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17 हजार बस्तियों में पेयजल की चुनौती

उत्तराखंड में पेयजल महकमे की चिंता भी बढ़ने लगी है। यह बेजा भी नहीं है। तमाम कोशिशों के बावजूद सालभर में केवल 374 बस्तियों का ही पेयजल संकट जैसे-तैसे दूर हो पाया।

By Edited By: Published: Sun, 01 Apr 2018 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 01 Apr 2018 03:24 PM (IST)
17 हजार बस्तियों में पेयजल की चुनौती
17 हजार बस्तियों में पेयजल की चुनौती
राज्य ब्यूरो, देहरादून: पारे की उछाल के साथ ही उत्तराखंड में पेयजल महकमे की चिंता भी बढ़ने लगी है। यह बेजा भी नहीं है। तमाम कोशिशों के बावजूद सालभर में केवल 374 बस्तियों का ही पेयजल संकट जैसे-तैसे दूर हो पाया। अभी भी आंशिक रूप से सेवित 17032 बस्तियों में हलक तर करने को पानी मुहैया कराने की चुनौती सामने खड़ी है। चिंता ये भी साल रही कि यदि मौसम ने साथ नहीं दिया तो दिक्कत अधिक बढ़ सकती है। प्रदेश में उत्तराखंड जल संस्थान 39360 बस्तियों में पेयजल मुहैया कराता है। इनमें से 22312 में जलापूर्ति ठीक है, लेकिन 17406 में आंशिक रूप से ही पेयजल आपूर्ति हो रही थी। सालभर के प्रयासों के बाद बाद आंशिक रूप से सेवित 374 बस्तियों का ही पेयजल संकट दूर हो पाया। शेष 17032 की स्थिति आज भी वैसी ही है, जैसी पिछले साल थी। ये वे बस्तियां हैं, जहां गर्मियों में लोगों को अक्सर पेयजल किल्लत से दो-चार होना पड़ता है। इस मर्तबा मौसम का जैसा रुख है, उसे देखते हुए इन 17 हजार से अधिक बस्तियों में पेयजल संकट गहराना तय माना जा रहा है। इनमें भी पर्वतीय क्षेत्र के इलाके सबसे अधिक हैं। यही चिंता सरकार के साथ ही जल संस्थान को सताये जा रही कि इस चुनौती से कैसे पार पाई जाएगी। असल में इन इलाकों में गर्मी बढ़ने पर आसपास के पेयजल स्रोत भी सूख जाते हैं, ऐसे में पानी के लिए लोगों को भटकना पड़ता है। मैदानी और कस्बाई इलाकों में तो जैसे-तैसे टैंकरों से जलापूर्ति कराई जा सकती है, मगर पहाड़ में विषम भूगोल इसमें आड़े आ जाता है। ----- 'पेयजल की दिक्कत है, लेकिन इसके निदान को प्रयास किए जा रहे हैं। कोशिश ये है कि बाह्य सहायतित योजनाओं के जरिये पेयजल संकट दूर किया जाए। इस मर्तबा वर्षा जल संरक्षण पर फोकस किया जाएगा, ताकि जलस्रोत रीचार्ज होने के साथ ही ये लंबे समय तक जीवित रह सकें। इसमें आमजन का सहयोग भी इसमें जरूरी है।'-प्रकाश पंत, पेयजल मंत्री उत्तराखंड ------ प्रदेश में आंशिक सेवित बस्तियां जिला, बस्तियां, इनमें दूर हुआ संकट अल्मोड़ा, 1805, 60 बागेश्वर, 476, 23 चमेाली, 1562, 36 चंपावत, 609, 18 देहरादून, 1632, 30 पौड़ी, 3170, 62 हरिद्वार, 300, 05 नैनीताल, 372, 10 पिथौरागढ़, 1185, 21 रुद्रप्रयाग, 787, 22 टिहरी, 4451, 63 ऊधमसिंहनगर, 44, 04 उत्तरकाशी, 708, 20 ---------- एक नजर ये भी -617502 घरेलू पेयजल कनेक्शन हैं राज्य में -32301 है व्यावसायिक पेयजल कनेक्शनों की संख्या -6461 लाख रुपये चालू वित्त वर्ष में योजनाओं के रखरखाव पर खर्च -------------

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