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    पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के रास्ते आ रहा है मौत का सामान, जानिए

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Wed, 06 Feb 2019 08:52 PM (IST)

    केवल दून जिले में बल्कि, समूचे उत्तराखंड में नशे की खेप पश्चिमी यूपी से पहुंचती है। यह स्थिति तब है जब सभी चेक पोस्टों पर दिन-रात पुलिस का पहरा रहता है।

    पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के रास्ते आ रहा है मौत का सामान, जानिए

    देहरादून, जेएनएन। दून को नशे के दलदल में धकेलने वालों का नेटवर्क पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ज्यादा जुड़ा हुआ है। खासकर, बरेली-सहारनपुर के रास्ते न केवल दून जिले में बल्कि, समूचे उत्तराखंड में नशे की खेप पहुंचती है। यह स्थिति तब है जब दून को उत्तर प्रदेश की सीमा से जोड़ने वाले सभी चेक पोस्टों पर दिन-रात पुलिस का पहरा रहता है। फिर भी ड्रग माफिया सिस्टम की आंख में धूल झोंक कर मौत का सामान उत्तराखंड की वादियों तक पहुंचाने में कामयाब होते जा रहे हैं। 

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    तस्कर दून को नशे की बड़ी मंडी के रूप में देख रहे हैं। यहां उन्होंने अपना नेटवर्क शहर से लेकर गांवों तक फैलाया हुआ है। स्कूल-कॉलेज और हॉस्टल के साथ ही छोटे-छोटे कस्बों में धंधेबाज सक्रिय हैं। उन्होंने बाकायदा अपने एजेंट बनाए हुए हैं जो नशा बेचते ही नहीं, बल्कि किसी न किसी बहाने किशोरों से दोस्ती गांठकर उन्हें नशे की अंधेरी गलियों में धकेलते हैं। पहले ये इन किशोरों को शौकिया तौर पर नशा पीने के लिए तैयार करते हैं और इसे बाद उन्हें लती बनाकर स्थायी ग्राहक बना लेते हैं। 

    अगर पूरे परिदृश्य पर निगाह दौड़ाएं तो एक बात साफ हो रही है कि उत्तर प्रदेश के रास्ते दून में अलग-अलग रूप में नशे की खेप पहुंच रही हैं। पिछले कुछ सालों के दरम्यान पकड़े गए नशा तस्करों के हवाले से यह बात सौ फीसद पुख्ता हो चुकी है कि मादक पदार्थों की तस्करी मुख्यत: सहारनपुर तथा बरेली से की जाती है। इन इलाकों के कई नशा तस्कर गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं। पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017 में मादक पदार्थों की तस्करी में सहारनपुर के 18 तथा बरेली के 10 तस्करों को गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल जनवरी से लेकर अब तक सहारनपुर के 7 व बरेली का एक तस्कर पकड़ा गया। इनसे पूछताछ में सामने आया कि यह सभी लंबे समय से मादक पदार्थों की तस्करी में संलिप्त हैं। पकड़े जाने के बाद जेल से छूटने के बाद या जमानत पर रिहा होने पर फिर से नशे की तस्करी में लिप्त हो जाते हैं। बाहरी जनपदों के होने के कारण यह जल्दी पकड़ में भी नहीं आते हैं। 

    फाइलों में दबी तस्करों की सूची

    दून पुलिस ने बीते साल अप्रैल महीने में उत्तर प्रदेश को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आ रही नशे की खेप को लेकर आगाह किया था। यहां तक कि एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बरेली-सहारनपुर के नशा तस्करों की सूची के साथ उनके आपराधिक इतिहास और उनके गैंग के बारे में पूरी जानकारी उत्तर प्रदेश पुलिस को भेजी गई है। साथ ही उप्र पुलिस से इन तस्करों के नेटवर्क को तोडऩे के लिए कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया, लेकिन यह सूची फाइलों में ही दबकर रह गई

