों में भी पेड़ों को काटने की अनुमति मिलनी चाहिए। कहा गया कि वन निगम द्वारा उगाए गए रोपणों को वन्यजीव अभ्यारण्यों में परिवर्तित किया जाए। इससे वन रोपण वन्य जीव आवास के सुधार में सहायक हो सकते हैं। वन उत्पादकता संस्थान रांची के डॉ. एसए अंसारी ने कहा कि डीएनए अध्ययनों के आधार पर थाईलैंड व कम्बोडिया की अपेक्षा भारत में सागौन में ज्यादा विभिन्नता है। कोयम्बटूर के डॉ. सिवाकुमार ने कहा कि उनके दल ने पिछले चार सालों में यूकेलिप्टस के 11 नए क्लोन जारी किए हैं। वन अनुसंधान संस्थान देहरादून के डॉ. अशोक कुमार ने कृषकों द्वारा रोपण के लिए बकैन वृक्ष के अनुवांशिक सुधार हेतु शोध पर किए गए कार्य की जानकारी दी। इस मौके पर सेवानिवृत्त बीज वैज्ञानिक डॉ. आरसी थपलियाल, महाराष्ट्र वन निगम के एके निगम, डॉ. मोहित गेरा, डॉ. राजेश शर्मा, डॉ. एचएस गिनवाल व डॉ. एएन अरुण कुमार ने भी विभिन्न जानकारियां दी।


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