बोर्ड परीक्षा में शून्य रिजल्ट पर शिक्षा विभाग सख्त, लिया ये बड़ा फैसला
शिक्षा विभाग ने एक बड़ा फैसला लिया है। बोर्ड परीक्षा में शून्य रिजल्ट देने वाले अशासकीय विद्यालयों को अनुदान से वंचित रहना पड़ेगा।
देहरादून, [जेएनएन]: दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में शून्य रिजल्ट देने वाले अशासकीय विद्यालयों पर शिक्षा महकमा सख्त होता दिख रहा है। ऐसे स्कूलों को अब अनुदान से वंचित होना पड़ेगा। इतना ही नहीं इनकी मान्यता तक पर तलवार लटक गई है। शून्य रिजल्ट वाले स्कूलों के 55 वर्ष से अधिक के प्रधानाध्यापकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने पर भी विचार किया जा रहा है।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने बीते दिनों बोर्ड परीक्षा परिणाम की समीक्षा के दौरान खराब प्रदर्शन पर दंड और अच्छे प्रदर्शन पर पुरस्कार की घोषणा कर चुके हैं। इसी क्रम में शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने सभी मुख्य शिक्षाधिकारियों को पत्र लिखकर ऐसे शिक्षकों को चिह्नित करने को कहा है। इन शिक्षकों की वर्ष 2017-18 की रिपोर्ट में प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज कर रिपोर्ट निदेशालय को भेजने को कहा है।
गुरुवार को आयोजित समीक्षा बैठक में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि 23 जून तक शिक्षा मंत्री के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। खराब रिजल्ट पर वेतन रोकने, अनिवार्य स्थानांतरण और निलंबन आदि का भी विकल्प खुला है। शून्य रिजल्ट देने वाले अशासकीय विद्यालयों का अनुदान रोकने के आदेश भी उन्होंने दिए हैं।
एनसीसी से एनसीसी ट्रांसफर
शिक्षा विभाग में एनसीसी से जुड़े शिक्षकों का स्थानांतरण अब ऐसे ही किसी स्कूल में किया जाएगा, जहां एनसीसी है। विभाग इसका प्रस्ताव तैयार कर रहा है। महानिदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने कहा कि किसी अन्य जगह स्थानांतरण होने पर इनकी क्षमताओं को उपयोग नहीं हो पाता है और एनसीसी डिवीजन बंद होने की स्थिति में आ जाती है। ऐसे में स्थानांतरण एक्ट के नियम 27 के तहत इसमें छूट मांगी जा रही है।
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