Move to Jagran APP

विधानसभा चुनाव में सरकार को अपनी ताकत दिखाएंगे कर्मचारी

आरक्षण के मुद्दे पर सरकार से खफा कर्मचारियों के आंदोलन पर अब सियासी रंग चढ़ने लगा है। कर्मचारी संगठनों ने सरकार में अब अपने लोगों को भेजने का आह्वान किया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 03:10 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 03:11 PM (IST)
विधानसभा चुनाव में सरकार को अपनी ताकत दिखाएंगे कर्मचारी
विधानसभा चुनाव में सरकार को अपनी ताकत दिखाएंगे कर्मचारी

देहरादून, जेएनएन। आरक्षण के मुद्दे पर सरकार से खफा कर्मचारियों के आंदोलन पर अब सियासी रंग चढ़ने लगा है। कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांगें मनवाने के लिए सरकार में अब अपने लोगों को भेजने का आह्वान किया है। कर्मचारियों के बीच से मांग उठी है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में सूबे की सभी 70 सीटों पर रिटायर्ड अधिकारियों व कर्मचारियों को मैदान में उतारा जाए।

loksabha election banner

जनरल और ओबीसी वर्ग के सैकड़ों कर्मचारियों ने इसका पुरजोर समर्थन किया है। कर्मचारियों ने चुनाव लडऩे वाले रिटायर्ड कार्मिकों को अपना एक-एक माह का वेतन देने का भी एलान किया। उनका कहना था कि जब भी कर्मचारियों के हित की लड़ाई शुरू होती है तो उन्हें जातियों में बांटने की कोशिश की जाती है। बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली पर सरकार का रुख इस समय ऐसा ही है। वह 20 प्रतिशत लोगों को साधने के लिए 80 प्रतिशत के हितों की अनदेखी करने का जोखिम उठा रही है। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि यह लड़ाई अब केवल कर्मचारियों की नहीं रह गई है, बल्कि सरकार ने इसे व्यापक मुद्दा बना दिया है। 

इस दौरान फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील कोठारी, पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार, राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री सोहन सिंह माजिला, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के कार्यकारी प्रदेश महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट, सिंचाई कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश रमोला, राजकीय वाहन चालक महासंघ के प्रदेश महामंत्री संदीप कुमार मौर्य, नंद किशोर त्रिपाठी, ओमवीर सिंह, राकेश ममगाईं, गुड्डी मटुड़ा, अंजू बड़ोला, रेणु लांबा, सुनीता उनियाल, जगमोहन सिंह नेगी समेत निगम व अन्य परिसंघों के कर्मचारी मौजूद रहे। 

कर्मचारी नेताओं की सुनिये

  • दीपक जोशी (प्रांतीय अध्यक्ष, जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन) का कहना है कि कर्मचारियों के हक को सरकार ने वोट बैंक का मुद्दा बना लिया है। हम भी तय कर चुके हैं कि सरकार की हठधर्मिता का जवाब देकर अपना हक लेकर ही रहेंगे।
  • वीरेंद्र सिंह गुसाईं (प्रांतीय महासचिव, जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन) का कहना है कि सरकार को कर्मचारियों को राजनीति का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि कर्मचारी सरकार का ही अंग हैं। अब हम आरक्षण से पदोन्नति पाए कर्मचारियों को रिवर्ट कराने के लिए भी आंदोलन करेंगे।
  • बनवारी लाल (प्रदेश अध्यक्ष, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ) का कहना है कि सरकार अब कर्मचारियों के सब्र की परीक्षा ले रही है। हमने भी ठान लिया है कि इस लड़ाई को उस वक्त तक जारी रखेंगे, जब तक पदोन्नति में आरक्षण खत्म नहीं कर दिया जाता।
  • पूर्णानंद नौटियाल (प्रदेश महामंत्री, फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन) का कहना है कि कर्मचारियों ने इस राज्य को बनाने में 94 दिन का आंदोलन किया। सरकार ने हठ न छोड़ा तो अब उससे बड़ा आंदोलन होगा, जिसकी झलक राज्यभर से जुटे कर्मचारियों की संख्या में दिख गई है।
  • ठाकुर प्रहलाद सिंह ( प्रदेश अध्यक्ष, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद) का कहना है कि सरकार और कांग्रेस का रवैया भत्र्सना योग्य है। वर्ग विशेष के समर्थन में पूरे समाज के हित की अनदेखी की जा रही है। प्रकरण का अब राजनीतिकरण किया जा रहा है।
  • अरुण पांडेय (कार्यकारी प्रदेश महामंत्री राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद) का कहना है कि बिना आरक्षण पदोन्नति का मुद्दा अब देशव्यापी बन गया है। प्रदेश के कई राज्यों के कर्मचारियों की निगाहें उत्तराखंड पर टिकी हैं। हक तो लेकर मानेंगे और देश में आरक्षण व्यवस्था खत्म करने में मील का पत्थर भी रखेंगे।
  • वीपी नौटियाल (राष्ट्रीय महासचिव, अखिल भारतीय समानता मंच) का कहना है कि बिना आरक्षण पदोन्नति के मुद्दे को लेकर यह लड़ाई एकजुट होकर जीतनी है। तभी रोस्टर आदि को लेकर हमारी जीत का मार्ग प्रशस्त होगा। इसके लिए सरकार को अपनी ताकत दिखाने की हरसंभव कोशिश करनी होगी।
  • पंचम सिंह बिष्ट (प्रदेश महामंत्री, पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन) का कहना है कि आरक्षण की लड़ाई को सरकारी विभागों से निकालकर सड़क पर लाने के लिए जिम्मेदार केवल सरकार की हठधर्मिता है। सरकार ने खुद एसएलपी लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कदम क्यों ठिठक गए। 

