ग्रीष्मकालीन अवकाश ने किया शिक्षकों का मूड खराब, बताया इसे तुगलकी फरमान
ग्रीष्मकालीन अवकाश को एक सप्ताह आगे बढ़ाने को लेकर शिक्षकों ने विरोध शुरू कर दिया है। शिक्षा निदेशालय का तर्क है कि अभी शैक्षिक सत्र के कुछ कार्य लंबित हैं जिससे अवकाश 27 मई के बजाए दो जून से प्रारंभ किए जाने का विचार किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: शिक्षा विभाग ने इस बार ग्रीष्मकालीन अवकाश एक सप्ताह विलंब से शुरू करने का निर्णय क्या लिया, इतने में ही शिक्षकों का पारा चढ़ा हुआ है। शिक्षा निदेशालय का कहना है कि मई महीने में जो अवकाश समायोजित किए जा रहे हैं उनके बदले की शिक्षकों को छुट्टी जुलाई में दी जाएगी, लेकिन फिर भी शिक्षकों में गुस्सा है।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने बताया कि 27 मई से ग्रीष्मकालीन अवकाश तय है, लेकिन शैक्षिक कार्य पूरा न होने और 28 मई रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मन की बात कार्यक्रम के चलते ग्रीष्मकालीन अवकाश को कुछ आगे बढ़ाया जा रहा है।
कई स्कूलों ने मासिक परीक्षा के प्राप्तांक शिक्षा विभाग के पोर्टल पर चढ़ाने होंगे। इस प्रकार के कार्यों को देखते हुए विभाग ने ग्रीष्मकालीन अवकाश एक सप्ताह आगे कर दिया है। उधर, शिक्षक संगठनों का आरोप है कि विभाग साल भर रूटीन कार्य पूरे करवाता नहीं हैं और आखिर में अवकाश को घटाकर अधिक कार्य होने की दुहाई दे रहे हैं।
शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने कहा कि शिक्षकों को नाराज होने की जरूरत नहीं है। विभाग ग्रीष्मकालीन अवकाश को समायोजित कर रहा है। शिक्षकों को काम के प्रति भी समर्पित रहने की जरूरत है।
उधर, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष उमेश सिंह चौहान ने कहा कि ग्रीष्म कालीन अवकाश जब पूर्व से ही कैलेंडर वर्ष में तय किए हुए हैं तो उनमे कटौती का कोई औचित्य नहीं है।
दीर्घकालीन अवकाश मे कई महीने पूर्व ही शिक्षकों के अपने बच्चों, रिश्तेदारों से मिलने के प्रोग्राम, टिकट आदि बुक हो जाते हैं। 28 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मन की बात जो जहां हैं वहां सुन सकता है तथा उसकी रिकार्डिंग विभाग को भेजी जा सकती है।
इसलिए उसकी आड़ में इस प्रकार के तुगलकी फरमान का जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ देहरादून इकाई विरोध करती है।