अब नदियों में जमा मलबा हटाने को डीएम देंगे मंजूरी
उत्तराखंड में अब नदियों से मलबा हटाने के लिए जिलाधिकारी अल्प अवधि का लाइसेंस स्वीकृत करेंगे।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में नदियों में जमा रेत-बजरी, मिट्टी, पत्थर (आरबीएम) के कारण भूमि कटाव और जानमाल के खतरे की आशंका को देखते हुए बरसात से पहले इसे हटाने की अंतरिम व्यवस्था कर दी गई है। ऐसे क्षेत्रों का चिह्नीकरण, सत्यापन व मूल्यांकन एसडीएम की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। उसकी संस्तुति के बाद आरबीएम के निस्तारण के लिए डीएम अल्प अवधि का लाइसेंस स्वीकृत करेंगे। इससे पहले संबंधित जनपद के स्थानीय व्यक्तियों व संस्थाओं से आरबीएम हटाने के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे।
असल में उत्तराखंड रिवर ट्रेनिंग नीति-2016 में नदियों में बड़ी संख्या में जमा उपखनिज यानी आरबीएम के कारण भूकटाव व जानमाल के खतरे की आशंका के मद्देनजर इसके निस्तारण का स्पष्ट प्रावधान नहीं है। ऐसे में संबंधित क्षेत्रों में वर्षाकाल में बाढ़ की आशंका बनी हुई है। अब बरसात शुरू होने से पहले इस आरबीएम को हटाने के लिए अंतरिम व्यवस्था की गई है। इस सिलसिले में शुक्रवार को प्रमुख सचिव आनंद वर्धन की ओर से आदेश भी जारी कर दिए गए।
आदेश के मुताबिक ऐसे क्षेत्रों का चिह्नीकरण, सत्यापन और जमा आरबीएम की मात्रा का आकलन करने के लिए जिलाधिकारी द्वारा संबंधित क्षेत्रों में वहां के उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी। समिति में डीएफओ के प्रतिनिधि, सिंचाई विभाग के एई, भू-वैज्ञानिक व खान अधिकारी सदस्य होंगे। इस समिति की संस्तुति के उपरांत आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत आरबीएम निस्तारण को डीएम अल्प अवधि की अनुज्ञा स्वीकृत करेंगे। इसके निस्तारण व उठान की स्वीकृति अधिकतम दो माह अथवा खनिज की मात्रा हटाने की अवधि, इसमें से जो पहले हो, के लिए स्वीकृत की जाएगी।
यह होगी प्रक्रिया
चिह्नित स्थलों से आरबीएम हटाने के लिए संबंधित जिले के स्थानीय लोगों व संस्थाओं से आवेदन प्राप्त किए जाएंगे। आरबीएम निस्तारण के लिए रॉयल्टी के अतिरिक्त स्टांप शुल्क, जिला खनिज फाउंडेशन में अंशदान और क्षतिपूर्ति को निर्धारित शुल्क अनिवार्य रूप से देय होगा। चिह्नित स्थल में उपलब्ध आरबीएम के निस्तारण को समिति द्वारा खुली नीलामी के जरिए आवेदक का चयन किया जाएगी।
ये होंगी शर्तें
-नदी के जल स्तर से एक मीटर की गहराई तक चुगान की अनुमति दी जाएगी
-विशेष परिस्थिति में अनुमत गहराई से अधिक तक उपखनिज चुगान को शासन से ली जाएगी अनुमति
-आरबीएम का चुगान यथासंभव मानवशक्ति के जरिए नदी के दोनों किनारों से एक-चौथाई भाग छोड़ते हुए किया जाएगा
-उत्तराखंड उपखनिज परिहार नियमावली के प्रावधानों के अनुसार आरबीएम का निस्तारण होगा
-हटाए गए आरबीएम पर रॉयल्टी के अतिरिक्त राज्य सरकार समय-समय पर निर्धारित शुल्क लेगी
-यह व्यवस्था ई-नीलामी के माध्यम से खनिज पर स्वीकृत उपखनिज लॉटों व क्षेत्रों में प्रभावी नहीं होगी
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