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आबकारी राजस्व के लक्ष्य से अभी काफी दूर महकमा

प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व देने वाला आबकारी महकमा इस वर्ष निर्धारित लक्ष्य से काफी दूर है। विभाग के सामने 3600 करोड़ रुपये राजस्व लक्ष्य जुटाने का जिम्मा है। इसके सापेक्ष आबकारी महकमा अभी तक 21 सौ करोड़ रुपये तक ही पहुंच पाया है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 04:45 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 04:45 PM (IST)
प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व देने वाला आबकारी महकमा इस वर्ष निर्धारित लक्ष्य से काफी दूर है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व देने वाला आबकारी महकमा इस वर्ष निर्धारित लक्ष्य से काफी दूर है। विभाग के सामने 3600 करोड़ रुपये राजस्व लक्ष्य जुटाने का जिम्मा है। इसके सापेक्ष आबकारी महकमा अभी तक 21 सौ करोड़ रुपये तक ही पहुंच पाया है। अब वित्तीय वर्ष समाप्त होने में मात्र दो माह का वक्त रह गया है और दुकानों में भी निर्धारित कोटा निकालने को शराब की कीमतें कम की जा रही हैं।

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इन परिस्थितियों में फिलहाल आबकारी लक्ष्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। आबकारी विभाग ने इस साल प्रदेश में शराब और बियर की 659 दुकानों को आवंटित करने के लिए लॉटरी निकाली थी। यह संख्या वित्तीय वर्ष 2019-20 से 40 अधिक थी। विभाग को उम्मीद थी कि दुकान आवंटन का तरीका बदलने के कारण हाथों-हाथ दुकानें उठ जाएंगी। ऐसा हुआ नहीं और 132 दुकानें बिकने से रह गई। विभाग ने यह उम्मीद जताई कि अगले कुछ माह में इन दुकानों के लिए कोई खरीददार मिल जाएगा। इस बीच कोरोना के कारण पूरे देश में लकडाउन हो गया। नतीजा यह हुआ कि तीन माह तक तो काम पूरी तरह ठप रहा। अनलाक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद इस व्यवस्था के पटरी आने की उम्मीद जताई गई लेकिन पर्यटकों की कम संख्या के चलते यह पूरी तरह परवान नहीं चढ़ पाई।

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दरअसल, आबकारी विभाग को सबसे अधिक राजस्व प्रदेश में आने वाले पर्यटकों के जरिये मिलता है। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में बिकने वाली कुल शराब की 50 फीसद से अधिक की खपत पर्यटकों द्वारा की जाती है। नवंबर के बाद पर्यटकों की संख्या में इजाफा जरूर हुआ है लेकिन आबकारी विभाग को अपेक्षित लाभ नहीं मिल सका है। हालांकि, विभाग अभी भी 2800 करोड़ रुपये के आंकड़े को छूने की उम्मीद जता रहा है। इसका मुख्य कारण दुकानों के आवंटन के रूप में मिलने वाला 1722 करोड़ रुपये है। यह मार्च तक विभाग को पूरा मिल जाएगा। हालांकि, अब मुख्य चुनौती शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व को लेकर है, जो अभी से व्यवस्था लड़खड़ाता नजर आ रहा है। कारण यह कि शराब व्यवसायियों ने अभी से शराब के दाम खासे घटा दिए हैं। ऐसा कर वह प्रतिमाह का निर्धारित कोटा निकालना चाहते हैं। ऐसा अमूमन मार्च अंत में होता है। इससे साफ है कि शराब की बिक्री कम हो रही है। इससे सीधे-सीधे विभाग के राजस्व पर भी असर पड़ेगा।

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