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    नशे के बढ़ते प्रचलन को दृष्टिगत रखते हुए दैनिक जागरण इसके दुष्प्रभावों के प्रति आमजन को जागरुक करने का प्रयास कर रहा है। इसमें हम आप सभी की भागीदारी चाहते हैं। अगर आपके आसपास कोई नशा बेचता है या फिर अपने इर्द-गिर्द के युवाओं व अन्य किसी शख्स को आप नशे की लत की तरफ बढ़ते देखते हैं उसे रोकिए, जगाइये कि नशा उसकी जिंदगी लील लेगा। आपके इन प्रयासों से हमारे अभियान को बल मिलेगा। साथ ही आप नशे की गिरफ्त में आ रही जिंदगियों को बचाने में भागीदार बनेंगे। यदि नशे की प्रवृति को रोकने के लिए आपने अभी तक कोई प्रयास किए हैं, नशे की वजह से किसी की जिंदगी तबाह होने से बचाई है, तो हमसे साझा करें अपनी बात।

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    नशा तरक्की में सबसे बड़ा बाधक: डॉ. नौटियाल

    डॉ. चंद्रशेखर नौटियाल (कुलपति दून विवि) का कहना है कि नशा समाज की तरक्की में सबसे बड़ा बाधक है। युवा अवस्था में ड्रग की लत जिसे पड़ी वह युवा न केवल खुद बल्कि परिवार व समाज को भी नुकसान पहुंचाता है। युवा नशा त्यागकर अपनी ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगाएं। 

    ड्रग का सेवन युवाओं को अपराध की दुनिया में धकेल रहा है। शिक्षण संस्थानों के आसपास किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों की अवैध बिक्री व तस्करी पर पैनी नजर रखने व कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है। किसी संस्थान में यदि एक-दो युवा ड्रग लेते हैं तो उनकी संगत में कुछ समय बाद अन्य छात्र भी नशा करने लगते हैं। जिसे रोकने में सबसे पहले अभिभावकों को आगे आना होगा। अभिभावकों को अपने बच्चों पर बराबर नजर रखनी चाहिए कि उनके बच्चे की दिनचर्चा क्या है। अगर वह देर से घर आते हैं तो उनसे कारण जरूर पूछें। उसके दोस्तों पर भी नजर रखें। यदि बच्चे को अभिभावकों का डर होगा तो वह स्कूल, कॉलेज विवि में भी अनुशासित रहेगा। मैं युवाओं से अपील करता हूं कि वह खुद ड्रग से तो दूर रहें ही, ड्रग तस्करों के गिरोह व उनके अड्डों के बारे में नजदीक की पुलिस को सूचित करें। ताकि इस सामाजिक बुराई को जड़ से उखाड़ा जा सके । इस सामाजिक बुराई के खिलाफ सबको मिलकर लड़ना होगा। 

    आत्मविश्वास में कमी भी नशे का कारण : डॉ.वीना

    नशाखोरी की लत का एक बड़ा मनोवैज्ञानिक कारण आत्मविश्वास में कमी भी है। पारिवारिक परेशानी भी कई बार युवाओं को नशे की ओर ले जाती है। सेलाकुई स्थित शिवालिक एकेडमी में मंगलवार को क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट डॉ.वीना कृष्णन ने छात्रों को नशे की प्रवृत्ति व इसकी रोकथाम के बारे में बताया। 

    उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि नशाखोरी के कई कारण हैं। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से जब इसके कारणों की पड़ताल की जाती है तो पाया जाता है कि ड्रग की लत पारिवारिक कलह व परिजनों के साथ सकारात्मक कनेक्शन न होने के कारण पड़ती है। इसके अलावा युवाओं की संगत भी नशे कारण बनती है। कई बार देखा गया है कि भावनात्मक दृष्टि से सरल व गुमसुम रहने वाले युवा अपनी समस्याओं को किसी के साथ साझा नहीं कर पाते, ऐसे में उन्हें अकेलेपन में नशे की लत लग जाती है। इसका वैज्ञानिक तरीके से भी परिक्षण हो चुका है। जिसमें सिद्ध हुआ है कि अकेला रहना और अपनी समस्याओं को किसी से साझा नहीं करने वाले युवा नशे को अपना सहारा बना लेते हैं और फिर अधिकतर समय वह नशे में डूबे रहते हैं। 

    उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कुप्रवृत्ति से उबारने के लिए हमें सबसे पहले ऐसे युवाओं को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए। उन्हें परिवार व सहयोगियों के साथ अन्य गतिविधियों जैसे खेलकूद में प्रतिभाग करवाना, सिनेमा देखना, रुचि के अनुसार किताबें पढ़ने को देना जैसी आदतें डालवानी चाहिए, ताकि उनका ध्यान नशे की ओर न जाए। 

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