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हनोल मंदिर के स्वरूप को बदलने पर चर्चा

चकराता डिजिटल सारथी संस्था की ओर से जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर के कुल आराध्य महासू देवता मंदिर हनोल के स्वरूप को लेकर चर्चा हुई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 10:23 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 10:23 PM (IST)
हनोल मंदिर के स्वरूप को बदलने पर चर्चा

संवाद सूत्र, चकराता: डिजिटल सारथी संस्था की ओर से जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर के कुल आराध्य देव महासू मंदिर हनोल के पौराणिक स्वरूप को बचाने व पर्यटन स्थल में विकास कार्य पर चर्चा के लिए ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित हुई। इसमें स्थानीय ग्रामीण, मंदिर समिति, पुरातत्व विभाग, लोक पंचायत व जौनसार-बावर जन कल्याण विकास समिति के पदाधिकारियों ने कई महत्वपूर्ण बिदुओं पर विस्तार से चर्चा की। वक्ताओं ने महासू मंदिर के पौराणिक व प्राकृतिक स्वरूप के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ व बदलाव नहीं करने की बात कही।

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जौनसार-बावर सामाजिक संवाद कार्यक्रम के तहत डिजिटल सारथी के संस्थापक अभिनव रावत रंगेऊ व सह-संयोजक महावीर सिंह रावत कौथी ने ऑनलाइन लाइन संगोष्ठी का आयोजन कर मंदिर समिति, पुरातत्व विभाग, स्थानीय ग्रामीण व सामाजिक संस्था से जुड़े पदाधिकारियों को एक मंच पर चर्चा के लिए बुलाया। डिजिटल सारथी के लाइव कार्यक्रम के तहत विकास के लिए पौराणिक संस्थानों में संवैधानिक संस्थान का हस्तक्षेप विषय पर चर्चा हुई। जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. सैय्यद जमाल हसन, महासू मंदिर के पुरोहित एवं मंदिर समिति के सचिव मोहनलाल सेमवाल, लोक पंचायत के वरिष्ठ सदस्य एवं उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष के सूचना अधिकारी भारत चौहान, मंदिर समिति के वरिष्ठ सदस्य सीआर राजगुरु, जौनसार-बावर जन कल्याण विकास समिति की अध्यक्ष बचना शर्मा ने प्रतिभाग कर अपने विचार रखे। वक्ताओं ने पुरातत्व विभाग की ओर से सदियों पुराने मंदिर प्रांगण-मैदान की खुदाई कर उसे तीन फुट गहरा करने से उपजे जनाक्रोश के मुददे को सुलझाने का सुझाव दिया। मंदिर समिति के सचिव सेमवाल व वरिष्ठ सदस्य राजगुरु ने महासू मंदिर की पौराणिक महत्ता व क्षेत्र की अनूठी लोक संस्कृति के बारे में जानकारी दी। कहा महासू मंदिर में प्राचीनकाल समय के प्रांगण-मैदान की खुदाई करने से लोक देवता महासू मंदिर का पौराणिक व प्राकृतिक स्वरूप समाप्त हो जाएगा। लोक पंचायत के वरिष्ठ सदस्य चौहान व जन कल्याण समिति अध्यक्ष ने नियमित पूजा-पाठ वाले हनोल व लाखामंडल मंदिर से पुरातत्व विभाग को हटाने की मांग की। कहा विभाग कई पीढि़यों से मंदिर की परपंरागत व्यवस्था से जुड़े स्थानीय ग्रामीणों व मंदिर समिति को विश्वास में लिए बगैर मनमाने ढंग से निर्माण कार्य को अंजाम दे रहा है। जिससे क्षेत्र के लोगों में काफी नाराजगी है। कहा विभाग को पौराणिक व्यवस्था में बदलाव नहीं करना चाहिए। पुरातत्व विभाग के पूर्व निदेशक डा. हसन ने कहा मंदिर समिति, स्थानीय ग्रामीण व पुरातत्व विभाग तीनों का मुख्य उद्देश्य से महासू मंदिर हनोल के प्राचीन स्वरूप को बचाए रखना है। जिसके लिए सभी अपने स्तर से प्रयास भी कर रहे हैं।


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