Move to Jagran APP

इस बार महाशिवरात्रि पर 117 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग

इस बार 117 साल बाद महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। इन दिन शनि स्वराशि मकर में और शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में होगा। इसके साथ ही 28 साल बाद इस दिन विष योग बन रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 01:25 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 08:18 PM (IST)
इस बार महाशिवरात्रि पर 117 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग

देहरादून, जेएनएन। महाशिवरात्रि के लिए दून के शिवालय सज चुके हैं। शुक्रवार को महाशिवरात्रि है और मंदिरों में गुरुवार की मध्य रात्रि से ही विशेष पूजन शुरू हो जाएगा। सभी जगह भगवान भोलेनाथ के अभिषेक के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर समेत पृथ्वीनाथ महादेव और श्याम सुंदर मंदिर में भोलेनाथ के रुद्राभिषेक की तैयारी पूरी हो चुकी है। इसके अलावा भी शहर के तमाम मंदिरों में महाशिवरात्रि को लेकर तैयारियां की जा रही हैं।

loksabha election banner

महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। आचार्य सुशांत राज के मुताबिक इस बार 117 साल बाद महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। इन दिन शनि स्वराशि मकर में और शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में होगा। इसके साथ ही 28 साल बाद इस दिन विष योग बन रहा है। शुक्रवार को बुधादित्य और सर्प योग भी रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन महादेव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस दिन व्रत रखने का भी बहुत अधिक महत्व है।

पृथ्वीनाथ मंदिर में 2100 दीपों से बनेगी रंगोली

श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि की तैयारियां जोरों पर हैं। मंदिर परिसर को भव्य तरीके से सजाया गया है। आज महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर मंदिर के प्रांगण में 2100 दीपों से रंगोली तैयार की जाएगी। इसके बाद भागवान शिव की आराधना होगी।

महंत रविंद्र पुरी के सानिध्य में मंदिर में महाशिवरात्रि की तैयारियां की जा रही हैं। इस बार महाशिवरात्रि पर महादेव की भस्म आरती की जाएगी। साथ ही केसर युक्त दूध का भोग लगाकर श्रद्धालुओं में वितरित किया जाएगा। रंगोली संयोजक प्रवीण गुप्ता और रजनीश यादव ने बताया कि भक्तों को मंदिर प्रांगण में रंगोली के बीच में भोले बाबा के अद्र्धनारीश्वर स्वरूप के दर्शन होंगे। हरिद्वार से लाए गए गंगाजल और पूजा की अन्य सामग्रियों के साथ मध्य रात्रि में श्री पृथ्वीनाथ महादेव जी का रुद्री के वैदिक पाठों के मंत्रोच्चार से स्वामिकुमार रुद्राभिषेक किया जाएगा, जो 21 फरवरी की भोर तक चलेगा। इसके बाद आम श्रद्धालु जलाभिषेक कर सकेंगे। इस अवसर पर दिगंबर दिनेश पुरी, भागवत पुरी, प्रवीण गुप्ता, रजनीश यादव आदि उपस्थित रहे।

महाकालेश्वर मंदिर में होगा महारुद्राभिषेक

राजपुर स्थित महाकालेश्वर मंदिर में 21 फरवरी को महाशिवरात्रि पर चारों पहर नमक चमक पाठ से भगवान भोलेनाथ का महारुद्राभिषेक किया जाएगा। मंदिर के पुजारी कन्हैया चमोली ने बताया कि 21 फरवरी की शाम पांच बजकर 22 मिनट तक त्रयोदशी तिथि रहेगी। अगले दिन 22 फरवरी को 12 बजे भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

शुभ मुहूर्त

शुक्रवार 21 फरवरी को शाम को पांच बजकर 20 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी कि 22 फरवरी दिन शनिवार को शाम सात बजकर दो मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा। रात्रि प्रहर की पूजा शाम को छह बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक होगी।

पूजा विधि

बिल्व पत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।

शिवरात्रि पर यह करें

  • भगवान शिव को भी चंदन बेहद प्रिय है। इसलिए भोलेनाथ को चंदन का तिलक करना चाहिए।
  • हल्दी अर्पित करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।
  • भोले शंकर को प्रसन्न करने के लिए बेल पत्र और धतूरे के साथ इत्र भी चढ़ाया जाता है।

यह न करें

  • कभी भी काले कपड़े पहनकर शिवलिंग पर जल न चढ़ाएं।
  • जिस जगह से शिव को चढ़ा जल बाहर आ रहा हो, उस जल को लांघना नहीं चाहिए।
  • शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिएं।
  • शिवलिंग की पूजा करते समय भूलकर भी सिंदूर और तिल न चढ़ाएं।

यह भी पढ़ें: इस बार महाशिवरात्रि पर 117 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग

विष योग से दूर होंगे सारे कष्ट

महाशिवरात्रि पर शनि के साथ चंद्रमा भी मकर राशि में होगा। शनि-चंद्रमा की इस युति के कारण विष योग बन रहा है। इसस पूर्व करीब 28 साल पहले शिवरात्रि पर ही दो मार्च 1992 को विष योग बना था। इस योग में शनि और चंद्र के लिए विशेष पूजा करनी चाहिए। शिवरात्रि पर यह योग बनने से शिव पूजा का महत्व और बढ़ गया है।

यह भी पढ़ें: प्रकाशेश्वर मंदिर में किसी प्रकार का दान नहीं होता स्वीकार, पढ़िए पूरी खबर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.