सुविधाएं खत्म करने के विरोध में विद्युत अधिकारियों और कर्मचारियों ने खोला मोर्चा
ऊर्जा निगम प्रबंधन की ओर से कार्मिकों को मिलने वाली सुविधाओं को खत्म करने के विरोध में उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने आंदोलन शुरू कर दिया है।
देहरादून, जेएनएन। ऊर्जा निगम प्रबंधन की ओर से कार्मिकों को मिलने वाली सुविधाओं को खत्म करने के विरोध में उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने आंदोलन शुरू कर दिया है। तीनों ऊर्जा निगमों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने ऊर्जा भवन कांवली रोड में धरना देकर प्रदर्शन किया।
धरने की अध्यक्षता करते हुए जीएन कोठियाल ने कहा कि मोर्चा की ओर से बीते 16 नवंबर और 19 दिसंबर को हुई द्विपक्षीय वार्ता के संबंध में धरना शुरू किया गया है। ऊर्जा निगम प्रबंधन की ओर से कार्मिकों को रियायती दरों पर मिलने वाली विद्युत टैरिफ की सुविधा को लगभग खत्म कर देने की तैयारी के विरोध में धरना शुरू किया गया है।
कहा कि सभी कार्मिकों और पेंशनरों के आवासों पर विद्युत मीटर लगाकर नियमानुसार विद्युत बिलिंग के कारण निगमों के अधिकारियों व कर्मचारियों में रोष है। मोर्चा के संयोजक इंसारूल हक ने कहा कि विद्युत टैरिफ की सुविधा को किसी भी स्थिति में समाप्त नहीं होने दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जरूरत पड़े तो इसके लिए हड़ताल भी की जा सकती है। जब तक प्रबंधन की ओर से विद्युत टैरिफ के संबंध में सर्वसम्मति से निर्णय नहीं लिया जाता है, तीनों प्रबंध निदेशकों को उनके कार्यालयों में बैठने नहीं दिया जाएगा।
इस मौके पर राकेश शर्मा, मुकेश कुमार, रविंदर सैनी, सुधीर कुमार, नत्थु सिहं, रवि, दीपक बेनीवाल, दीपक शैली, सुशील शर्मा, रेखा डंगवाल, मनीष इंगले, तारा रानी, सुनील तंवर, कार्तिकेन दूबे आदि मौजूद रहे।
तबादलों पर शिक्षकों का विरोध शुरू
शिक्षा विभाग ने पारस्परिक तबादले शुरू कर दिए हैं। गुरुवार को बेसिक स्कूलों में तैनात शिक्षकों की पहली सूची जारी होते ही शिक्षकों में सूची को लेकर सवाल और विरोध शुरू हो गया। तबादलों को लेकर कुछ शिक्षकों ने नाराजगी जताई। हालांकि शिक्षक इस मामले में खुलकर सामने आने से भी बच रहें हैं।
शिक्षा विभाग की ओर से जारी तबादला सूची में नाम न आने वाले शिक्षकों ने शिक्षा निदेशालय में गुहार लगाना शुरू कर दिया। शिक्षा निदेशालय पहुंचे शिक्षकों ने निदेशक आरके कुंवर से वार्ता की। इस दौरान उन्होंने सूची में नाम शामिल नहीं होने पर नाराजगी जताई।
कहा कि लंबे समय से इंतजार करने के बाद नाम तबादले सूची से गायब हैं। वहीं, सत्र के मध्य में तबादलों की लिस्ट जारी होने पर शिक्षक संगठनों में भी रोष है। शिक्षकों का कहना है कि विभाग पूरे साल तबादलों में उलझा है, ऐसे में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कहा कि जब शिक्षकों को नए सत्र अप्रैल में कार्यभार ग्रहण करना है तो पांच माह पहले सूची जारी करने का औचित्य नहीं है।
सोशल साइट पर भी विरोध
शिक्षा विभाग की तबादलों की सूची को लेकर सोशल मीडिया के जरिये भी शिक्षक विभाग का आभार व विरोध जता रहें हैं। कई शिक्षक एक दूसरे को बधाई देते दिखे, तो कईयों ने शिक्षा विभाग के प्रति नाराजगी जताई। नाराज शिक्षकों ने सोशल मीडिया के जरिये विभागीय अधिकारियों से पूछा कि लंबे समय इंतजार करने के बाद उनका नंबर कब तक आएगा। सत्र के मध्य में सूची किस कारण जारी की और सालों से दुर्गम में ही सेवा दे रहे शिक्षकों को तबादले के लिए कितना इंतजार करना होगा।
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शासन से होता है अंतिम फैसला
शिक्षा निदेशक आरके कुंवर के मुताबिक, सूची पर अंतिम फैसला शासन से होता है। लंबे से पारस्परिक तबादलों के लिए आवेदन के आधार पर शासन को शिक्षकों की फाइल भेजी गई थी। वास्तविक मामलों की फाइल वर्तमान में भी ली जा रही है। इसके लिए शिक्षक आवेदन कर सकते हैं।
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