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निश्शुल्क दिव्यांग शिविर में 150 से अधिक दिव्यांगजनों को बांटे उपकरण

हिंदू नेशनल स्कूल में निश्शुल्क दिव्यांग शिविर आयोजित किया गया। शिविर के पहले दिन लगभग 150 लोगों को कृत्रिम पैर कैलिपर कान की मशीनें समेत अन्य उपकरण दिए गए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 11:47 AM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 11:47 AM (IST)
निश्शुल्क दिव्यांग शिविर में 150 से अधिक दिव्यांगजनों को बांटे उपकरण

देहरादून, जेएनएन। श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर सेवा दल और इनरव्हील क्लब वेस्ट देहरादून, स्वास फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में हिंदू नेशनल स्कूल में निश्शुल्क दिव्यांग शिविर आयोजित किया गया। शिविर के पहले दिन लगभग 150 लोगों को कृत्रिम पैर, कैलिपर, कान की मशीनें समेत अन्य उपकरण दिए गए।

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महंत श्रीश्री 108 रविंद्र पुरी महाराज के सानिध्य में आयोजित तीन दिवसीय निश्शुल्क दिव्यांग सेवा शिविर के पहले दिन उत्तराखंड, दिल्ली, उत्तर प्रदेश से 429 दिव्यांगों ने पंजीकरण करवाया। राजस्थान से पहुंची 35 डॉक्टरों व सहायकों की टीम ने शिविर में आए दिव्यांगजनों का परीक्षण कर कृत्रिम अंग लगाए। शिविर की संयोजक अनामिका जिंदल ने बताया कि कृत्रिम अंग लगाने के अलावा लोगों को निश्शुल्क दंत जांच, शुगर, बीपी, आखों की जांच समेत 21 अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं भी दी गईं।

शिविर में एनआइईपीवीडी के सहयोग से दिव्यांगों को 15 ट्राई साइकिल, 18 व्हील चेयर, 210 कानों के सुनने की मशीन, 149 चश्मे आदि वितरित किए गए। शिविर दो दिन और चलेगा। इस अवसर पर आचार्य मनमोहन शर्मा एवं आचार्य ईश्वर सेमवाल ने इलेक्ट्रोनिक गीता किताब का अनावरण भी किया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सुनील जैन, संगीता जैन व विशिष्ट अतिथि कुंवर जपिंदर सिंह मौजूद रहे। इसके अलावा शिविर में सुनील अग्रवाल, अशोक कुमार, डॉ. मुकुल, अभिषेक अग्रवाल, टीना अग्रवाल संजय गर्ग आदि मौजूद रहे।

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अब दूसरों का सहारा बनेंगे लीला राम

हल्द्वानी के लीला राम ने अपने दोनों पैर ढाई साल पहले एक एक्सीडेंट खो दिए थे। इलाज करवाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। पैर खोने के बाद उन्होंने जीवन से सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं, लेकिन दून में शनिवार को श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर सेवा दल और इनरव्हील क्लब वेस्ट देहरादून स्वास फाउंडेशन द्वारा आयोजित निश्शुल्क दिव्यांग शिविर में उन्हें कृत्रिम पैर लगाए गए। उन्होंने इस पर खुशी जताते हुए कहा कि खोए पैर वापस मिले हैं, अब मैं दूसरों का सहारा बनना चाहूंगा।

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