लोकसभा चुनाव: मेरी पहली स्याही, बेकार नहीं जाने देंगे वोट का अधिकार
बेशक आज युवा अपनी महत्वकांक्षाओं और कॅरियर को लेकर चिंताग्रस्त है पर खासकर लोकसभा चुनाव में पहली दफा मतदान करने जा रहे युवा काफी उत्साहित हैं।
देहरादून, जेएनएन। वोट मजबूत लोकतंत्र का आधार है, जिसे युवा वर्ग भली भांति महसूस करता है। बेशक आज युवा अपनी महत्वकांक्षाओं और कॅरियर को लेकर चिंताग्रस्त है, पर उनकी सोच और बातों में देश के प्रति चिंता व एक बेहतर भविष्य की कामना भी स्पष्ट दिखती है। खासकर लोकसभा चुनाव में पहली दफा मतदान करने जा रहे युवा काफी उत्साहित हैं। उनका कहना है कि वोट का अधिकार वह बेकार नहीं जाने देंगे, लोकतंत्र के इस हथियार का जरूर इस्तेमाल करेंगे। बकायदा इसकी सेल्फी फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि पर पोस्ट भी करेंगे। कुछ ने यह तय किया है कि दोस्तों की टोली के साथ मतदान करने जाएंगे।
दैनिक जागरण से बात करते हुए इन युवाओं ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को व्यर्थ के मुद्दों पर ऊर्जा नष्ट करने के बजाय पलायन, रोजगार, शिक्षा, कानून व्यवस्था जैसी वास्तविक समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।बोले, युवा
चित्रा जोशी (निवासी हाथीबड़कला) का कहना है कि हम अपने रोजगार को लेकर चिंतित हैं, लिहाजा हम जिन नेताओं व नीति नियंताओं को चुनेंगे, आशा करते हैं कि वे देश के विकास व रोजगार की स्थिति बेहतर बनाने के लिए काम करेंगे। चाहे जिसकी भी सरकार बने, उसे देश में सरकारी व प्राइवेट सेक्टर में रोजगार के अधिकाधिक अवसर पैदा करने के लिए काम करना चाहिए।
अभिलाषा थपलियाल (निवासी सेवक आश्रम रोड) का कहना है कि शिक्षा क्षेत्र की बेहतरी के लिए मतदान करूंगी। आज शिक्षा के बाजारीकरण के कारण इसका स्तर गिरा है। जो स्कूल-कॉलेज गुणवत्ता के लिहाज से सही नहीं हैं, उनकी मान्यता निरस्त होनी चाहिए। निजी स्कूलों के शुल्क निर्धारण का अधिकार सरकार के पास होना चाहिए।
सचिन पुरोहित (निवासी नत्थुवावाला) का कहना है कि देश-प्रदेश में रोजगार के अवसरों का अकाल है। सरकार को ऐसे विकल्प बनाने होंगे, जिससे युवाओं को रोजगार के अधिकाधिक अवसर मिलें। इसके अलावा बुनियादी शिक्षा पर भी ज्यादा से ज्यादा फोकस होना चाहिए। मतदान करते वक्त यह तमाम बातें जहन में होंगी।
मनीष पांडे (निवासी वाणी विहार रायपुर) का कहना है कि स्वयं तो वोट दूंगा ही, साथ ही अपने दोस्तों को भी वोट देने के लिए प्रेरित करूंगा। इस सोच को हम सभी दोस्त एक दूसरे से शेयर कर रहे हैं। जिससे अधिक से अधिक वोटिंग प्रतिशत बढ़े। जिससे बाद में पछतावा ना रहे। मतदान करते वक्त रोजगार, शिक्षा, देश की सुरक्षा जैसे मुद्दे जहन में होंगे।
अजय (निवासी नेशविला रोड) का कहना है कि ट्रोलिंग व प्रतिकूल प्रतिक्रिया होने के डर से लोग सोशल मीडिया पर जनहित के मुद्दों पर विचार व्यक्त करने से डरने लगे हैं। यह स्थिति नहीं होनी चाहिए। पार्टियों के चुनावी घोषणा पत्र को पढऩे के बाद ही अपने पसंदीदा उम्मीदवार पर निर्णय करूंगा। जिस भी उम्मीदवार को वोट दूंगा, देखूंगा कि उसका पब्लिक कनेक्ट कितना है।
ज्योति रानी (निवासी अजबपुर) का कहना है कि देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर किसी भी राजनीतिक दल ने सही अर्थों में काम नहीं किया है। जब मैं मतदान करने जाऊंगी तो उम्मीदवार का निर्णय करते समय मेरे मन में यह प्रश्न सर्वोपरि होगा कि मैं जिसे वोट डालने जा रही हूं वह इस मसले पर संजीदा है या नहीं।
सोना (निवासी धर्मपुर) का कहना है कि शिक्षा ही देश का भविष्य है। ऐसे में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि शिक्षण संस्थाओं में रिक्त पदों को भरा जाए। जो भी सरकार आए, वह ऐसा कानून बनाए कि शिक्षण संस्थान जैसे स्कूल, कॉलेज व अन्य संस्थानों में रिक्त पद नहीं हो। स्कूल-कॉलेजों में कॅरियर काउंसिलिंग सेल की भी अनिवार्यता होनी चाहिए।
प्रियंका पाल ( निवासी धर्मपुर) का कहना है कि देश में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ज्यादा व्यवसायिक कार्यक्रम चलाने चाहिए। देश में इंफ्रास्टचर के साथ चिकित्सा व शिक्षा पर भी जोर देना चाहिए। आज के समय में लड़कियों को आगे बढ़ाने की सख्त आवश्यकता है। ऐसे में नौकरी, व्यापार, राजनीति व निजी क्षेत्र में आरक्षण मिलना चाहिए।
सना (निवासी अजबपुर) का कहना है कि मौजूदा परिस्थिति में महिला सुरक्षा के लिए कई नए कानून बने हैं, लेकिन इन कानूनों पर सख्ती से पालन नहीं हो रहा है। ऐसे में महिला उत्पीडऩ व अत्याचार के मामले बढ़ रहे हैं। महिलाओं के लिए समाज में आदर भाव बढ़े, इसके लिए नैतिक शिक्षा को जरूरी करना चाहिए।
श्वेता थापा (निवासी बिलासपुर कांडली) का कहना है कि लोकसभा चुनावों में पहली बार मतदान को लेकर बहुत उत्साह है। पहली बार देश की सरकार चुनने के लिए वोट का मौका मिलने जा रहा है। देश के विकास के लिए अपना वोट करूंगी। खुशी है कि लोकतंत्र के इस महापर्व में शामिल होने का मौका मिल रहा है।
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