Move to Jagran APP

सिस्टम ने दिया दगा, झूलापुल पर कराई महिला की डिलीवरी

प्रसव से पीड़ित महिला को अस्पताल में न डॉक्टर मिले और न ही सुविधा। उसेे दूसरे अस्पताल में ले जाने से एंबुलेंस सेवा भी नहीं मिली। ऐसे में महिला ने पुल पर बच्चे को जन्म दिया।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 25 Oct 2017 11:16 AM (IST)Updated: Wed, 25 Oct 2017 09:14 PM (IST)
सिस्टम ने दिया दगा, झूलापुल पर कराई महिला की डिलीवरी
सिस्टम ने दिया दगा, झूलापुल पर कराई महिला की डिलीवरी

त्यूणी, देहरादून [जेएनएन]: बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के चलते फिर से एक गर्भवती घंटों प्रसव पीड़ा से तपड़ती रही, लेकिन सरकारी चौखट पर उसे निराशा ही मिली। सीमांत इलाके से सुरक्षित प्रसव की आस में पहुंची इस महिला को आपातकालीन सेवा 108 ने भी हायर सेंटर पहुंचाने से हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में परिजन पैदल ही उसे हिमाचल सीमा में आने वाले रोहड़ू अस्पताल की चल पड़े, लेकिन तकरीबन तीन सौ मीटर चलने के बाद ही उसे असहनीय पीड़ा होने लगी। यह देख आसपास की महिलाओं ने चादर का पर्दा बनाकर झूलापुल पर उसका प्रसव कराया। राहत की बात यह है कि जच्चा-बच्चा दोनों सकुशल हैं।

loksabha election banner

गत शाम सीमांत जिले उत्तकाशी के बंगाण क्षेत्र के इशाली थुनारा गांव निवासी दनेश की पत्नी बनीता को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन वाहन में लिफ्ट लेकर राजकीय अस्पताल त्यूणी लाए। अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने और जरूरी संसाधनों की कमी का हवाला देकर स्टाफ ने प्रसव पीड़िता को अन्य अस्पताल ले जाने की सलाह दी। 

इस पर परिजनों ने आपातकालीन सेवा 108 के कर्मचारियों से उसे सीमावर्ती हिमाचल प्रदेश के रोहडू अस्पताल ले जाने की गुजारिश की, लेकिन स्टाफ ने इससे इन्कार कर दिया। परिजन दस किलोमीटर चलकर त्यूणी अस्पताल तक आए थे। गर्भवती की पीड़ा का हवाला भी दिया, लेकिन स्टाफ का मन नहीं पसीजा।

आखिरकार निराश परिजनों ने उसे सार्वजनिक वाहन से रोडहू ले जाने की योजना बनाई। इसके लिए उन्हें नया बाजार त्यूणी पहुंचना था। परिजन प्रसव पीड़िता को शार्टकर्ट रास्ते से नया त्यूणी बाजार की तरफ ले जा रहे थे, तभी झूलापुल पर वह दर्द से कराहने लगी। यह देख परिजनों को हाथ-पांव फूल गए। 

चीख पुकार सुनकर झूलापुल से गुजर रहे लोगों ने इसकी सूचना गुतियाखाटल गोरखा बस्ती की महिलाओं को दी। थोड़ी ही देर में आसपास की महिलाएं चुनी व चादर लेकर झूलापुल पर पहुंची और प्रसव पीड़िता के चारों तरफ घेरा बनाकर किसी तरह उसकी डिलीवरी कराई। महिला ने बेटी को जन्म दिया। जच्चा-बच्चा दोनों सकुशल बताए जा रहे हैं। 

मना करने के मामले की होगी जांच 

एसडीएम चकराता बृजेश कुमार ने कहा कि प्रसव पीड़िता को अस्पताल में भर्ती नहीं करने व आपातकालीन सेवा 108 के स्टाफ के किसी अन्य अस्पताल ले जाने से मना करने के मामले की जांच कराई जाएगी। जिसकी लापरवाही सामने आएगी, उसे बख्शा नहीं जाएगा। मामला बेहद संवेदनशील है, इसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी जाएगी।

मदद को ये आए आगे 

राजकीय महाविद्यालय त्यूणी की छात्रसंघ अध्यक्ष सोनिया, ग्रामप्रधान जगजीत ङ्क्षसह चौहान गोलू, नवयुवक मंगल दल के मनीष चौहान, तिलक राणा, जगत, भरत सिंह राणा आगे आए। उन्होंने सरकार से सीमांत क्षेत्र त्यूणी में बदहाल स्वास्थ्य सेवा सुधारने की मांग की है। सिस्टम से नाराज लोगों ने  कहा अगर स्वास्थ्य सेवा में जल्द सुधार नहीं हुआ तो आंदोलन किया जाएगा।

तीन रोज पहले भी हुआ था ऐसा

रुद्रप्रयाग जिले में भी तीन रोज पहले तीन गर्भवती महिलाओं को इसी तरह सिस्टम की मार के चलते घंटों दर्द से तड़पना पड़ा था। इन्हें परिजन सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे थे। तीनों की स्थिति नाजुक थी, अस्पतालों में उन्हें सिजेरियन ऑपरेशन की सलाह दी गई, मगर एनेस्थेटिक न होने की वजह से उनकी पहले उन्हें रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल और उसके बाद श्रीनगर बेस अस्पताल से बैरंग लौटा दिया गया था।

यह भी पढ़ें: चट्टान गिरने से बंद थी सड़क, एंबुलेंस में कराना पड़ा प्रसव

यह भी पढ़ें: बारिश में गर्भवती को चारपाई पर लिटा उफनती सौंग नदी पार की

यह भी पढ़ें: तड़पती रही थी गर्भवती, डॉक्‍टर अस्‍पताल छोड़ पीने गया चाय


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.