उत्तराखंड में आसमान से जंगलों पर रहेगी तीसरी आंख की निगहबानी
उत्तराखंड फॉरेस्ट ड्रोन फोर्स सभी वन प्रभागों में ड्रोन के जरिये वहां होने वाले कार्यों पर नजर रखेगी। साथ ही वन्यजीवों की मॉनीटरिंग पुख्ता ढंग से हो सकेगी।
देहरादून, केदार दत्त। उत्तराखंड में अब वन एवं वन्यजीवों पर आसमान से 'तीसरी आंख' निगहबानी करेगी। इसके लिए उत्तराखंड फॉरेस्ट ड्रोन फोर्स अस्तित्व में आ गई है। यह फोर्स सभी वन प्रभागों में ड्रोन के जरिये वहां होने वाले कार्यों पर नजर रखेगी। साथ ही वन्यजीवों की मॉनीटरिंग पुख्ता ढंग से हो सकेगी। इस मुहिम से जंगलों में पौधरोपण, खाल-चाल निर्माण समेत दूसरे कार्यों में फर्जीवाड़े पर भी अंकुश लग सकेगा। और तो और फायर सीजन में जंगल की आग पर काबू पाने में फोर्स मददगार होगी।
'जंगल में मोर नाचा किसने देखा' ये कहावत जंगलों और वन महकमे के परिप्रेक्ष्य में अक्सर कही जाती है, मगर निकट भविष्य में यह नेपथ्य में चली जाएगी। यानी जंगल भी दिखेगा और मोर नाचते यानी विभिन्न कार्य होते भी दिखेंगे। इसके लिए राज्य में शुरू की गई उत्तराखंड फॉरेस्ट ड्रोन फोर्स के गठन की कवायद अब आकार ले चुकी है।
फोर्स के समन्वयक डॉ. पराग धकाते बताते हैं कि अब तक 25 ड्रोन उपलब्ध हो चुके हैं। 10 वन प्रभागों में दो-दो कार्मिकों को ड्रोन ऑपरेटर के तौर पर निपुण कर लिया गया है, जबकि अन्य प्रभागों में प्रक्रिया चल रही है। चार-पांच माह के भीतर सभी प्रभागों में ड्रोन की उपलब्धता फोर्स के साथ ही ऑपरेटर की तैनाती हो जाए। ड्रोन ऑपरेटर का जिम्मा विभाग के कार्मिकों को ही दिया गया है। डॉ.धकाते के अनुसार फॉरेस्ट ड्रोन फोर्स इस वर्ष से प्रदेशभर में वन एवं वन्यजीवों की मॉनीटरिंग करेगी। इसका पूरा मैकेनिज्म तैयार कर लिया गया है।
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ड्रोन फोर्स के फायदे
- द रस्थ क्षेत्रों में ड्रोन पर लगे कैमरों से आसानी से निगाह
- जंगलों में पौधरोपण की निरंतर होगी मॉनीटरिंग
- वन क्षेत्रों में अवैध पातन, अवैध खनन पर नियंत्रण
- वन्यजीव गणना में उपयोग में लाए जाएंगे ड्रोन
- जंगली जानवरों, प्रवासी परिंदों पर नजर रखने में उपयोगी
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