राज्य के घाटे की सीमा पांच फीसद तक बढ़ी
प्रदेश में उत्तराखंड राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम संशोधन अध्यादेश पर राजभवन की मुहर लग गई है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
प्रदेश में उत्तराखंड राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम संशोधन अध्यादेश पर राजभवन की मुहर लग गई है। संशोधित अध्यादेश को नोटिफिकेशन के लिए भेजा गया है। इसके तहत राज्य के बजट घाटे की सीमा बढ़ गई है, लेकिन इस पर अमल के लिए सरकार को चार सुधारों को भी राज्य में अनिवार्य रूप से लागू करना होगा।
एफआरबीएम अधिनियम में संशोधन के अध्यादेश को बीती 18 जून को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। इसके तहत कोरोना से उपजी परिस्थितियों को देखते हुए सालाना राजकोषीय घाटे की सीमा को राज्य सकल घरेलू उत्पाद के तीन फीसद से बढ़ाकर पांच फीसद किया गया है। इससे बाजार से कर्ज लेने की राज्य की सीमा में भी इजाफा हो गया है। हालांकि आरबीआइ की ओर से भी राज्य को इस संबंध में हरी झंडी दिखाई जा चुकी है।
खास बात ये है कि घाटे में हुई इस वृद्धि में 0.50 फीसद ही शर्त रहित है। इससे ज्यादा यानी एक फीसद वृद्धि पाने के लिए राज्य सरकार को चार सुधारों को अपनाना होगा। वन नेशन वन राशनकार्ड प्रणाली के क्रियान्वयन पर 0.25 फीसद, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस सुधार पर 0.25 फीसद, शहरी स्थानीय निकायों में सुधार पर 0.25 फीसद और ऊर्जा क्षेत्र में सुधार पर 0.25 फीसद वृद्धि का लाभ मिलेगा। वन नेशन वन कार्ड प्रणाली को राज्य सरकार बीती एक जुलाई से लागू कर चुकी है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भी राज्य का प्रदर्शन बीते वर्षो में सुधरा है। देश में राज्य की रैंकिंग में भी सुधार हुआ है। शहरी स्थानीय निकायों और ऊर्जा के क्षेत्र में सुधार की कवायद चल रही है।