राजाजी के निदेशक समेत पांच कार्मिक तलब
राजाजी नेशनल पार्क की हरिद्वार रेंज के दूधिया ब्लाक में खाल और मांस लगी हड्डियों की बरामदगी का मामला अब तूल पकड़ गया है।
By Edited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 03:01 AM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 08:40 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून: राजाजी नेशनल पार्क की हरिद्वार रेंज के दूधिया ब्लाक में खाल और मांस लगी हड्डियों की बरामदगी का मामला अब तूल पकड़ गया है। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) जय राज ने जांच अधिकारी की रिपोर्ट के मद्देनजर पार्क के निदेशक समेत पांच कार्मिकों से स्पष्टीकरण लेने के बाद सोमवार को उन्हें अपने कार्यालय में तलब किया है। जांच रिपोर्ट में इस प्रकरण में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ और इसमें तीन कर्मियों का हाथ होने की बात कही गई है। सूत्रों के मुताबिक इसी बिंदु पर पीसीसीएफ इन कार्मिकों से जवाब तलब करेंगे। पीसीसीएफ जय राज के निर्देश पर वन मुख्यालय की टीम ने बीती 22 मार्च को दूधिया ब्लाक में छापा मारा। इस दौरान वहां से गुलदार की पुरानी खाल के साथ ही कुछ मांस और मांस लगी हड्डियां बरामद हुई। तब पार्क प्रशासन ने मामले की जांच तत्कालीन वन्यजीव प्रतिपालक कोमल सिंह को सौंपी। प्रकरण में एक गिरफ्तारी हुई, जबकि तीन आरोपितों ने समर्पण किया। इसके बाद से वन मुख्यालय एवं राजाजी पार्क प्रशासन में ठनी हुई है। हालांकि, बाद में प्रकरण की जांच वन संरक्षक अनुसंधान वृत्त संजीव चतुर्वेदी से कराने का निश्चय किया गया, मगर बाद में यह जांच मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन को सौंप दी गई। जांच अधिकारी मनोज चंद्रन ने हाल में विभाग प्रमुख को सौंपी जांच रिपोर्ट में इस प्रकरण में पार्क के कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए तीन कार्मिकों के निलंबन की संस्तुति की। इन पर साक्ष्यों से छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया है। यही नहीं जांच को प्रभावित करने के प्रयास होने की बात भी कही गई है। पीसीसीएफ ने मामले में पार्क निदेशक, तत्कालीन जांच अधिकारी, हरिद्वार रेंज के आरओ, वन दारोगा व वन आरक्षी से स्पष्टीकरण तलब किया। सूत्रों के मुताबिक सभी की ओर से स्पष्टीकरण तय समयावधि के भीतर भेज दिए गए। निदेशक ने यह भी बताया है कि जिस दिन बरामदगी हुई, उस दिन वह यहां थे ही नहीं। साथ ही साक्ष्य के बारे में भी पूछा है। वहीं, अब इस मामले में पीसीसीएफ ने पांचों को सोमवार को अपने कार्यालय में तलब किया है। बताया गया कि साक्ष्यों से छेड़छाड़ और जांच प्रभावित करने के प्रयासों को लेकर आए बिंदुओं पर पीसीसीएफ सवाल पूछकर आश्वस्त होना चाहते हैं कि वास्तविक स्थिति आखिर है क्या। ------ क्या है जांच रिपोर्ट में प्रकरण में जांच अधिकारी मनोज चंद्रन की ओर से अपनी रिपोर्ट में बताया कि मामले में दर्ज अपराध, फर्द बरामदगी आदि में विसंगतियां हैं। गवाहों के सामने भी जब्त सामग्री सील नहीं हुई। यही नहीं, जिस संदूक में सामग्री रखी गई थी, उस पर लगे ताले व सील में अंतर पाया गया। यानी साक्ष्यों से छेड़छाड़ की गई। फोटो के आधार पर सामने आई भिन्नता जांच अधिकारी के मुताबिक अभी तक इस मामले में 70 लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि मौके से मिली सामग्री और सील खुलने के बाद की सामग्री के फोटो जब गवाहों को दिखाए गए तो बात सामने आई कि दोनों भिन्न हैं। जिस संदूक में यह सामग्री रखी गई थी, उसका पहले के ताले, सील व कपड़े और बाद के ताले, सील व कपड़े में भी अंतर है। ---- कहां से आया बाघ-गुलदार का मांस दूधिया ब्लाक से मिले मांस के नमूनों की जांच में इसके बाघ व गुलदार का होने की पुष्टि हुई है। ऐसे में सवाल उठ रहा कि यदि किसी को मांस बदलना ही था तो वह किसी मवेशी का मांस रख सकता है। इसमें बाघ व गुलदार का मांस कहां से आया। इनका शिकार कहां हुआ। जांच अधिकारी के अनुसार जांच अभी चल रही है और जल्द ही इन सवालों पर भी स्थिति साफ हो जाएगी।
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