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दूध बढ़ाने को डेयरियों में गाय-भैंस पर धड़ल्ले से हो रहा आक्सीटोसिन का प्रयोग, इस्तेमाल पर है सरकार की रोक

राजधानी देहरादून में डेयरियों में गाय और भैंसों पर आक्सीटोसिन हार्मोन के इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। यह स्थिति तब है जब सरकार ने इसका इस्तेमाल रोकने के लिए आक्सीटोसिन की फुटकर बिक्री पर रोक लगा रखी है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 11:05 AM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 11:05 AM (IST)
दूध बढ़ाने को डेयरियों में गाय-भैंस पर धड़ल्ले से हो रहा आक्सीटोसिन का प्रयोग।

जागरण संवाददाता, देहरादून। दून में गाय-भैंसों को दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए धड़ल्ले से आक्सीटोसिन हार्मोन के इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। यह स्थिति तब है, जब सरकार ने इसका इस्तेमाल रोकने के लिए आक्सीटोसिन की फुटकर बिक्री पर रोक लगा रखी है। सोसाइटी फार द प्रिवेंशन आफ क्रुएलिटी आफ एनिमल्स (एसपीसीए) ने लक्ष्मण चौक और कांवली रोड क्षेत्र में डेयरियों के इर्द-गिर्द से आक्सीटोसिन की बोतलें व इंजेक्शन बरामद किए हैं। डेयरियों से पशु क्रूरता से संबंधित अन्य साक्ष्य भी जुटाए गए हैं। शिकायत के साथ ये साक्ष्य शहर कोतवाली, ड्रग विभाग, पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय को भेजे गए हैं। हालांकि, इस मामले में कार्रवाई नहीं किए जाने पर अब एसपीसीए के सदस्यों ने उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष आनंद वर्धन और जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार को शिकायत भेजी है।

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एसपीसीए सदस्य रुबीना नितिन अय्यर और निहारिका कपूर की शिकायत के मुताबिक ड्रग इंस्पेक्टर ने उनकी शिकायत पर डेयरियों का निरीक्षण भी किया था। उन्हें डेयरियों के आसपास बिखरी आक्सीटोसिन की बोतल भी दिखाई गईं, ताकि सैंपलिंग कराई जा सके।

हालांकि, उन्होंने यह कहते हुए सैंपल लेने से इनकार कर दिया कि आक्सीटोसिन की कम से कम 240 एमएल मात्रा जरूरी है। इसके अलावा शिकायत में चस्पा किए गए चित्रों में दिखाया गया कि गाय-भैंसों को बेहद कम जगह में बड़ी संख्या में रखा जा रहा है। इनके गले की चेन की लंबाई भी बेहद कम है और जहां उन्हें रखा जा रहा है, वहां अत्याधिक गंदगी है। इस मामले में जिलाधिकारी ने कहा कि प्रकरण का संज्ञान लेते हुए जल्द उचित कार्रवाई कराई जाएगी।

नाले में बहाया जा रहा गोबर

एसपीसीए सदस्यों ने चित्रों के माध्यम से यह भी दिखाया कि डेयरियों से निकलने वाले गोबर, मूत्र और अन्य गंदगी को पास के नाले में उड़ेला जा रहा है। यह स्थिति मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है।

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