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तरुण विजय बोले, सीमांत क्षेत्र में हो विकास आयोग का गठन

उत्तराखंड की सर्वश्रेष्ठ पहचान उसकी उत्तम मानव संपदा है, जिसको उचित अवसर प्रदान करने की जरूरत है। ये कहना है तरुण विजय का।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 03:22 PM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 03:22 PM (IST)
तरुण विजय बोले, सीमांत क्षेत्र में हो विकास आयोग का गठन
तरुण विजय बोले, सीमांत क्षेत्र में हो विकास आयोग का गठन

देहरादून, जेएनएन। पूर्व राज्यसभा सदस्य तरुण विजय ने कहा कि उत्तराखंड की सर्वश्रेष्ठ पहचान उसकी उत्तम मानव संपदा है, जिसको उचित अवसर प्रदान करने की जरूरत है। साथ ही राज्य के सीमांत क्षेत्र में विकास आयोग का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य में नंदा देवी विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय रक्षा विवि की स्थापना पर जोर दिया। 

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दून विश्वविद्यालय में सेंटर फार पब्लिक पॉलिसी की ओर से आयोजित उत्तराखंड विजन-2040 सामाजिक आर्थिक विकास के मानदंड विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमीनार में उन्होंने कहा कि अगर जनसंख्या के अनुपात में हम देखें तो उत्तराखंड देश की रक्षा के लिए सबसे ज्यादा सैनिक प्रदान करता है। इस संपदा एवं वीरता को सहजने और संवारने की जरूरत है। 

उन्होंने उत्तराखंड 2040 की परिकल्पना में महिलाओं को केंद्र में रखकर विकास के मानदंड निर्धारित किए जाने चाहिए। जिसमें सर्वांगीण महिला विकास के लिए नंदा देवी विश्वविद्यालय की स्थापना की जानी चाहिए। क्योंकि उत्तराखंड की आर्थिकी महिला केंद्रित है। यहां का पर्यटन स्थानीय संस्कृति, मूल्य, विश्वास एवं आस्थाओं का संरक्षण करते हुए विकसित किया जाना चाहिए। 

तकनीकी सत्र में शोधपत्र किए प्रस्तुत 

लोक नीति एवं प्रशासन पर आयोजित सत्र में शोधार्थियों ने शोधपत्र प्रस्तुत किए। सत्र की अध्यक्षता प्रो.आशा चंदोला सकलानी और सह अध्यक्षता गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रो. वीके सिंह ने की। प्रो. आशा चंदोला सकलानी ने कहा कि नीति निर्धारण करते समय विकास के आंकड़ों का वैज्ञानिक विश्लेषण किया जाना योजनाओं के क्रियान्वयन में हितकारी होगा। 

उत्तराखंड की महिलाएं सशक्त 

दूसरे तकनीकी सत्र जैंडर इक्वैलिटी की अध्यक्षता करते हुए हेमवंती नंदन बहुगुणा की प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि उत्तराखंड की महिलाएं सदैव से ही सशक्त रही हैं। उन्होंने कई महिला विभूतियों का उदाहरण दिया। इस सत्र के सहअध्यक्ष आइएमएस यूनीसन विश्वविद्यालय के प्रो. अजय सिंह थे। परिचर्चा में संयुक्त  निदेशक डॉ. एमके पंत, आरएस गोयल, अनिल तनेजा, डॉ. अरिंदम विश्वास, डॉ. रश्मि बजाज, डॉ. गीतांजलि शर्मा, भारती जायसवाल ने भाग लिया। 

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