Move to Jagran APP

उत्‍तराखंड में चार सांसद बने मुख्‍यमंत्री

उत्‍तराखंड ने हाल ही में अपनी स्‍थापना के 20 साल पूरे किए हैं। राज्‍य में पहली अंतरिम सरकार के बाद चार विधानसभा चुनाव हुए हैं। दो बार भाजपा और दो बार कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका मिला।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 11:36 AM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 11:36 AM (IST)
उत्‍तराखंड में चार सांसद बने मुख्‍यमंत्री
उत्‍तराखंड राज्य में चार सांसद बने मुख्‍यमंत्री।

देहरादून, राज्‍य ब्‍यूरो। उत्‍तराखंड ने हाल ही में अपनी स्‍थापना के 20 साल पूरे किए हैं। राज्‍य में पहली अंतरिम सरकार के बाद चार विधानसभा चुनाव हुए हैं। दो बार भाजपा और दो बार कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका मिला। महत्‍वपूर्ण बात यह कि इन 20 सालों में 10 साल भाजपा और 10 साल कांग्रेस, यानी दोनों बराबर अवधि सत्‍ता में रही हैं। इस दौरान उत्‍तराखंड ने कुल नौ मुख्‍यमंत्री देखे हैं। इन तथ्‍यों से सभी वाकिफ हैं, मगर राज्‍य के मुख्‍यमंत्रियों से जुड़े कई तथ्‍य ऐसे हैं, जो शायद तमाम लोग नहीं जानते। मसलन, पहले तीन विधानसभा चुनावों में जो भी पार्टी सत्‍ता में आई, उसने अपने निर्वाचित विधायक नहीं, तत्‍कालीन सांसद को मुख्‍यमंत्री बनाया। यही नहीं, दो मुख्‍यमंत्री केंद्र में भी मंत्री रहे। भुवन चंद्र खंडूड़ी एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री रहने के बाद मुख्‍यमंत्री बने। हरीश रावत केंद्र में कई मंत्रालय संभाल चुके हैं, बाद में उन्‍होंने उत्‍तराखंड की कांग्रेस सरकार की कमान थामी। वर्ष 2009 में मुख्‍यमंत्री बने रमेश पोखरियाल निशंक को वर्ष 2019 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने का अवसर मिला। चलिए आपको रूबरू कराते हैं सूबे के मुख्‍यमंत्रियों से जुड़ी कुछ मजेदार जानकारियों से। 

loksabha election banner

तिवारी बने मुख्‍यमंत्री, फिर रामनगर से विधायक 

बात शुरू करते हैं, वर्ष 2002 के पहले विधानसभा चुनाव से, तब कांग्रेस ने भाजपा को बाहर का रास्‍ता दिखाकर सत्‍ता हासिल की थी। कांग्रेस आलाकमान ने तमाम अनुमान के विपरीत कददावर नारायण दत्‍त तिवारी को मुख्‍यमंत्री बना दिया। तिवारी विधानसभा चुनाव नहीं लड़े थे, लिहाजा उनके लिए रामनगर सीट को मुफीद माना गया। इस सीट से चुनाव जीते योगांबर सिंह रावत ने उनके लिए सीट खाली की। दिलचस्‍प बात यह कि तिवारी नामांकन के बाद पूरे उपचुनाव में एक बार भी प्रचार के लिए रामनगर नहीं गए। इसके बावजूद उन्‍होंने भारी मतों से जीत दर्ज की। खंडूड़ी के लिए भाजपा ने की कांग्रेस में सेंधमारी ऐसा ही कुछ हुआ वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के सत्‍ता में आने पर। तब भाजपा नेतृत्‍व ने पूर्व केंद्रीय मंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी को मुख्‍यमंत्री की कुर्सी सौंप दी। खंडूड़ी विधानसभा चुनाव नहीं लड़े थे, तो उनके लिए पसंदीदा सीट की तलाश शुरू हुई। इस बार भाजपा ने कांग्रेस में सेंधमारी कर पौड़ी जिले की धुमाकोट सीट से विधायक बने कांग्रेस के टीपीएस रावत से सीट खाली करा, यहां से खंडूड़ी को उप चुनाव में उतारा और जीत दर्ज की। टीपीएस रावत को भाजपा ने खंडूड़ी की परंपरागत पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से उप चुनाव लड़ाया और वह सांसद बने। 

