वाम और जनवादी ताकतों के संयुक्त संघर्ष पर दिया जोर, पढ़िए पूरी खबर
भाकपा माकपा व भाकपा (माले) की संयुक्त बैठक में पदाधिकारियों ने वाम-जनवादी ताकतों के संयुक्त संघर्ष करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
देहरादून, जेएनएन। वामपंथी पार्टियों की बैठक में पदाधिकारियों ने वाम-जनवादी ताकतों के संयुक्त संघर्ष करने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही तय किया गया कि राष्ट्रीय आह्वान पर 14 अक्टूबर को मंदी, बेरोजगारी के खिलाफ गांधी पार्क में संयुक्त धरना दिया जाएगा।
भाकपा, माकपा व भाकपा (माले) की माकपा के कांवली रोड स्थित राज्य कार्यालय में संयुक्त बैठक आयोजित की गई। इस दौरान वामपंथी नेताओं ने कहा कि देश आर्थिक मंदी की चपेट में है और बेरोजगारी पिछले 45 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। लेकिन, मोदी सरकार आमजन की क्रय क्षमता बढ़ाने के बजाय पूंजीपतियों की तिजोरियां भरने का इंतजाम कर रही है। आरोप लगाते हुए कहा कि कश्मीर की जनता को बंधक बना दिया गया और स्थानीय लोगों के नागरिक व संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
वहीं, असम में एनआरसी के चलते 19 लाख लोगों को नागरिकता से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधाओं का अकाल और शिक्षा व्यवस्था की बदहाली लगातार बनी हुई है। राज्य में डेंगू महामारी का रूप ले चुका है, लेकिन मुख्यमंत्री हास्यास्पद बयान दे रहे हैं। राज्य में वामपंथ की संयुक्त ताकत को मजबूत करने के लिए दिसंबर तक तीनों वामपंथी पार्टियों का संयुक्त सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें तीनों पार्टियों के राष्ट्रीय महासचिव भी शामिल होंगे।
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इसके अलावा ट्रेड यूनियनों की आठ जनवरी की राष्ट्रीय हड़ताल को वाम दलों ने अपना समर्थन दिया। बैठक में भाकपा के राज्य सचिव समर भंडारी, माकपा के राज्य सचिव राजेंद्र नेगी, भाकपा(माले) के राज्य सचिव राजा बहुगुणा,भाकपा के अशोक शर्मा, ईश्वर पाल, माकपा के राजेंद्र पुरोहित, लेखराज, इंदु नौडियाल, अनंत आकाश, अर्जुन सिंह रावत, भाकपा(माले) के केपी चंदोला, इंद्रेश मैखुरी आदि शामिल रहे।
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