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नौ नवंबर को मिल सकता उत्‍तराखंड को डोबरा चांठी पुल का तौहफा

उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर प्रदेश को डोबरा-चांठी पुल का तौहफा मिल सकता है। शासन ने प्रदेश भर में तैयार नए प्रोजेक्टों की सूची सभी जिलों से मांगी है। ऐसे में लोनिवि को उम्मीद है कि डोबरा-चांठी पुल का लोकार्पण भी नौ नवंबर को हो सकता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 10:14 AM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 10:14 AM (IST)
नौ नवंबर को मिल सकता उत्‍तराखंड को डोबरा चांठी पुल का तौहफा
उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर प्रदेश को डोबरा-चांठी पुल का तौहफा मिल सकता है।

नई टिहरी, जेएनएन। उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर प्रदेश को डोबरा-चांठी पुल का तौहफा मिल सकता है। शासन ने प्रदेश भर में तैयार नए प्रोजेक्टों की सूची सभी जिलों से मांगी है। ऐसे में लोनिवि को उम्मीद है कि टिहरी झील पर बने डोबरा-चांठी पुल का लोकार्पण भी नौ नवंबर को राज्य स्थापना दिवस पर हो सकता है।

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डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज (झूला पुल) का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इन दिनों पुल की एप्रोच रोड का काम किया जा रहा है जो 31 अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा। इस पुल के बनने से करीब ढाई लाख की आबादी की मुश्किलें कम हो जाएंगी। 

प्रतापनगर जाने के लिए लोगों को पीपलडाली और भल्डयाना रोड से जाना पड़ता है, लेकिन पुल बनने से नई टिहरी से डोबरा पुल पार कर प्रतापनगर पहुंचा जा सकेगा। इससे प्रतापनगर की लगभग दो लाख की आबादी को कई तरह की दिक्कतों से भी छुटकारा मिल पाएगा। नई टिहरी से पांच घंटे का सफर तय कर प्रतापनगर पहुंचा जाता है। अगर पुल बन जाता तो सिर्फ डेढ़ घंटे में ही सफर तय किया जा सकता है।

एसएस मखलोगा (प्रोजेक्ट इंजीनियर डोबरा- चांठी पुल) का कहना है कि डोबरा-चांठी पुल का काम पूरा हो चुका है। बस एप्रोच रोड का काम इन दिनों चल रहा है। उम्मीद है कि नौ नवंबर को पुल का उद्घाटन हो जाए। हालांकि, इस पर फैसला शासन को ही करना है। 

साल 2010 में बंद करना पड़ा था डोबरा पुल का निर्माण  

टिहरी झील पर बन रहे देश के सबसे लंबे डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज झूला पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2006 में शुरू हुआ था, लेकिन वर्ष 2010 में डिजाइन फेल होने के कारण इसे बंद करना पड़ा। तब तक पुल निर्माण पर 1.35 अरब की रकम खर्च हो चुकी थी। इसके बाद वर्ष 2016 में लोनिवि निर्माण खंड ने 1.35 अरब की लागत से दोबारा निर्माण कार्य शुरू किया। पुल के डिजायन के लिए अंतराष्ट्रीय निविदा जारी की गई, जिसके बाद पुल का नया डिजाइन दक्षिण कोरिया की कंपनी योसीन से तैयार कराया गया। जिसके बाद अब पुल बनकर तैयार है।

तीन अरब रुपये हो चुके हैं खर्च

इससे पुल का निर्माणाधीन हिस्सा टेढ़ा हो गया, जिसके बाद फिर से पुल का काम शुरू किया गया। अभी तक पुल पर लगभग तीन अरब रुपये खर्च कर दिए हैं। इसी वर्ष मार्च में कोरोना वायरस संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन का असर डोबरा पुल पर भी पड़ा और पुल के निर्माण में लगे श्रमिकों को अपने घर जाना पड़ा। स्थिति सामान्य होने पर पुल में धीरे-धीरे श्रमिकों की संख्या बढ़ने के बाद काम में तेजी आई। अब आखिरी दिनों पुल की एप्रोच रोड और पुल पर लगने वाले बूम बैरियर का काम किया जा रहा है। बूम बैरियर में पुल के ऊपर से गुजरने वाले वाहनों का भार परीक्षण किया जाएगा। इस पुल के ऊपर 16 टन भार के वाहन गुजरने की क्षमता है। इसके अलावा पुल के ऊपर लाइटें भी लगाई जाएंगी, जो रात में पुल पर जगमगाएंगी।

प्रतापनगर और गजाणा की बड़ी आबादी को जोड़ेगा पुल  

टिहरी बांध प्रभावित प्रतापनगर और उत्तरकाशी के गाजणा क्षेत्र की बड़ी आबादी को जोड़ने वाले डोबरा-चांठी पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है। इसमें सस्पेंशन ब्रिज 440 मीटर लंबा है। इसमें 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड और 25 मीटर स्टील गार्डर चांठी साइड है। पुल की कुल चौड़ाई सात मीटर है, जिसमें मोटर मार्ग की चौड़ाई साढ़े पांच मीटर है, जबकि फुटपाथ की चौड़ाई 0.75 मीटर है।

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