बहुगुणा ने दिया उसी अंदाज में भाजपा को जवाब 

वर्ष 2012 के तीसरे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को स्‍पष्‍ट बहुमत तो नहीं मिला, मगर वह सबसे बडी पार्टी बनकर उभरी और सत्‍ता की हकदार बनी। इस बार भी पिछले दो विधानसभा चुनाव की परंपरा कायम रही और कांग्रेस ने किसी निर्वाचित विधायक की बजाए टिहरी सीट से सांसद विजय बहुगुणा की मुख्‍यमंत्री पद पर ताजपोशी कर दी। इस बार कांग्रेस ने पांच साल पहले भाजपा द्वारा की गई सेंधमारी का जवाब उसी अंदाज में दिया। ऊधमसिंह नगर जिले की सितारगंज सीट के भाजपा विधायक किरण चंद्र मंडल का इस्‍तीफा कराकर बहुगुणा यहां से उप चुनाव जीत विधायक बने। 

हरीश ने छोड़ी हरीश को विधायक बनाने को सीट 

बहुगुणा बतौर मुख्‍यमंत्री दो साल का कार्यकाल पूरा भी नहीं कर पाए कि वर्ष 2014 की शुरुआत में कांग्रेस आलाकमान ने उत्‍तराखंड में नेतृत्‍व परिवर्तन करते हुए बहुगुणा के स्‍थान पर हरीश रावत को मुख्‍यमंत्री बना दिया। मुख्‍यमंत्री बनने पर रावत के लिए सीट की तलाश शुरू हुई। इस पर रावत के करीबी विधायक हरीश धामी ने उनके लिए सीट खाली करने का फैसला किया। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में धामी पिथौरागढ़ जिले की धारचूला सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे। उप चुनाव में हरीश रावत ने आसानी से जीत दर्ज की और इस तरह वह विधायक बन गए। 

त्रिवेंद्र ने तोड दी पिछले तीन विस चुनाव की परंपरा 

वर्ष 2017 के चौथे विधानसभा चुनाव में किसी गैर विधायक को मुख्‍यमंत्री बनाए जाने की परंपरा टूट गई। ऐसा पहली बार हुआ कि विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद निर्वाचित विधायक को मुख्‍यमंत्री बनाया गया। इस चुनाव में भाजपा ने तीन-चौथाई से ज्‍यादा बहुमत के साथ 70 में से 57 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा आलाकमान ने देहरादून की डोईवाला सीट से विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत को सरकार की कमान सौंपी। त्रिवेंद्र अपनी सरकार का लगभग पौने चार साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। इसी के साथ वह नारायण दत्‍त तिवारी के बाद पांच साल का सफल कार्यकाल पूर्ण करने की ओर अग्रसर हैं। 

सियासत को जानते हैं तो यह भी जान लीजिए 

उत्‍तराखंड में भुवन चंद्र खंडूड़ी दो बार मुख्‍यमंत्री बने। नौ नवंबर 2000 को उत्‍तराखंड देश का 27वां राज्‍य बना और तब यहां 30 सदस्‍यों की अंतरिम विधानसभा बनाई गई। भाजपा का बहुमत अंतरिम विधानसभा में था तो बुजुर्ग नित्‍यानंद स्‍वामी मुख्‍यमंत्री बनाए गए। लगभग सवा साल की अंतरिम सरकार के दूसरे मुख्‍यमंत्री भगत सिंह कोश्‍यारी रहे। वर्ष 2009 में खंडूड़ी के स्‍थान पर रमेश पोखरियाल निशंक मुख्‍यमंत्री बने। वह तब पौड़ी गढ़वाल जिले की थलीसैंण विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्‍व कर रहे थे। वर्ष 2011 में खंडूड़ी को दोबारा मुख्‍यमंत्री बनाया गया और वह तब पौड़ी गढ़वाल जिले की धुमाकोट सीट से विधायक थे।

यह भी पढ़ें: ऋषिकेश में किसान आंदोलन के समर्थन में केंद्र सरकार का पुतला फूंका


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.