 सचिवालय समेत राजकीय दफ्तरों में लटके रहे ताले

पदोन्नति में आरक्षण को लेकर एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार सरकारी दफ्तरों में कामकाज प्रभावित रहा। सचिवालय समेत तमाम राजकीय विभागों में दिन भर ताले लटके रहे और कामकाज के सिलसिले में आए लोगों को बैरंग लौटना पड़ा।

सात फरवरी को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सरकार के रुख में अचानक आई तब्दीली को लेकर जनरल-ओबीसी कर्मचारी बीते तेरह दिनों से आंदोलन की राह पर हैं। 14 फरवरी को सामूहिक कार्य बहिष्कार के दौरान दफ्तरों में जिस तरह सन्नाटा पसरा था, गुरुवार को उन विभागों के ताले तक नहीं खुले। सचिवालय के कई अनुभागों में पूरे दिन कुर्सियां खाली पड़ी रहीं।

एकाध अनुभागों में कर्मचारी दिखे भी, लेकिन कामकाज नहीं हो सका। आरटीओ के तो मुख्य द्वार पर दफ्तर में कामकाज न होने की सूचना का बोर्ड रख दिया गया था। यहां तो मुख्य द्वार का ताला तक नहीं खुला। जिन काउंटरों पर रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग कतार में लगे होते हैं, वहां पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा। कमोबेश यही हाल कलक्ट्रेट, तहसील, विकास भवन, लोक निर्माण विभाग, शिक्षा विभाग के कार्यालयों का भी रहा। हालांकि विभागों में एससी-एसटी वर्ग समेत कई कर्मचारी अपनी सीटों पर बैठे दिखे, मगर अधिकांश महत्वपूर्ण पटलों पर कर्मचारियों के न होने से विभिन्न कामों से आए लोगों को निराश लौटना पड़ा।

कर्मचारियों का आंदोलन कब क्या हुआ

  • सात फरवरी को बिना आरक्षण पदोन्नति को राज्य का विषय बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फैसला लेने को कहा।
  • दस फरवरी को राहुल गांधी के बयान पर कर्मचारियों का आक्रोश और बढ़ गया और आपात बैठक बुलाई।
  • बारह फरवरी को कर्मचारियों ने कांग्रेस मुख्यालय कूच कर राहुल गांधी का पुतला फूंका। 
  • चौदह फरवरी को प्रदेश भर के करीब सवा लाख जनरल ओबीसी कर्मचारी सामूहिक कार्य बहिष्कार पर रहे।

यह भी पढ़ें: आंदोलन के लिए सुस्त रवैये पर शिक्षक संगठन के शीर्ष नेतृत्व नाराज

मंत्रियों-विधायकों का रोकेंगे रास्ता

26 फरवरी को मशाल जुलूस और दो मार्च से बेमियादी हड़ताल के साथ ही कर्मचारी संगठनों ने यह भी ऐलान किया है कि वह गैरसैंण सत्र का विरोध तो करेंगे ही। साथ ही सत्र के बाद राजधानी लौटने वाले मंत्रियों-विधायकों का रास्ता भी रोकेंगे। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि यदि वह सड़क पर हैं तो सरकार को भी चैन से बैठने नहीं देंगे।

यह भी पढ़ें: मुख्यमंत्री आवास कूच कर गरजे जनरल-ओबीसी कर्मचारी, 26 को मशाल जुलूस; दो मार्च से बेमियादी हड़ताल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.