Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Forest Fire: उत्तराखंड में शुष्क मौसम ने बढ़ाई बेचैनी, जंगलों में बढ़ा आग का खतरा; अब तक 110 हेक्टेयर वन खाक

    By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Sat, 11 Mar 2023 08:54 AM (IST)

    Forest Fire उत्तराखंड में मौसम की बेरुखी वन विभाग की भी चिंता बढ़ा रही है। मानसून के दस्तक देने से पहले जंगल की आग की रोकथाम बड़ी चुनौती है। आने वाले दिनों की चुनौतियों को देखते हुए वन विभाग ने कसरत भी तेज कर दी है।

    Hero Image
    Forest Fire: मानसून के दस्तक देने से पहले जंगल की आग की रोकथाम बड़ी चुनौती है।

    जागरण संवाददाता, देहरादून: Forest Fire: उत्तराखंड में मौसम की बेरुखी वन विभाग की भी चिंता बढ़ा रही है। 71 प्रतिशत वन क्षेत्र वाले प्रदेश में जंगल की आग का खतरा भी अधिक रहता है। वर्षा कम होने के कारण इस बार चुनौती और बड़ी होने की आशंका है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आने वाले दिनों की चुनौतियों को देखते हुए वन विभाग ने कसरत भी तेज कर दी है। वन कर्मियों को प्रशिक्षण देने के साथ ही वन पंचायतों, महिला एवं युवक मंगल दलों से भी सहयोग मांगा गया है। इस वर्ष अब तक 68 घटनाओं में 110 हेक्टेयर वन क्षेत्र आग की भेंट चढ़ चुका है। जबकि, मानसून के दस्तक देने से पहले जंगल की आग की रोकथाम बड़ी चुनौती है।

    सामान्य से करीब 60 प्रतिशत कम वर्षा

    इस बार शीतकाल में सामान्य से करीब 60 प्रतिशत कम वर्षा हुई। ज्यादातर शुष्क मौसम रहने के कारण फरवरी में ही गर्मी का अहसास होने लगा है। साथ ही वन क्षेत्रों में भी नमी कम होने से आग लगने का खतरा बढ़ गया है। मौसम के मौजूदा मिजाज को देखते हुए अगले कुछ माह भारी पड़ सकते हैं।

    वर्षा कम होने के साथ ही चोटियों पर भी बर्फ न के बराबर बची है। गर्मी बढ़ने के साथ ही वन विभाग की धड़कने भी बढ़ गई हैं। बीते वर्ष 2022 में जंगल की आग की 22 सौ घटनाएं हुईं। जिनमें करीब 35 सौ हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा, जबकि वर्ष 2021 में करीब 2800 घटनाएं हुई थीं।

    जंगल की आग की रोकथाम के लिए लगातार वन कर्मियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम और ग्रामीणों को जागरूक करने के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। संसाधन का कोई अभाव नहीं है। विभाग की ओर से पूरी तैयारी की जा रही है। आने वाले दिनों में जंगल की आग विकराल होने पर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ से भी सहयोग लिया जाएगा। जंगल की आग की मानीटरिंग को सिस्टम तैयार किया गया है। सभी डीएफओ को मुस्तैद रहने के निर्देश दिए गए हैं।

    - निशांत वर्मा, मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन