अधिकारी-कर्मचारी बोले, टिहरी के 125 गांव की कुर्बानी का सौदा न करें सरकार
टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के विनिवेश के फैसले को कर्मचारियों-अधिकारियों ने अनुचित ठहराया है। कहा बांध परियोजना के लिए 125 गांव की कुर्बानी देने वालों के हितों का सौदा हो रहा है।
ऋषिकेश, जेएनएन। एशिया महाद्वीप में जल विद्युत परियोजना के क्षेत्र में तीसरा स्थान रखने वाली टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के विनिवेश के फैसले को कर्मचारियों और अधिकारियों ने अनुचित ठहराया है। इनका कहना है कि टिहरी बांध परियोजना के लिए 125 गांव की कुर्बानी देने वाले लोगों के हितों का केंद्र सरकार सौदा कर रही है। इस परियोजना के लिए गांव डुबा कर अपनी संस्कृति और पैतृक भूमि छोड़ने वाले परिवारों के साथ यह विश्वासघात है।
केंद्र सरकार ने टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड(टीएचडीसी) के विनिवेश का फैसला लिया है। नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) को यह विनिवेश किया जाएगा। सरकार के इस प्रस्ताव पर टिहरी बांध परियोजना से जुड़े तमाम अधिकारी कर्मचारी आंदोलन कर चुके हैं। अब सरकार के इस फैसले से इन संगठनों ने आंदोलन की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। टीएचडीसी सुपरवाइजर एसोसिएशन के अध्यक्ष वीपी सेमवाल ने कहा कि टीएचडीसी टिहरी के नाम पर बनी। यह प्रथम मिनी रत्न संस्थान है।
दूसरी कंपनी में इसका विनिवेस करना और इसे मर्ज करना उचित नहीं है। केंद्र सरकार के इस निर्णय से टीएचडीसी की स्वतंत्रता और अस्तित्व समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि टीएचडीसी में सत्तर प्रतिशत लोग पर्वतीय मूल के हैं। एनटीपीसी की सेवा शर्तें इसके अनुकूल नहीं होंगी। टिहरी बांध परियोजना को लेकर हनुमंत राव कमेटी ने यह सिफारिश की थी कि टीएचडीसी में शत प्रतिशत वर्कमैन डूब क्षेत्र या टिहरी जनपद के होने चाहिए। सुपरवाइजर लेबल के अधिकारी उत्तराखंड क्षेत्र के होने चाहिए। अब एनटीपीसी इसका पालन कर पाएगी या नहीं इस पर संदेह है।
विस्थापितों को नहीं मिला भूमिधरी का अधिकार
एसोसिएशन के अध्यक्ष वीपी उनियाल ने कहा कि हनुमंत राव कमेटी ने हर विस्थापित परिवार को रिक्त होने वाले पदों पर सेवा देने की सिफारिश की थी। एनटीपीसी के आने से वह इसके लिए स्वतंत्र हो जाएगी। उन्होंने कहा कि टिहरी बांध परियोजना के लिए हमारे 125 गांव डूब गए। आज तक विस्थापितों को भूमिधरी का अधिकार तक नहीं मिला है। टीएचडीसी की समस्त भूमि का अधिकार उसे नहीं मिला है। केंद्र सरकार की नीति सिर्फ पैसा कमाने की है। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही इस मुद्दे पर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।
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परियोजनाओं से मिलता है 1613 मेगा वाट बिजली उत्पादन
टीएचडीसी चालक हेल्पर संघ के महामंत्री कृष्णपाल सिंह बिष्ट ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले का संगठन की तरफ से विरोध किया है। उन्होंने कहा कि सरकार अगर विनिवेश ही करना चाहती है तो एनटीपीसी को टीएचडीसी में क्यों नहीं मर्ज कर देती। टीएचडीसी के अंतर्गत संचालित परियोजनाएं 1613 मेगा वाट बिजली का उत्पादन कर रही है। टिहरी बांध परियोजना से 1000 मेगा वाट, कोटेश्वर से 400, पाटन और द्वारका से 153 मेगा वाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है। ऐसी परिस्थिति में मिनी रत्न कंपनी को विनिवेश किया जाना टिहरी डूब क्षेत्र के लोगों और यहां के कर्मियों के हितों पर सीधा कुठाराघात है। केंद्र सरकार ने अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार न किया तो संगठन आंदोलन की राह अपनाएगा।
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