दशैं आयो, खाउंला, पीऊंला, कहां वाट ल्याउंला
विजयदशमी पर गोर्खा समुदाय में पांच दिन के दशैं पर्व का शुभारंभ हुआ। विशेष पूजन के साथ बड़े बुजुर्गो ने बच्चों को आशीर्वाद दिया।
संवाद सहयोगी, विकासनगर: वैसे तो विजयदशमी अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है, जिसे मां दुर्गा द्वारा महिषासुर के संहार पर मनाया जाता था, बाद में श्री राम की रावण पर विजय को दशहरे का रूप दे दिया गया, लेकिन यह पर्व मुख्यत: क्षत्रिय पर्व ही माना जाता है। गोरखा समुदाय भी इसे अलग ही अंदाज में उल्लासपूर्वक मनाता है। गोर्खाली समुदाय पांच दिन तक दशहरे पर्व मनाते हैं, जिसमें बुर्जग अपने छोटों को विशेष टीका लगाकर आर्शीवाद देते हैं।
सहसपुर में दशहरा पर्व मनाते हुए पूर्व प्रधान सुंदर थापा ने बताया कि गोर्खाली समुदाय में इस दिन लोग दही, रोली और चावल का टीका लगाते हैं। खासतौर पर रिश्तेदार एक-दूसरे के घर जाकर बधाइयां देते हैं और टीका लगाकर दक्षिणा के रूप में पैसे देते हैं। इस दिन प्रसाद के रूप में मांस और सेल रोटी का भोग लगाया जाता है। सहसपुर में मां काली मंदिर में शांति देवी ने प्रदीप गौतम, भगवान ¨सह, जीवन थापा, आशा थापा, ऊषा शाह, सुंदर थापा, कविता, गौरव गौतम, विन्नी आदि को विशेष गोर्खाली टीका लगाकर आशीर्वाद दिया। विजयादशमी के पारंपारिक गीत भी बड़े उल्लास के साथ गाए गए। 'दशैं आयो, खाऊंला-पिऊंला, कहां वाट ल्याऊंला। चोरेर ल्याऊंला, धत पाजी, पर जा'। विजयादशमी से शुरू हुए गोर्खाली समुदाय के दशैं पर्व पर भी परिवार के बुजुर्ग सदस्य अन्य सदस्यों के माथे पर दही व चावल का टीका लगाकर पाप कर्मों से दूर रहने व खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं। पछवादून के तेलपुर, डाकपत्थर, विकासनगर, बरोटीवाला, लक्ष्मीपुर, तेलपुरा-अटकफार्म, राजावाला में गोर्खाली समुदाय में पांच दिन तक चलने वाले दशैं पर्व का उल्लास है। तेलपुर में आयोजित कार्यक्रम में गोर्खाली सुधार सभा के अध्यक्ष जो¨गद्र शाह, सहसपुर में पुष्पा थापा, प्रेम बहादुर, अभय थापा, उज्ज्वल, आकाश आदि शामिल रहे।