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अब योगी की दया पर पेशावर विद्रोह के नायक गढ़वाली का परिवार

पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को उत्तर प्रदेश वन विभाग की ओर से दिए नोटिस के मामले को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 12:22 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 08:52 AM (IST)
अब योगी की दया पर पेशावर विद्रोह के नायक गढ़वाली का परिवार

देहरादून, [जेएनएन]: पेशावर विद्रोह के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों के सिर पर मंडरा रही बेदखली की तलवार फिलहाल हटती नजर नहीं आ रही। 'दैनिक जागरण' में खबर छपने के बाद भले ही उत्तराखंड शासन में थोड़ा-बहुत सुगबुगाहट जरूर हुई, लेकिन मामले के उत्तर प्रदेश से जुड़े होने के कारण फिर उसने भी चुप्पी साध ली। हालांकि, अब प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर गढ़वाली के परिजनों को राहत देने की गुजारिश की है।

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इसी वर्ष 30 अगस्त को उत्तर प्रदेश के बिजनौर वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी की ओर से पेशावर विद्रोह के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की पुत्रवधुओं को नोटिस भेजा गया। उसमें उल्लेख था कि वर्ष 1975 में गढ़वाली को कोटद्वार-भाबर के ग्राम हल्दूखाता के समीप वन क्षेत्र में जो भूमि लीज पर दी गई थी, उसका अभी तक निष्पादन नहीं हो पाया। यह लीज की शर्तो का उल्लंघन है और ऐसी स्थिति में लीज की भूमि पर रहने वालों को अतिक्रमणकारी माना जाएगा। 

'दैनिक जागरण' ने अपने 15 सितंबर के अंक में 'तो सड़क पर आ जाएगा पेशावर विद्रोह के महानायक का परिवार' शीर्षक से प्रकाशित खबर में गढ़वाली के व्यक्तित्व के साथ ही वन महकमे की ओर से जारी इस नोटिस पर विस्तार में प्रकाश डाला था। इसके बाद शासन में हड़कंप मच गया व आनन-फानन में उत्तराखंड वन महकमे ने मामले से संबंधित जानकारी लैंसडौन वन प्रभाग से तलब की।

इसमें पता चला कि मामला उत्तर प्रदेश के बिजनौर वन प्रभाग का है, सो इसके बाद उत्तराखंड शासन ने चुप्पी साध ली। हालांकि, दूसरी ओर प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने इस मामले में उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है। पत्र में जहां गढ़वाली के शौर्य की कहानी बयां की गई है, वहीं परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति का जिक्र भी किया गया है। कहा गया है कि भले ही उप्र शासन की ओर से गढ़वाली को दस एकड़ भूमि 90 वर्षों की लीज पर दी हो, लेकिन वर्तमान में उनके वंशजों की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय है और वो लीज का शुल्क वहन करने में असमर्थ हैं। पत्र में मुख्यमंत्री से लीज शुल्क माफ करने का आग्रह किया गया है।

गढ़वाली के परिजनों को नोटिस पर सरकार गंभीर

पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को उत्तर प्रदेश वन विभाग की ओर से दिए नोटिस के मामले को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को लखनऊ में उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के दौरान यह प्रकरण रखा और गढ़वाली के परिजनों को राहत दिलाने का आग्रह किया। वहीं, कोटद्वार क्षेत्र के विधायक एवं कैबिनेट मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने भी इस मामले में उप्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर संकट के समाधान का आग्रह किया है।

ऐतिहासिक पेशावर विद्रोह के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को 21 जनवरी 1975 में कोटद्वार से लगे जनपद बिजनौर की हल्दूखाता वन क्षेत्र के कंपार्टमेंट सात में 10 एकड़ वन भूमि 90 साल की लीज पर सशुल्क दी गई थी। वर्तमान में आर्थिक दुश्वारियों के चलते लीज का शुल्क अदा करने में यह परिवार अक्षम है। इस बीच बीती 30 अगस्त को उप्र बिजनौर वन प्रभाग के डीएफओ की ओर से नोटिस जारी किया गया।

इसमें इस वन भूमि पर काबिज गढ़वाली के परिवार को अतिक्रमणकारी घोषित कर भूमि खाली करने के आदेश दिए गए हैं। इस नोटिस के बाद पेशावर कांड के नायक के परिवार पर आया यह संकट सुर्खियों में है। अब राज्य सरकार ने भी इसका संज्ञान लिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लखनऊ में मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक से पहले उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस संबंध में चर्चा की।

मुख्यमंत्री रावत के अनुरोध पर उप्र के मुख्यमंत्री ने गढ़वाली के परिजनों को राहत देने के लिए समुचित कार्यवाही का आश्वासन दिया। उधर, कैबिनेट मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने भी इस संबंध में उप्र के मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। उन्होंने कहा है कि उप्र सरकार के एक नोटिस से समूचा उत्तराखंड आहत है। उन्होंने मामले का समाधान करने के साथ ही वन विभाग के उन संवेदनहीन अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई का आग्रह किया है, जिन्होंने महान स्वतंत्रता सेनानी वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिवार का अपमान किया है। उन्होंने उप्र के मुख्यमंत्री से यह भी अनुरोध किया है कि गढ़वाली के परिवार को मिली भूमि पर लीज का शुल्क माफ कर दिया जाए।

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