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सब्जियां महंगी देख किसानों ने बदली पारंपरिक खेती

संवाद सहयोगी विकासनगर कोरोना संक्रमण के दौरान लागू लॉकडाउन के बाद से सब्जियों की कीमत में काफी उछाल आया जिसे देखकर किसान परंपरागत खेती को छोड़कर नगदी सब्जी की खेती पर ध्यान दे रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 07:03 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 07:03 PM (IST)
सब्जियां महंगी देख किसानों ने बदली पारंपरिक खेती

संवाद सहयोगी, विकासनगर: कोरोना संक्रमण के दौरान लागू लॉकडाउन के बाद से सब्जियों की कीमतों में आए उछाल को देखते हुए पछवादून क्षेत्र के किसानों ने पारंपरिक खेती से मुंह मोड़ लिया है। किसान अब सब्जी उत्पादन पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। कई किसानों ने परंपरागत खेती के तौर तरीकों को छोड़कर अब विभिन्न मौसमी सब्जियों की खेती को प्राथमिकता दी है। वहीं कई घरों में किचन गार्डन की हरियाली भी दिखने लगी है। लोग छोटी-छोटी क्यारियों में सब्जी उगा रहे हैं। इसे कृषि विज्ञानी स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर बता रहे हैं।

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लॉकडाउन में बढ़ी सब्जियों की कीमत कम होने का नाम नहीं ले रही है। इन दिनों क्षेत्र के विभिन्न बाजारों में आलू, गोभी, मटर, टमाटर, बंद गोभी, बैंगन, प्याज आदि सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं। इस मंहगाई को देखते हुए किसान नगदी सब्जी की खेती की तरफ आकर्षित हो रहा है। ढकरानी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में इन विभिन्न मौसमी सब्जियों की खेती के लिए पौध भी तैयार की गई है। जिसमें टमाटर, पत्ता गोभी, बंद गोभी आदि की पौध ले जाने वाले किसानों की तादाद प्रतिदिन बढ़ रही है। इसके आलवा स्थानीय लोग में किचन गार्डन के प्रति काफी उत्साह देखा जा रहा है। लोग अपने घरों के भीतर ही क्यारियां या छतों पर मिट्टी डालकर सब्जी उगा रहे हैं। क्षेत्र के आदर्श किसान व कृषि संबंधी गतिविधियों के बारे में किसानों, छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण देने वाले सूर्य प्रकाश बहुगुणा, शिक्षक अतुल शर्मा, अरुण शर्मा, मोहम्मद यासीन का कहना है कि लॉकडाउन में समय काटने के लिए घरों के भीतर किचन-गार्डन तैयार किए हैं। जिनसे काफी हद तक घर के काम लायक सब्जी का उत्पादन हो गया। किसान राजेंद्र धीमान, अशोक कुमार, सतपाल, सतेंद्र कुमार, नवीन चंद, जीवन, मनोहर आदि का कहना है कि पारंपरिक गन्ने, धान व गेहूं आदि की खेती में उतना लाभ नहीं है, जितना नगदी फसलों में है। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. एके शर्मा का कहना है कि फसल की कीमत किसानों को प्रभावित करती है। ऐसे में किसानों की कैश क्रॉप के प्रति रुचि बढ़ना स्वभाविक है। उनका कहना है कि पछवादून क्षेत्र में काफी संख्या में किसान सब्जियों की खेती से जुड़े हैं। इसके अलावा घरों में सब्जी उगाने से सब्जी पर खर्च किया जाने वाला खर्च भी बचेगा। जैविक सब्जियां उनके स्वास्थ्य व आर्थिकी को भी ठीक रखने में सहायक बनेंगी।


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